ऑर्गेनिक वो शब्द है जिसे किसी भी प्रोडक्ट के साथ जोड़ते ही उसके दाम दो से तीन गुना तक बढ़ जाते हैं. ऐसा ही कुछ दूध के साथ भी है. आजकल खुले बाजार में और आनलाइन ऑर्गेनिक बताकर दूध की खूब बिक्री हो रही है. लेकिन जो ऑर्गनिक दूध हम खरीद रहे हैं क्या वो वाकई ऑर्गनिक है, क्या दूध उत्पादन के लिए ऑर्गेनिक के नियमों का पालन किया गया है. ऐसा ही कुछ कुछ बातों को जानकर ये तसल्ली की जा सकती है कि खरीदा गया दूध ऑर्गेनिक है या नहीं.
घर बैठकर भी इसकी जांच की जा सकती है. एक्सपर्ट की मानें तो गाय-भैंस ही नहीं बकरी का दूध भी ऑर्गेनिक बताकर बेचा जा रहा है. ऐसी बहुत सी कंपनी हैं जो दूध को ऑर्गेनिक बताकर बेच रही हैं. लेकिन उनके द्वारा बेचा जा रहा दूध ऑर्गेनिक है या नहीं इसका उनके पास कोई प्रमाण नहीं है, दूध ऑर्गेनिक होने का वो सिर्फ दावा कर रहे हैं. ऐसा इसलिए है कि अभी तक किसी भी सरकारी संस्थान ने दूध के ऑर्गेनिक होने का प्रमाण पत्र किसी को नहीं दिया है.
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हाल ही में राष्ट्रीय जैविक एवं प्राकृतिक खेती केन्द्र (एनसीओएफ) ने एक बड़ी घोषणा की थी. संस्थान के मुताबिक एनसीओएफ दूध को भी ऑर्गेनिक होने का प्रमण पत्र देगा. यह प्रमाण पत्र पशु के नाम पर दिया जाएगा. कई स्तर की जांच के बाद यह प्रमाण पत्र दिया जाएगा. एनसीओएफ नेशनल डेयरी डवलपमेंट बोर्ड और केन्द्र के पशुपालन विभाग के साथ मिलकर प्रमाण पत्र देने का काम शुरू करने जा रहा है.
एनसीओएफ की घोषणा के अनुसार गाय-भैंस और बकरी समेत ऊंट को भी ऑर्गेनिक दूध का सर्टिफिकेट दिया जाएगा. अगर पशु पालक संस्थान के बताए नियमों का पालन करेगा तभी उसे सर्टिफिकेट मिलेगा. और जिसके पास ये सर्टिफिकेट होगा वहीं दूध के ऑर्गेनिक होने का दावा कर सकेगा. इसलिए ऑर्गेनिक दूध खरीदने से पहले ये सर्टिफिकेट जरूर देंगे.
केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा के सीनियर साइंटिस्ट डॉ. आरिफ ने बताया कि हमारे संस्थान में भी काफी वक्त से बकरियों के ऑर्गेनिक चारे पर काम चल रहा है. किसी भी पशु को ऑर्गेनिक का सर्टिफिकेट देने से पहले यह देखा जाता है कि गाय-भैंस हो या बकरी उसे जो चारा खाने में दिया जा रहा है वो पूरी तरह से ऑर्गेनिक है या नहीं. दूसरा यह कि जहां भी वो ऑर्गेनिक चारा उगाया जा रहा है उसके आसपास दूसरी फसल में पेस्टी साइट का इस्तेमाल तो नहीं किया जा रहा है. क्योंकि ऐसा होने पर फसल के हिसाब से नियमानुसार एक दूरी रखनी पड़ती है.
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इसके अलावा पशुओं को दी जाने वाली वैक्सीन, बीमारी में दी जा रहीं दवाओं को भी चेक किया जाता है. बनाई गई गाइड लाइन के हिसाब से ही पशुओं को दवा दी जाती है. कुछ बीमारियों में तो सिर्फ हर्बल दवा खिलाने के ही निर्देश होते हैं. पशुओं को जो दाना यानि फीड दिया जाता है उसकी भी जांच होती है. फीड बनाने में किसी तरह के केमिकल का इस्तेमाल तो नहीं किया जा रहा है. और ऐसा भी नहीं है कि आज से आपने पशुओं को ऑर्गेनिक चारा देना शुरू किया तो वो कल से ऑर्गेनिक दूध देना शुरू कर देंगे. इसके लिए भी नियमानुसार पशुओं के हिसाब से दिन तय किए जाते हैं.
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