बकरीद पर बढ़ रही है भेड़ (दुम्बा) की कुर्बानी, जानें किस नस्ल का कहां मिलेगा

बकरीद पर बढ़ रही है भेड़ (दुम्बा) की कुर्बानी, जानें किस नस्ल का कहां मिलेगा

केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा के प्रिंसीपल साइंटिस्ट डॉ. गोपाल दास ने किसान तक को बताया कि मुजफ्फरनगरी भेड़ के मीट में चिकनाई (वसा) बहुत होती है. मुजफ्फरनगरी भेड़ के मीट को बहुत पसंद किया जाता है. इसके अलावा आंध्रा प्रदेश में क्योंकि बिरयानी का चलन काफी है तो चिकने मीट के लिए भी इसी भेड़ के मीट की डिमांड रहती है. जानकार बताते हैं कि चिकने मीट की बिरयानी अच्छी बनती है.

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बकरीद पर बढ़ रही है भेड़ (दुम्बा) की कुर्बानी, जानें किस नस्ल का कहां मिलेगाभेड़ का प्रतीकात्मक फोटो. फोटो क्रेडिट-किसान तक

भेड़ इंसान के एक नहीं तीन-तीन काम आती हैं. दूध पिलाने के साथ ही सर्दी से बचने के लिए ऊन भी देती हैं. वहीं स्वाद और पेट भरने के लिए भेड़ का मीट भी खाया जाता है. कम मात्रा में ही सही भेड़ का मीट एक्सपोर्ट भी होता है. भेड़ पालकों के लिए अच्छी  बात ये है कि बकरीद पर भेड़ (दुम्बाक) की डिमांड भी बढ़ रही है. आंध्रा प्रदेश और ठंडे पहाड़ी इलाकों में तो ज्यापदातर दुम्बाई की कुर्बानी ही दी जाती है. भारत में 26 नस्ल की भेड़ पाली जाती हैं. किसी को ज्यादा ऊन के लिए पाला जाता है तो किसी को दूध और मीट के लिए. सबसे ज्यादा भेड़ पालन राजस्थान में होता है. 

जोधपुर के ढाणी गांव में भी चरवाहों की पूरी एक बिरादरी रहती है. जयपुर से करीब 80 किमी दूर अविकानगर में भेड़ों की सबसे अच्छी नस्ल अविसान पाई जाती है. इस नस्ल को दूसरे राज्यों में भी पाला जाता है. बीकानेरी, चोकला, मागरा, दानपुरी, मालपुरी तथा मारवाड़ी नस्ल की भेड़ो की दूसरे राज्यों् में भी बहुत डिमांड रहती है. इस खबर में हम आपको बता रहे हैं कि किस नस्ल  की भेड़ देश में कहां मिलेगी.  

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राजस्थान के सरकारी सेंटर जहां से नस्लीय भेड़ मिलती हैं-  

केंद्रीय भेड़ और ऊन अनुसंधान संस्थान, अविकानगर, टोंक, राजस्थान

भेड़ और ऊन प्रशिक्षण संस्थान, जयपुर, राजस्थान

केन्द्रीय ऊन विकास बोर्ड, जोधपुर राजस्थान

केन्द्रीय ऊन विश्लेषण प्रयोगशाला, बीकानेर राजस्थान

केंद्रीय भेड़ प्रजनन फार्म, हिसार हरियाणा.

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भेड़ की नस्ल और कहां पाली जाती हैं- 

मुजफ्फरनगरी भेड़

जैसा इसका नाम है ठीक उसके मुताबिक ये नस्ल  यूपी के मुजफ्फरनगर में सबसे ज्याेदा पाई जाती है. भेड़ों में ये एक ऐसी नस्लम है जिसकी ऊन किसी काम नहीं आती है. वजन में भी ये सबसे ज्याभदा होती है. इसे खासतौर पर मीट के लिए पसंद किया जाता है. 

पूगल नस्ल  

यह भेड़ सर्वाधिक जैसलमेर, बीकानेर तथा नागौर जिलों में पाली जाती है.

सोनारी नस्ल

 इसका उपनाम चनोथर भेड़ है. यह सबसे ज्यादा बूंदी, झालावाड़, कोटा, उदयपुर जिलों में पाली जाती हैं. इसके कान चरते वक्त जमीन को छूते हैं.

मारवाड़ी नस्ल 

यह भेड़ सर्वाधिक जैसलमेर, जोधपुर, जयपुर, जालोर, बाड़मेंर, झुन्झुनू, दौसा, सीकर, पाली जिलों में पाई जाती है. इसकी इम्यूनिटी पॉवर सभी भेड़ों से ज्यादा होती है. 

मगरा नस्ल  

यह भेड़ सर्वाधिक बाड़मेर, बीकानेर, जैसलमेर जिलों में पाई जाती है. इनकी ऊन से कालीन (चटाई) बनाई जाती है.

चोकला नस्ल  

इस भेड़ का सर्वाधिक पालन शेखावाटी, बीकानेर, नागौर, जयपुर में होता है. इस भेड़ की ऊन भारत एवं राजस्थान में सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है, इसलिए चोकला भेड़ को भारत की मेरीनो भी कहा जाता है.

नाली नस्ल  

इसका पालन सर्वाधिक गंगानगर और हनुमानगढ़ में होता है.

जैसलमेरी नस्ल  

यब भेड़ जैसलमेर जिले में पाई जाती है. यह राजस्थान में सर्वाधिक ऊन देने वाली भेड़ है. सबसे  लम्बी ऊन भी जैसलमेरी भेड़ की होती है.

खेरी नस्ल  

राजस्थान में खेरी भेड़ सर्वाधिक जोधपुर, नागौर तथा पाली जिलों में पाई जाती है. यह सफेद ऊन के लिए काफी प्रसिद्ध है.

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