किसान कपास की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं, जानिए इसकी उन्नत किस्म और मिट्टी के बारे में 

किसान कपास की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं, जानिए इसकी उन्नत किस्म और मिट्टी के बारे में 

देश में कुल कपास के क्षेत्रफल में 88 फीसदी रकबे में बीटी कॉटन की खेती होती है और किसानों को इसे अच्छा उत्पादन भी मिलता है. इस समय किसान आगामी खरीफ सीजन में अधिक से अधिक रकबे में कपास की खेती की योजना बना रहे हैं. ऐसे में किसान कपास की उन्नत किस्मों की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. 

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किसान कपास की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं, जानिए इसकी उन्नत किस्म और मिट्टी के बारे में कपास की इन किस्मों से मिलती है अच्छी पैदावार

कपास की बुवाई का वक्त आ गया है. कई राज्यों में इसकी शुरुआत भी हो चुकी है. इसका उपयोग कपड़ा बनाने में किया जाता है. साथ ही कपास के बीजों से तेल भी बनाय जाता है. यही वजह है कि बाजार में कपास की कीमतें अच्छी बनी रहती हैं. कपास दुनिया की महत्वपूर्ण फसलों में गिनी जाती है. अगर क्षेत्रफल के लिहाज से बात करें तो भारत में कपास की खेती  सबसे अधिक होती है. अपने यहां किसान बीटी कॉटन की खेती बड़े पैमाने पर करते हैं.

कुल कपास के क्षेत्रफल में 88 फीसदी रकबे में बीटी कॉटन की ही खेती होती है और किसानों को अच्छा उत्पादन भी मिलता है.कपास को सफेद सोना भी कहा जाता है. किसान आगामी खरीफ सीजन में अधिक से अधिक रकबे में कपास की खेती की योजना बना रहे हैं. ऐसे में इस लेख में दिये जानकारी के जारिए आसान तरीके से कपास की खेती कर अच्छा उत्पादन पा सकते हैं. 

कैसा होनी चाहिए मौसम और जलवायु

जिन क्षेत्रों में सिंचाई की व्यवस्था है, वहां कपास मध्य मई से जून के पहले हफ्ते तक बोई जाती है जबकि वर्षा आधारित इलाकों में मॉनसून सक्रिय होने के बाद बुवाई की जा सकती है. इन क्षेत्रों के किसान मध्य जून से लेकर जुलाई के पहले हफ्ते बुवाई कर सकते हैं. कपास की उत्तम फसल के लिए आदर्श जलवायु का होना आवश्यक है.  फसल के उगने के लिए कम से कम 16 डिग्री सेंटीग्रेट और अंकुरण के लिए आदर्श तापमान 32 से 34 डिग्री सेंटीग्रेट होना उचित है. इसकी बढ़वार के लिए 21 से 27 डिग्री तापमान चाहिए. फलन लगते समय दिन का तापमान 25 से 30 डिग्री सेंटीग्रेट तथा रातें ठंडी होनी चाहिए. कपास के लिए कम से कम 50 सेंटीमीटर वर्षा का होना आवश्यक है. 125 सेंटीमीटर से अधिक वर्षा का होना हानिकारक होता है. 

कैसे करें खेती की तैयारी 

गर्मी में जुताई के फौरन बाद एक एकड़ खाली खेत में 1 क्विंटल नीम की खली डालें. किसान चाहें तो पांच किलो नीम का बीज भी पीस कर डाल सकते हैं या एक लीटर प्रति एकड़ के हिसाब से नीम का तेल भी कारगर साबित हो सकता है. ऐसा करने से मिट्टी में कीटों के अंडे और बीमारी फैलाने वाले कारक नष्ट हो जाते हैं. अगर आप असिंचित क्षेत्र में रह रहे हैं तो क्यारियों की लंबाई 3.6 फूट और चौड़ाई 1.6 फूट रखें जबकि सिंचित अवस्था में लंबाई और चौड़ाई 4-4 फूट रख सकते हैं. असिंचित अवस्था में पौधों के बीच दूरी 2 फूट होगी जबकि सिंचित अवस्था में 3.6 से 4 फूट रख सकते हैं. बीज को 5 से 6 इंच गहरा गड्ढा बनाकर बोना है, लेकिन बोने से पहले गोबर की खाद और जिप्सम जरूर डालें. एक बीघे के लिए जिप्सम के दो बैगों की जरूरत होगी.

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कपास की खेती के लिए भूमि का चुनाव

कपास के लिए अच्छी जलधारण और जल निकास क्षमता वाली भूमि होनी चाहिए. जिन क्षेत्रों में वर्षा कम होती है, वहां इसकी खेती अधिक जल-धारण क्षमता वाली मटियार भूमि में की जाती है. जहां सिंचाई की सुविधाएं उपलब्ध हों वहां बलुई एवं बलुई दोमट मिटटी में इसकी खेती की जा सकती है. यह हल्की अम्लीय एवं क्षारीय भूमि में उगाई जा सकती है. इसके लिए उपयुक्त पी एच मान 5.5 से 6.0 है. हालांकि इसकी खेती 8.5 पी एच मान तक वाली भूमि में भी की जा सकती है.

कपास की उन्नत किस्म

अच्छी फसल और पैदावार के लिए बीजों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है. अलग-अलग क्षेत्रों के लिए अमेरिकन कपास की उन्नत किस्में लगा सकते हैं. अगर कुछ महत्वपूर्ण उन्नत किस्मों की बात करें तो पूसा 8-6, एलएस- 886, एफ- 286, एफ- 414, एफ- 846, गंगानगर अगेती, बीकानेरी नरमा, गुजरात कॉटन-14, गुजरात कॉटन- 16 और एलआरके- 516 मौजूद है. अगर संकर किस्मों की खेती करना चाहते हैं तो फतेह, एलडीएच- 11, एलएच- 144, धनलक्ष्मी, एचएचएच- 223, सीएसएए- 2, उमाशंकर, राज एचएच- 116 और जेकेएचवाई-1 लगा सकते हैं. अगर देसी किस्मों की बुवाई करनी है तो इसमें एचडी- 1, एचडी- 107, एच- 777, एच- 974, डीएस- 5 और एलडी- 230 महत्वपूर्ण है.

 

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