देश में कई लोग ऐसे हैं जो खेती की आड़ में इनकम टैक्स की चोरी कर रहे हैं. इनकम टैक्स बचाने के लिए वो खेती वाली जमीन में कई अलग-अलग चीजों को करके टैक्स देने से बच जाते हैं. लेकिन अब उन्हें सावधान होने की जरूरत है. ऐसा इसलिए क्योंकि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट यानी आयकर विभाग ने ऐसे लोगों को पकड़ने का एक अनोखा तरीका ढूंढ निकाला है. आयकर विभाग अब खेती की आड़ में इनकम टैक्स की चोरी कर रहे लोगों को सैटेलाइट इमेजरी के इस्तेमाल से पकड़ रहा है. ऐसा ही एक मामला हैदराबाद में देखने को मिला है. आइए जानते हैं.
हैदराबाद में इनकम टैक्स का एक अनोखा मामला सामने आया है. यहां के एक किसान ने इनकम टैक्स में छूट के लिए हैदराबाद और उसके आस-पास की कृषि भूमि के लिए 7 लाख रुपये प्रति एकड़ खेती की आमदनी और 1 लाख रुपये प्रति एकड़ किराये की आमदनी का दावा किया. लेकिन अब, सैटेलाइट इमेजरी का उपयोग करते हुए, आयकर विभाग (इनकम टैक्स डिपार्टमेंट) ने पाया है कि ये आंकड़ा मेल नहीं खाता है. बता दें कि खेती की आमदनी पर इनकम टैक्स और जीएसटी दोनों ही नहीं लगता. ऐसे में लोग खेती की आमदनी का इस्तेमाल ब्लैक मनी को सफेद करने और टैक्स बचाने के लिए करते रहे हैं.
'टाइम्स ऑफ इंडिया' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अब इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ऐसे मामलों को लेकर पूरे देश में छानबीन कर रहा है. वहीं, कई राज्यों में ऐसे मामले सामने आए हैं जहां लोगों और कंपनियों ने बिना जमीन के ही 50 लाख रुपये या उससे ज्यादा की खेती की आमदनी दिखाई है. वहीं, पिछले कुछ दिनों में ये किसान उन लगभग 50 व्यक्तियों में शामिल हैं, जिन्हें आयकर जांच (हैदराबाद) इकाई द्वारा 50 लाख रुपये प्रति वर्ष या 5 लाख रुपये प्रति एकड़ या उससे अधिक की खेती में आमदनी के लिए नोटिस भेजा गया है.
हैदराबाद इकाई की जांच फर्जी खेती में आमदनी करने वालों के लिए एक देशव्यापी कार्रवाई का हिस्सा है. बता दें कि कई राज्यों में लोगों ने उचित सीमा से कहीं ज़्यादा कृषि आय की सूचना दी, जिससे उनके इनकम रिटर्न का दोबारा मूल्यांकन किया जा रहा है. ये जांच विशेष रूप से दो राज्य तेलंगाना और मध्य प्रदेश में किया जा रहा है. वहीं, हैदराबाद और विशाखापत्तनम के जमीन के मालिक पर केंद्रित है.
ये भी पढ़ें:- महाराष्ट्र में शक्तिपीठ हाईवे का विरोध, मुंबई पहुंचे किसानों ने सरकार को दी कड़ी चेतावनी
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट कई ऐसे मामलों पर भी नजर रखे हुए है जहां 5 लाख रुपये प्रति एकड़ की फर्जी खेती की आमदनी दिखाई गई है. ये आंकड़े आम चलन और सरकारी आंकड़ों से बिल्कुल मेल नहीं खाते हैं. सैटेलाइट इमेजरी का उपयोग करते हुए आयकर विभाग ने पाया है कि पिछले कुछ वर्षों में कुछ खेती वाली जमीन पर खेती नहीं की गई है, जबकि अन्य को रियल एस्टेट में बदल दिया गया है और खेती की आमदनी का दावा करना जारी रखा गया है. बता दें कि अगर विभाग इस मामले की गहराई से जांच करे तो कई बड़े नेता और रसूखदार लोग जमीन के मालिक हो सकते हैं.
जांच के लिए चिह्नित 150 मामलों में, जांचकर्ताओं को कई ऐसे उदाहरण मिले, जहां जमीन के मालिकों ने खेती के सबूत के बिना बड़ी खेती में आमदनी घोषित की है. एक मामले में एक टैक्सपेयर जिसने कृषि भूमि को छोटे-छोटे प्लॉट में परिवर्तित करके बेचा और लेनदेन पर टैक्स छूट का दावा करना जारी रखा. वहीं, इसे बिजनेस में कमाई के बजाय खेती की आमदनी माना. अधिकारियों ने बताया कि पूंजीगत लाभ पर छूट केवल खेती के लिए वास्तव में उपयोग की जाने वाली भूमि पर लागू होती है, न कि अचल संपत्ति वाली जमीन पर.
जमीन की प्लॉटिंग और बिक्री, शहर की जमीन बेचना, कमर्शियल इस्तेमाल के लिए फार्म हाउस किराए पर देना, मुर्गी पालन और ऐसी ही दूसरी गतिविधियों से होने वाली आमदनी खेती से मिलने वाली आमदनी में शामिल नहीं है, इस पर टैक्स देना होता है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today