देश में डेयरी उत्पादों का बहुत प्रयोग किया जाता है जिसमें से घी प्रमुख है. घी से कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं जिसके कारण इसकी बाजार मांग बनी रहती है. साथ ही घी को अच्छी कीमतों के साथ बाजार में बेचा जाता है. इस वजह से कुछ आरोपी नकली घी भी बनाकर बेचते हैं. नोएडा के वाजिदपुर गांव से भी नकली घी से जुड़ा एक मामला सामने आया है, जहां पर एक घर में नकली घी बनाया जा रहा था. सूचना मिलने पर खाद्य सुरक्षा विभाग और स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) की टीम ने दबिश देकर 240 किलो नकली घी पकड़ा है साथ ही 5 आरोपियों को भी हिरासत में लिया है.
मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी अक्षय गोयल ने मीडिया से बातचीत में बताया कि नोएडा के वाजिदपुर इलाके में एक घर में विकास अग्रवाल नाम का व्यक्ति फैक्ट्री चलाता था जिसके पास फैक्ट्री चलाने के कोई कागजात भी नहीं मिले हैं. सूचना मिलने पर हम वहां पहुंचे तो वहां 20 पेटी बरामद हुई. सभी पेटियों में 1-1 किलोग्राम के नकली घी से भरे 12 डिब्बे थे. आरोपी वनस्पति तेल में केमिकल का प्रयोग कर घी बनाते थे और जानी मानी कंपनियों का लेबल लगाकर महंगे दामों में बेचते थे. इस तरह का घी बनाने में करीब 200 रुपये प्रति किलो का खर्च आता था जिसे 600-700 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बाजारों में बेचा जाता था.
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एसटीएफ की टीम ने बताया कि यह कंपनी संभवत: इसी महीने शुरू हुई थी, आरोपियों के ऊपर एक्सप्रेस-वे थाने में शिकायत दर्ज कराई गई थी. साथ ही इस खेल में बाजार में कुछ व्यापारियों के लिप्त होने की भी जानकारी आरोपियों ने दी है.
डॉक्टरों के अनुसार इस तरह के नकली खाद्य पदार्थों के खान पान से शरीर पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है. लीवर और पेट संबंधी कई गंभीर बीमारियों के होने का खतरा रहता है. खाद्य विभाग ने बताया कि शुद्ध घी गर्म करने पर जल्दी ही पिघल कर भूरे रंग का हो जाता है. वहीं नकली घी पिघलने में थोड़ा समय लेता है और पीले रंग का हो जाता है.
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