देश भर के आम के पेड़ों पर इस आम पक रहे हैं, लेकिन इस समय ध्यान रखना अहम है ताकि फल अच्छी गुणवत्ता का हो और नुकसान कम से कम हो. जुलाई माह की भारी बारिश की वजह से कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं. मौसम विभाग ने इस मौसम में अधिकतम तापमान लगभग 40 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 25 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना व्यक्त की है. इस बारिश और तापमान के बीच पक रहे आम में कुछ रोग और बीमारियों के कारण उसकी गुणवत्ता और उपज, दोनों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. इसके कारण आम को बाजार में उचित दाम नहीं मिल पाता. लेकिन कृषि वैज्ञानिकों द्वारा दिए गए सुझावों पर अमल करके इस नुकसान से बचा जा सकता है.
सीआईएसएच, लखनऊ के अनुसार इस बारिश के मौसम में आम में एल्डर ब्राउनिंग रोग के प्रकोप के कारण फल अंदर से भूरा या काला हो जाता है. पकने पर रोगग्रस्त फल सड़ने लगते हैं. यह रोग मुख्य रूप से चौसा, लखनऊ सफेदा, आम्रपाली, मल्लिका आदि किस्मों में ज्यादा देखा जाता है. इस रोग का प्रकोप उन क्षेत्रों में होता है जहां बरसात के दिनों में सात से आठ दिन में 70 मिमी या इससे अधिक बारिश होती है. यह बीमारी गंभीर रूप धारण कर लेती है.
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इसके समाधान के लिए बारिश शुरू होने या फल तोड़ने से पहले फलों को 8×12 इंच के पेपर बैग में ढक दें या फल तोड़ाई के 21 दिन पहले फंजीसाइड दवा प्रोपेनेब 2 मिलीलीटर या डाइफेनोकोनाजोल 5 मिलीलीटर को 1 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें. इस समय आम पर अधिक बारिश से काली फफूंदी और सूटीमोल्ड कीट का भी प्रकोप हो सकता है. इसे रोकने के लिए फल तोड़ाई के 21 दिन पहले फंजीसाइड दवा प्रोपेनेब 2 मिलीलीटर या डाइफेनोकोनाजोल 5 मिलीलीटर को 1 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें.
आम के फलों पर इस समय एन्थ्रेक्नोज रोग का प्रकोप हो सकता है. यह मुख्य रूप से फलों के डंठल पर या पकने के दौरान होता है. रोगग्रस्त फलों पर काले धब्बे या गहरे भूरे रंग के धब्बे दिखाई देने लगते हैं. संक्रमण के कारण फल सड़ जाता है. यह रोग पेड़ पर लगे फलों और फल पकने वाले स्टोर में भी हो सकता है. फंगल रोगजनक संक्रमण के कारण ऐसा होता है. यह रोग बरसात और बादल वाले मौसम में तेजी से फैलता है. अगर आप पकाने के लिए स्टोर में रखने जा रहे हैं तो इसके पहले कच्चे फलों को 52 डिग्री सेल्सियस तापमान वाले पानी में 10 मिनट तक उपचारित करें. इसके बाद फल पकाने के लिए स्टोर में रखें. फलों की तुड़ाई से पहले थायोफनेट मिथाइल या कार्बेन्डाजिम का बाग में तुड़ाई से पहले छिड़काव करने से संक्रमण को कम किया जा सकता है.
सीआईएसएच, लखनऊ के मुताबिक इस समय बागों में आम के फल पक रहे हैं. फल तुड़ाई के समय कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए जिससे बाजार में बेहतर दाम मिल सके. कोई भी फल बौर में निकलने के बाद लगभग 12 से 15 सप्ताह में पक जाता है. दशहरी और लंगड़ा किस्मों को 12 सप्ताह लगते हैं, जबकि चौसा और मल्लिका किस्मों को लगभग 15 सप्ताह लगते हैं. आम के फल पकने पर गुठली सख्त हो जाती है और गूदा सफेद से क्रीम रंग में बदल जाता है. पके फल पानी में डालने पर डूब जाते हैं, इसे एक संकेत माना जाता है.
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आम तोड़ने के लिए सीआईएसएच लखनऊ ने पोर्टेबल हार्वेस्टर विकसित किया है जिससे आम की आसानी से तुड़ाई की जा सकती है. इसमें आम को किसी तरह का नुकसान नहीं होता है और यह एक घंटे में लगभग 600 फल तोड़ सकता है. फलों की तुड़ाई के बाद उन्हें छायादार जगह पर नायलॉन की चटाई, कपड़े की चादरें और साफ अखबार पर रखें. फलों को मिट्टी के संपर्क में नहीं आना चाहिए. इन सभी सावधानियों का पालन करके आप आम के फलों की गुणवत्ता और उत्पादन को बनाए रख सकते हैं. सही देखभाल और प्रबंधन से फलों को नुकसान से बचाया जा सकता है और उनका बाजार मूल्य बढ़ाया जा सकता है.
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