अमरावती में नहीं थम रही किसानों की आत्‍महत्‍या, 9 महीने में 193 लोगों ने की खुदकुशी

अमरावती में नहीं थम रही किसानों की आत्‍महत्‍या, 9 महीने में 193 लोगों ने की खुदकुशी

महाराष्‍ट्र हर साल सूखे और प्राकृतिक आपदाओं से जूझता है. इस साल भी यहां कहीं सूखे और कहीं भारी बारिश और बाढ़ ने फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है, जिससे किसान बुरी तरह प्रभावि‍त हुए हैं. इस साल राज्‍य के अमरावती में 30 सि‍तंबर तक 193 किसान आत्‍महत्‍या कर चुके हैं.

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अमरावती में नहीं थम रही किसानों की आत्‍महत्‍या, 9 महीने में 193 लोगों ने की खुदकुशीअमरावती में 9 महीने में 193 किसान खुदकुशी कर चुके हैं. (सांकेतिक तस्‍वीर)

अमरावती जिले में किसानों की आत्महत्या के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. इस साल 1 जनवरी से लेकर 30 सितंबर तक कुल 193 किसानों ने आत्महत्या की है. प्रशासन की ओर से 77 मामलों को पात्र घोषित किया गया है, जिनके परिवारों को सरकारी सहायता मिलनी है, जबकि 46 मामलों को अपात्र करार दिया गया है. वहीं, 70 आत्महत्याओं के मामले अभी भी जांच के लिए लंबित हैं. प्रशासन और सरकार की ओर से आत्महत्या रोकने के लिए कई उपाय किए जा रहे हैं, लेकिन आंकड़ों में कमी नहीं आ रही है.

भारी बारिश और खराब मौसम से फसलें बर्बाद हुईं

यह स्थिति बेहद चिंताजनक है, क्योंकि किसानों के जीवन में चुनौतियों और समस्याओं का सामना करने के लिए कोई स्थायी समाधान नहीं निकल पा रहा है. इस साल भी प्राकृतिक आपदाओं के कारण जिले में बड़े पैमाने पर किसानों की फसलें बर्बाद हुई हैं. लगातार अधिक बारिश और खराब मौसम ने फसलों की पैदावार को बुरी तरह प्रभावित किया है.

किसानों को फसल की कम पैदावार और कृषि साधनों पर बढ़ते खर्चों के चलते कर्ज का बोझ झेलना पड़ रहा है. उर्वरक, कीटनाशक और अन्य कृषि संसाधनों की महंगाई के साथ-साथ फसल के उचित दाम न मिलना किसानों की आर्थिक समस्याओं को और बढ़ा रहा है.

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लगातार बढ़ रहे आत्‍महत्‍या के मामले 

बच्चों की शिक्षा, सामाजिक और पारिवारिक दायित्वों का बोझ, बैंक या साहूकार से लिए गए कर्ज का दबाव और फसल के नुकसान ने किसानों को मानसिक रूप से इतना परेशान कर दिया है कि वे आत्महत्या जैसे कठोर कदम उठा रहे हैं. सरकार की ओर से मृतक किसानों के परिवारों को सहायता दी जाती है, जिसमें प्रारंभिक रूप से ₹30,000 की राशि और आठ दिनों के भीतर ₹70,000 उनके खाते में जमा किए जाते हैं.

हालांकि, अभी तक कितने परिवारों को यह सहायता प्राप्त हुई है, इसका सटीक आंकड़ा प्रशासन ने उपलब्ध नहीं कराया है. किसानों की आत्महत्या के लगातार बढ़ते आंकड़े राज्य और केंद्र सरकार के लिए गंभीर चिंता का विषय बने हुए हैं. बता दें कि देश में सबसे ज्‍यादा आत्‍महत्‍या के मामले महाराष्‍ट्र से ही सामने आते हैं.

महराष्‍ट्र का एक बड़ा हिस्‍सा सूखे की चपेट में रहता है. ऐसे में किसान ठीक से खेती नहीं कर पाते हैं. उनके पास आय का अन्‍य कोई विकल्‍प नहीं होता है. वहीं, इस बार भारी बारिश और बाढ़ ने फसलों को काफी नुकसान पहुंचाया है. यहां के किसान प्राकृतिक आपदाओं से बहुत ज्‍यादा प्रभावित रहते हैं.

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