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Poultry: 2030 के बाद कुल उत्पादन का 20-30 फीसद पर पहुंच जाएगा चिकन प्रोसेसिंग, पढ़ें डिटेल

Poultry: 2030 के बाद कुल उत्पादन का 20-30 फीसद पर पहुंच जाएगा चिकन प्रोसेसिंग, पढ़ें डिटेल

खाने-पीने की आदत बदलने और शहरी आबादी की संख्या बढ़ने के चलते घरेलू बाजार में चिकन (पोल्ट्री मीट) की डिमांड बढ़ी है. साल 2001-02 में चिकन का उत्पादन सिर्फ 10 लाख टन था. लेकिन अब ये 50 लाख टन को भी पार कर गया है. दूसरी ओर से इंटरनेशनल मार्केट में भी डिमांड बढ़ रही है. लेकिन कई बड़ी वजहों के चलते विदेशों से चिकन की डिमांड नहीं आ रही है. 

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चिकन प्रोसेसिंग यूनिट का प्रतीकात्मक फोटो. चिकन प्रोसेसिंग यूनिट का प्रतीकात्मक फोटो.

किसी भी दूसरे सेक्टर के मुकाबले पोल्ट्री सेक्टर तेजी से बढ़ने वाला सेक्टर बन चुका है. अंडा ही नहीं चिकन की डिमांड और प्रोडक्शन दोनों ही बढ़ रहे हैं. पोल्ट्री एक्सपर्ट की मानें तो बीते 20 से 25 साल में पोल्ट्री सेक्टर ने एक बड़ी छलांग लगाई है. आज देश में पोल्ट्री की कुल आबादी 85 करोड़ है. ये आंकड़ा साल 2019 की 20वीं पशुधन जनगणना का है. जबकि पोल्ट्री सेक्टर हर साल सात से आठ फीसद की दर से बढ़ रहा है. पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया के कोषाध्यक्ष रिकी थापर का कहना है कि अगर अंडे की बात करें तो बीते साल का उत्पादन 13 सौ करोड़ से ज्यादा का है. 

वहीं चिकन का उत्पादन बीते साल करीब 50 लाख टन हुआ है. विश्वस्तर पर भारत अंडा उत्पादन में दूसरे और मांस उत्पादन में पांचवें स्थान पर है. देश के कुल मीट उत्पादन में 52 फीसद से भी ज्यादा की हिस्सेदारी चिकन की है. अगर ये इसी रफ्तार से बढ़ता रहा तो छह साल यानि 2030 के बाद देश में चिकन प्रोसेसिंग का कारोबार कुल चिकन उत्पातन के 20 से 30 फीसद पर पहुंच जाएगा. 

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 RTC-RTE के चलते बढ़ेगा चिकन प्रोसेसिंग का कारोबार 

रिकी थापर ने किसान तक को बताया कि आज फास्टग फूड में चिकन की डिमांड लगातार बढ़ रही है. कोरोना के बाद से साफ-सफाई के चलते अब लोग स्ट्रीट कटर से मुर्गा कटवाना पसंद नहीं करते हैं. वहीं बड़े शहरों में नौकरी पेशा के सामने वक्त पर खाने-पीने की बड़ी परेशानी होती है. ऐसे में वो रेडी टू कुक और रेडी टू ईट की तरफ भाग रहे हैं. होम डिलीवरी ने भी फ्रोजन और पैक्ड चिकन की डिमांड बढ़ी है. लेकिन डिमांड में अभी वो रफ्तार नहीं है जो होनी चाहिए. इसके पीछे भी कोल्ड चैन समेत कई और वजह भी हैं. अभी ड्रेस चिकन यानि प्रोसेसिंग का आंकड़ा कुल चिकन उत्पादन का छह फीसद ही है. लेकिन, अगर कुछ बिन्दुओं पर काम किया जाए तो आने वाले छह साल बाद ये आंकड़ा 20 से 30 फीसद पर पहुंच सकता है. 

जरूरत है कोल्ड स्टोर और रेफ्रिजरेटर वैन की 

रिकी थापर ने बताया कि एक जानकारी के मुताबिक केएफसी भारत में अपना कारोबार बढ़ाने जा रहा है. एक ऐसा कारोबार जो कभी पहले चीन में हुआ करता था. ये तो रही एक केएफसी की बात, इसके अलावा मैक डोनाल्ट जैसे और भी हैं जहां फास्ट फूड में चिकन की डिमांड बढ़ रही है. केएफसी और उसकी तरह से काम करने वाले दूसरे लोगों को अपनी जरूरत के मुताबिक ड्रेस चिकन (प्लांट में कटा) की जरूरत होती है. ये लोग फ्रेश चिकन पसंद नहीं करते हैं.

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जैसे कुछ लोग दुकानों पर काटकर सीधे ग्राहक को बेच देते हैं. ऐसे लोगों को प्रोसेसिंग प्लांट का चिकन चाहिए. और इसके लिए सबसे पहले जरूरत होगी कोल्ड  स्टोरेज की. ऐसे कोल्ड स्टोर जहां माइनस 40 डिग्री में चिकन को रखा जा सके. इतना ही नहीं जब डिमांड आए तो उसी तरह की रेफ्रिजरेटर वैन भी हो. जिससे की माइनस 40 डिग्री तापमान के कोल्ड् स्टोर से निकले चिकन को रेफ्रिजरेटर वैन में भी उसी तापमान पर रखकर पार्टी का आर्डर पूरा कर दिया जाए. अभी इस तरह के कोल्डो स्टोर और रेफ्रिजरेटर वैन हमारे पास कम हैं. लेकिन आने वाले वक्त में डिमांड के मुताबिक इनकी बहुत जरूरत पड़ेगी.