केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पलामू से वर्चुअली हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंध संस्थान में एग्जीक्यूटिव छात्रावास ब्लॉक और प्रशिक्षण ब्लॉक का शिलान्यास किया. केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने छात्रों से कहा, ''मेरी इच्छा थी कि मैं आप सभी के बीच हैदराबाद में होता, लेकिन पहले से तय कार्यक्रम के चलते ऐसा संभव नहीं हो सका. मैं विश्वास दिलाता हूं कि मैं जल्द ही हैदराबाद आऊंगा और प्रत्यक्ष रूप से आप सभी से चर्चा करूंगा.''
शिवराज सिंह चौहान ने कहा ''इस भव्य भवन में ग्रीन बिल्डिंग के कॉन्सेप्ट हैं, लेकिन भवन केवल शरीर है, आत्मा होंगे इस भवन में होने वाले प्रशिक्षण. ट्रेनिंग ही कृषि की दिशा और दशा तय करेगी. इस पर आप विशेष रूप से ध्यान देंगे. जब मैं कैंपस में आऊँगा, तब विस्तृत चर्चा होगी. आज मैं झारखंड के पलामू के डाल्टनगंज में हूं. मुझे बताया गया कि अरहर की दाल के लिए अच्छा क्षेत्र है.''
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बेहतर मूल्य न मिलने से अरहर की खेती कम हो गई है. इस धरती पर अरहर, चना, मसूर और दाल की खेती की संभावना हैं. हमने आज कहा है कि हम अरहर पूरी खरीदेंगे, जिससे किसान का प्रोत्साहन हो. यहां एक टीम आ सकती है, हम अध्ययन करें कि कैसे उत्पादन बढ़े, कैसे बेहतर बीज बनाये जा सकें. कल मैं नेतरहाट में था, यहाँ नाशपाती और आलू की खेती होती है. यहां कैसे बेहतर उत्पादन हो सकता है, अच्छे प्लांट कैसे मिल सकते हैं, कैसे खेती के बेहतर तरीके हो सकते हैं, इस पर काम करने का प्रयत्न करें. आज इस शिलान्यास कार्यक्रम के अवसर पर मैं सभी से मिलकर प्रसन्न हूं.
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शिवराज सिंह ने कहा कि 140 करोड़ आबादी को भरपूर अन्न, फल, सब्जी मिले. हम अपनी जरूरत को खुद पूरा कर सकें. खेती हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. एक तरफ आजीविका सुनिश्चित करना और दूसरी तरफ खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना, ये हमारी जिम्मेदारी है. हमारे यहां प्रशिक्षण, अनुसंधान, परामर्श, कई योजनाओं का क्रियान्वयन का काम हमें सौंप गया है. हमें खेती का विविधीकरण और वेल्यू एडीशन करना है. इसके साथ ही प्राकृतिक खेती को बढ़ावा भी देना है. केमिकल फर्टिलाइजर के दुष्परिणाम दुनिया के सामने हैं, जिसके चलते मिट्टी की गुणवत्ता कम हो रही है. इंसानों को भी नुकसान हो रहा है. देश में आज कैंसर एक्सप्रेस जैसी ट्रेनें चल रही हैं. हमें प्रशिक्षण में प्राकृतिक खेती को भी शामिल करना होगा.
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि हम विस्तार कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग देते हैं, कृषि वैज्ञानिक, विश्वविद्यालय संकाय के सदस्य, FPOs को, बेरोजगार युवाओं, इनपुट डीलर्स को प्रशिक्षण देते हैं. यहां प्लेसमेंट की दर अच्छी है. कृषि स्टार्टअप्स की ट्रेनिंग आज बहुत महत्वपूर्ण है, जो हमारा एक्सटेंशन का मूल काम है, उसके हर आयाम पर हमें ध्यान देना चाहिए.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ट्रेनिंग के हमारे मॉड्यूल और पाठ्यक्रम परंपरागत तो हों ही, साथ ही वो आज की आवश्यकताओं को भी पूरा कर पाएं. भविष्य में जो शोध अनुसंधान होता है तो प्रशिक्षण के पाठ्यक्रम में हम पूर्व अनुमान लगाकर आने वाले वर्षों में कौन-कौन से ट्रेनिंग की जरूरत होगी, उसको अभी से सोचना चाहिए. डीटेल और एडवांस प्लानिंग हमें प्रशिक्षण की भी करना चाहिए.
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