विरोध प्रदर्शन तो आपने कई देखा होगा, लेकिन शायद ऐसा नहीं देखा होगा. आप पूछेंगे कैसा विरोध प्रदर्शन? तो जान लें, एक ऐसा विरोध प्रदर्शन जिसमें किसान घोड़ी पर सवार होकर आए और तंज में शादी-ब्याह की बात करने लगे. कपड़े भी दूल्हे वाले पहन रखे थे. घटना महाराष्ट्र के लातूर की है जहां किसानों का मामला हमेशा सुर्खियों में रहता है. विरोध प्रदर्शन किसी सरकार या प्रशासन के खिला नहीं था. विरोध था एक बिजली कंपनी के खिलाफ जो किसानों को बिजली कनेक्शन नहीं दे रही.
आइए अब खबर विस्तार से जान लेते हैं. लातूर में किसानों का एक ग्रुप विरोध प्रदर्शन में बिजली ऑफिस पहुंचा. किसानों ने ऐसी ड्रेस पहनी थी जो शादियों में पहनी जाती है. किसानों का मकसद था अधिक से अधिक लोगों का ध्यान खींचना. 'PTI' की एक रिपोर्ट बताती है, इन किसानों का प्रदर्शन महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड यानी कि MSEDCL के खिलाफ था. यह कंपनी लातूर में चलती है जिसके खिलाफ किसान सड़कों पर उतर गए.
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कुछ किसान दूल्हे के लिबास में थे और घोड़ियों पर सवार थे. किसानों ने रिपोर्टर्स से कहा कि उन्होंने 2018 में ही बिजली के कनेक्शन के लिए पैसा चुका दिया है, लेकिन अभी तक उन्हें कनेक्शन नहीं मिला है. बिजली नहीं मिलने से उनका कई काम रुक रहा है जिसमें खेती-बाड़ी भी शामिल है. लातूर की लोकल भाषा में इस बिजली कनेक्शन को डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफॉर्मर्स या डीपी कहा जाता है.
किसानों ने कहा कि वे केवल यह जानना चाहते हैं कि एमएसईडीसीएल कब तक बिजली का कनेक्शन देगा. किसानों से यह भी पूछा गया कि विरोध में शादी के कपड़े क्यों पहने. इस पर किसानों ने कहा कि बिजली कंपनी बताए कि उनकी शादी का अरेंजमेंट कब होगा और खेती-बिजली के मुद्दे कब सुलझाए जाएंगे.
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इस क्षेत्र के 20 गांवों के किसान सिंचाई के पानी की समस्या से जूझ रहे हैं क्योंकि बिजली के बिना उन्हें पानी नहीं मिल पाता. उनकी फसलों की सिंचाई नहीं हो पाती. किसानों ने कनेक्शन का पैसा चुका दिया है, लेकिन पांच साल से बिजली कंपनी उन्हें दौड़ा रही है. किसानों की शिकायत है कि जब वे बिजली दफ्तर में जाते हैं तो अधिकारी डांट-फटकार कर भगा देते हैं. इसलिए अनोखा विरोध करते हुए लोगों को ध्यान खींचना पड़ा. यह विरोध मार्च शिवसेना के एक स्थानीय नेता की अगुआई में निकाला गया था.
लातूर जैसे इलाके में किसानों की कई समस्याएं हैं जिनमें एक सिंचाई भी है. पानी की घोर कमी होने के चलते किसानों को पैदावार लेने में दिक्कत आती है. इससे निपटने के लिए किसान बिजली पर ट्यूबवेल चलाते हैं. लेकिन जब बिजली का कनेक्शन हीं नहीं मिलेगा तो ट्यूबवेल कैसे चलेगा. किसानों का कहना है कि उन्होंने बिजली कनेक्शन का पैसा 2018 में ही दे दिया है, लेकिन अभी तक बिजली उनके घर और खेतों तक नहीं पहुंची.
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