Fish: बरसात में ऐसे सुखाएं मछली तो मंदा नहीं पड़ेगा धंधा, जानें डिटेल

Fish: बरसात में ऐसे सुखाएं मछली तो मंदा नहीं पड़ेगा धंधा, जानें डिटेल

एक्सपोर्ट मार्केट में ड्राई फिश (सूखी मछली) की खूब डिमांड थी. लेकिन भारत की सूखी मछली खरीदने को कोई तैयार नहीं होता था. वजह थी हमारे देश में मछली सुखाने के तौर-तरीके पुराने थे और एक्सपोर्ट के मानकों पर हमारी सूखी मछली फेल हो जाती थी. लेकिन जैसे ही मछली सुखाने के तरीके बदले गए तो सूखी मछली का एक्सपोर्ट 5.5 हजार करोड़ रुपये पर पहुंच गया.

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Fish: बरसात में ऐसे सुखाएं मछली तो मंदा नहीं पड़ेगा धंधा, जानें डिटेलये है तैयार सोलर ड्रायर. फोटो क्रेडिट-किसान तक

सूखी मछली (ड्राई फिश) की डिमांड देश ही नहीं विदेशों में भी बहुत है. अगर मछली अच्छे हाईजीनिक तरीके से सुखाई गई है तो उसके दाम भी बढ़िया मिलते हैं. देश में सूखी मछली के एक्सपोर्ट की बात करें तो एक साल में 5.5 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का है. गर्मी में तो मछली आसानी से सूख जाती है. लेकिन सर्दी के मुकाबले बरसात के मौसम में सबसे ज्यादा परेशानी मछली को सुखाने की आती है. मच्छर-मक्खी  का प्रकोप बढ़ने के साथ ही और दूसरे तरीके के कीट-पतंगे भी इस दौरान सक्रिय हो जाते हैं. लेकिन बहुत ही सस्ते और आसान से तरीके को अपनाया जाए तो बरसात के मौसम में भी मछलियों को सुखाया जा सकता है. 

सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट हार्वेस्ट इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (CIPHET), लुधियाना समेत दूसरे संस्था़नों ने नई-नई टेक्नोलॉजी तैयार की तो छोटे से छोटे मछुआरों ने भी साइंटीफिक तरीके से मछली सुखाना शुरू कर दिया. इसी का नतीजा है कि साल 2022-23 में देश ने 5.5 हजार करोड़ रुपये की सूखी मछली का एक्सपोर्ट किया है. बड़ी बात ये है कि एक ही साल में भारत ने इस आंकड़े को डबल पर पहुंचा दिया है. ये आंकड़ा मत्स्य-पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने जारी किया है. मंत्रालय का कहना है कि इस आंकड़े में ड्राई झींगा एक्सपोर्ट के आंकड़े शामिल नहीं हैं. 

सोलर टेंट ड्रायर में सूखेंगी मछलियां 

सीफेट के प्रिंसीपल साइंटिस्ट डॉ. अरमान मुजाद्दादी ने किसान तक को बताया कि समुद्र के किनारे रेत पर और नदी के किनारे भी खुले में छोटी-छोटी मछलियां सुखाई जाती है. यह एक पुराना तरीका है और इसमे साफ-सफाई का कोई ख्याल नहीं रखा जाता है. धूल-मिट्टी आने के साथ ही मछलियों पर मक्खियां भी बैठती हैं. कई बार देखा गया है कि मक्खियां इस पर अंडे भी दे देती हैं और यह बीमारियों की एक बड़ी वजह बनती है.

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कई बार तो मौसम खराब होने पर कई-कई दिन तक मछलियां सूखती नहीं हैं. हमने मछलियां को सुखाने के लिए एक सोलर टेंट ड्रायर बनाया है. इसमे किसी भी तरह की मशीन की जरूरत नहीं है. यह सामान्य चीजों से ही बनाया गया है. बस बनाने के दौरान कुछ खास बातों का ख्याल रखा गया है. 

ऐसे काम करता है सीफेट का सोलर टेंट ड्रायर 

डॉ. अरमान ने बताया कि सोलर टेंट के एक हिस्से को पारदर्शी रखा गया है. यहां से धूप पूरी तरह टेंट के अंदर जाती है. टेंट के अंदर का हिस्सा पूरी तरह से काले रंग का है. काला रंग धूप की गर्मी अंदर की ओर खींचता है. जिससे टेंट के अंदर गर्मी बढ़ जाती है और हवा भी गर्म हो जाती है. ऐसा होने पर मछली सूखने की प्रक्रिया तेज हो जाती है.

टेंट के अंदर मछलियों को रखने के लिए चार सेल्फ बनाई गई हैं. सभी सेल्फ में मछली रखी जा सकती हैं. सेल्फ जाली की है. जिसका फायदा यह होगा कि सूखने पर कभी-कभी मछली में से पानी टपकता है तो वो जाली के पार हो जाएगा. टेंट की ऊंचाई एक सामान्य इंसान को ख्याल में रखते हुए ही रखी गई है. 

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सूखी मछली के एक्सपोर्ट में 58 फीसद की हुई बढ़ोतरी 

मत्स्य-पशुपालन और डेयरी मंत्रालय की ओर से जारी की गई रिपोर्ट की मानें तो सूखी मछली का एक्सपोर्ट डबल से ज्यादा बढ़ा है. अगर रुपये में बात करें तो 5503 करोड़ रुपये की सूखी मछली एक्सपोर्ट की गई है. साल 2021-22 के मुकाबले इस आंकड़े में 58.51 फीसद की बढ़ोतरी हुई है. और अगर मात्रा के हिसाब से बात करें तो 62.65 फीसद की बढ़ोतरी हुई है. सी फूड इंडस्ट्री  के लिए ये एक बड़ी खुशखबरी है. ड्राई आइटम में कटलफिश, सुरमी और आक्टोपस आदि हैं. 
 

 

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