ज्यादातर लोग छत्तीसगढ़ राज्य को नक्सलवाद की वजह से जानते हैं. पर अब छत्तीसगढ़ में इस गांव के लोगों ने नया मुकाम हासिल किया है. दरअसल छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से करीब 45 किलोमीटर दूरी पर बसे तुलसी गांव की आबादी करीब 6000 है. कमाल की बात ये है कि इस गांव में करीब 1100 यूट्यूबर्स रहते हैं. यहां के लोगों ने कई यूट्यूब चैनल बनाए हैं. बताया जाता है कि यहां हर घर में यूट्यूबर्स रहते हैं. गांव में 85 साल के बुजुर्ग वीडियो बनाते हैं, तो 5 साल का बच्चा भी यू ट्यूब के लिए एक्टिंग करता दिखाई देता है.
तुलसी गांव में यूट्यूब चैनल को सबसे पहले दो दोस्त जय और ज्ञानेंद्र ने शुरू किया था. जय वर्मा ने बताया कि कैसे उन्होंने यूट्यूब चैनल शुरू किया और कैसे ये गांव यूट्यूबर्स के नाम से जाना जाने लगा. जय ने बताया कि उन्होंने 2016 में यूट्यूब शुरू किया था. बचपन से एक्टिंग का शौक रखने वाले जय वर्मा पहले कोचिंग सेंटर चलाते थे, लेकिन फिल्मों और कहानियों ने उनका ध्यान यूट्यूब की ओर खींचा. इसके बाद उन्होंने पड़ोस में रहने वाले ज्ञानेंद्र के साथ मिलकर यूट्यूब पर कॉमेडी वीडियो बनाना शुरू किया.
जय ने बताया कि इस काम में गांव वालों ने उनका काफी सहयोग किया. धीरे-धीरे गांव के लोग उनके वीडियो में एक्टिंग करने लगे. शुरुआत में उन्होंने केवल मनोरंजन और सीखने के लिए यूट्यूब चैनल शुरू किया था, लेकिन लोगों से सराहना मिलने के बाद ये उनके लिए कमाई का जरिया बन गया. अब उनके वीडियो में 5 साल के बच्चों से लेकर 85 साल की उनकी नानी बिसाहिन वर्मा भी काम करती हैं. उन्होंने बताया कि अब यूट्यूब से कमाई भी होने लगी है. वहीं गांव के सभी यूट्यूबर्स वीडियो बनाने में एक दूसरे की मदद करते हैं.
जय वर्मा ने बताया कि जिला प्रशासन की मदद से ‘हमर फ्लिक्स स्टूडियो’ के खुल जाने से अब उन्हें बहुत फायदा होने लगा है. पहले वे मोबाइल से ही वीडियो बनाया करते थे और उसी से ही एडिटिंग करके उसे यूट्यूब पर अपलोड किया करते थे. फिर उन्होंने कुछ पैसे जोड़कर एक सेकंड हैंड सिस्टम खरीदा. जिस पर एडिटिंग का काम करते थे. पर उसमें अपग्रेड वर्जन नहीं होने के कारण बहुत सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता. वीडियो की अच्छी क्वालिटी के लिए उस सिस्टम में काम करना मुश्किल हो जाता था, उसमें एडिटिंग करते समय कई तरह की परेशानियां भी होती थी.
सिस्टम में काम स्लो होता था साथ ही हैंग हो जाता था. वीडियो एडिटिंग के बाद उसे एक्सपोर्ट करने में भी उन्हें परेशानी होती थी. अब उन्हें हमर फ्लिक्स के माध्यम से जो कंप्यूटर मिला है. उसके माध्यम से समय की बचत हो रही है. साथ ही अच्छी क्वालिटी के वीडियो भी उन्हें बनाने में मदद मिल रही है. इस स्टूडियो के खुल जाने से आसपास के लोगों को भी यह संदेश जा रहा है कि वो अगर अच्छा काम करते हैं तो प्रशासन उनकी मदद जरूर करेगा.
इसके माध्यम से जो युवा गलत राह में भटक जाते हैं उन्हें एक सही दिशा मिल रहा है. वह यूट्यूब के माध्यम से अपनी कला को प्रस्तुत करने के साथ अपने लिए कमाई का जरिया भी बना रहे हैं. अब गांव में करीब 35 से 40 यूट्यूब चैनल चल रहे हैं. शुरुआत में मोबाइल से वीडियो शूट करना शुरू किया था, लेकिन अब उनके पास कैमरे और अन्य संसाधन भी हैं. गांव में पॉजिटिव माहौल है. अगर कहीं शूटिंग होती है तो गांव वाले उसमें पूरा सहयोग करते हैं. उन्होंने बताया कि जिस यूट्यूब चैनल उन्होंने पहले शुरुआत की थी. अब तक उस चैनल पर लगभग सवा लाख लोग उसके सब्सक्राइबर हो चुके हैं.
जय वर्मा ने बताया कि इन यूट्यूब वीडियो में ज्यादातर मोटिवेशनल वीडियो होते हैं और खास तौर से छत्तीसगढ़ी भाषा का उपयोग करते हुए वीडियो बनाया जाता है. ताकि पूरा परिवार एक साथ देख सके. मनोरंजन के साथ ही इन सभी वीडियो में संदेश भी छुपा होता है. उन्होने बताया कि जब इसकी शुरुआत की थी. तब उन्होंने सोचा था कि छत्तीसगढ़ के कल्चर को देश-विदेश तक पहुंचाने का काम करना है. अब नए स्टूडियो के मिलने से एक फिल्म या वेब सीरीज़ बनाने की भी सोच रहे हैं. इसके लिए वे अच्छी स्टोरी और अन्य सपोर्ट की तलाश कर रहे हैं.
एक अन्य यू ट्यूबर राहुल वर्मा ने बताया कि पहले वो लोग मोबाइल से ही एडिट करते थे, लेकिन लोगों का रुझान बढ़ा और लगातार काम आने लगा तब मोबाइल से एडिट करने में दिक्कतें आने लगी तब एक सेकंड हैंड लैपटॉप खरीदा. पर उसमें भी काम अच्छे से नहीं हो पता था. अब उन्हें सरकार द्वारा हमर फ्लिक्स स्टूडियो के मिल जाने से उन्हें अच्छी क्वालिटी में और तेज रफ्तार से काम करने में सहायता मिल रही है. राहुल ने बताया कि 40 यूट्यूब चैनल है, जिसमें 12 यूट्यूब चैनल मोनेटाइज हो चुके हैं अन्य चैनलों के सब्सक्राइबर लगातार बढ़ते जा रहे हैं.
तिल्दा जनपद के सीईओ विवेक गोस्वामी ने बताया कि ’’हमर फ्लिक्स’’ स्टूडियो जिला प्रशासन और सीएसआर हाईटेक द्वारा बनाया गया है. इससे गांव के यूट्यूबर्स को सहयोग मिल रहा है और पहले से अच्छी क्वालिटी की यूट्यूब वीडियो बनाने में मदद मिल रही है. पहले जिस कार्य के लिए यूट्यूबर्स महानगर जाते थे अब उसे अपने गांव में रहकर ही कर सकेंगे. साथ ही छत्तीसगढ़ परंपरा-संस्कृति का प्रचार प्रसार अधिक प्रभावी ढंग से कर सकेंगे.
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सीईओ विवेक गोस्वामी ने बताया कि तुलसी गांव जिले ही नहीं प्रदेश का एक अनूठा यूट्यूबर विलेज है. जहां 40 से ज्यादा यूट्यूब के चैनल हैं. इनके बहुत ज्यादा सब्सक्राइबर और फॉलोअर्स और व्यूवर हैं. यहां बच्चों से लेकर बूढ़े तक यूट्यूब के लिए वीडियो बनाते हैं और कई की अच्छी खासी आमदनी भी है. इन्होंने बेसिक लेवल पर वीडियो बनाना शुरू किया था जब लॉकडाउन लगा तब लोगों के पास बहुत समय था इंटरनेट पर बिताने के लिए, इस बीच विश्व स्तर पर काफी चैनल आए.
यहां के लोगों ने भी उस समय का अच्छा उपयोग किया और बहुत सारे वीडियो बनाएं. जब प्रशासन को यह पता चला कि यहां के लोग अपने फोन से वीडियो बनाते हैं. उनके पास अच्छी क्वालिटी के कैमरे नहीं है और कई बार साउंड मिक्सिंग और डबिंग करने के लिए भी समस्या आती हैं तो प्रशासन ने इनकी समस्या को दूर करने के लिए एक स्टूडियो बनाकर देने की तैयारी की, जिसके अंदर सभी तरह की मॉडर्न इक्विपमेंट चाहे वह ड्रोन कैमरा हो, डीएसएलआर कैमरा हो, अच्छे सॉफ्टवेयर हो, अच्छे ऑडियो रिकॉर्डर का सिस्टम हो, साथ ही अच्छी रिकॉर्डिंग रूम हो इसके लिए जिला प्रशासन रायपुर के द्वारा सीएसआर के सहयोग से इनको स्टूडियो मुहैया कराया गया.
भविष्य में भी जिला कलेक्टर रायपुर द्वारा एक बड़ा भवन बनाया जाएगा, जिसमें ट्रेनिंग के साथ-साथ अन्य जरूरत की चीजों की व्यवस्था की जाएगी. इस स्टूडियो के माध्यम से यहां के युवाओं के टैलेंट और उनके माध्यम से अन्य युवाओं को प्रोत्साहन मिलेगा. उन्होंने बताया कि डिजिटल स्किल सेंटर भी डीएमएफ के माध्यम से बनाएंगे, जहां यूट्यूब और सोशल मीडिया से जुड़े युवा डिजिटल मार्केटिग, ग्राफिक डिजाइनिंग, एसईओ जैसे स्किल्स सीख पाएंगे.
रायपुर कलेक्टर नरेंद्र भूरे ने बताया कि उन्होंने देखा है कि जो युवा वर्ग है वह बहुत ही क्रिएटिव होता है और वह नए-नए आयाम सीखने में हमेशा आगे रहते हैं. इसी तरह तुलसी गांव में जो यूट्यूबर विलेज है इसमें बहुत बड़ी संख्या में युटयुबर्स हैं और सोशल मीडिया में काफी एक्टिव हैं. उनकी बड़ी संख्या में फॉलोअर्स भी हैं, वे जिस तरह के कंटेंट बनाते हैं उसमें व्यूज भी काफी आ रहे हैं. साथ ही छत्तीसगढ़ में काफी लोकप्रिय भी है.
उन्होंने बताया कि जब उन्होंने गांव का विजिट की किया तब पाया कि उन्हें कुछ दिक्कतें आ रही हैं. उनके पास मॉडर्न इक्विपमेंट नहीं है, रिकॉर्डिंग करने के लिए स्टूडियो उपलब्ध नहीं हैं. इन सभी चीजों के सोल्यूशन के लिए प्रशासन ने स्टूडियो एस्टेब्लिश किया. इससे वहां के युवाओं को काफी फायदा हुआ. स्टूडियो के आ जाने से देखा कि जो पहले उन्हें जो रिकॉर्डिंग और अन्य चीजों में जो समय ज्यादा लगता था उसमें बचत होने लगा. यहां बनने वाले वीडियो मात्र मनोरंजक नहीं है, बल्कि शिक्षाप्रद भी हैं. इसे और डेवलप किया जा रहा है. स्टूडियो के स्थापित हो जाने से उन युवाओं को अच्छा फायदा मिलने लगा है. उन्होंने कहा कि भविष्य में वो लोग इसी तर्ज पर उस क्षेत्र के अन्य गांव में भी स्टूडियो खोलने की सोच रहे हैं.
तुलसी गांव का हमर फ्लिक्स स्टूडियो यूट्यूबर्स और क्रिएटर्स के लिए आवश्यक उपकरण से लैस है. अत्याधुनिक कैमरे, ड्रोन कैमरे, हाई एंड कंप्यूटर जैसे उपकरण जिला प्रशासन ने उपलब्ध कराए है. शूटिंग के साथ-साथ एडिटिंग के लिए भी सॉफ्टवेयर्स की व्यवस्था की गई है. स्टूडियो में ऑडियो लैब भी बनाया गया है, जहां ऑडियो मिक्सर सॉफ्टवेयर और उपकरण से क्रिएटर्स आसानी से ऑडियो रिकॉर्डिंग और मिक्सिंग कर पा रहे हैं. साथ ही पॉडकास्टिंग भी कर पाएंगे. वहीं 25 लाख रुपये की लागत से इस स्टूडियो को तैयार किया गया है.
(ANI की रिपोर्ट)
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