होटल, रेस्टोरेंट, फार्म हाउस जहां भी जाओ आपको बांस का डेकोरेशन देखने को मिल जाता है. यहां तक की अब तो घरों में भी बांस की चार से पांच वैराइटी सजाई जाने लगी हैं. होटल, रेस्टोरेंट और फार्म हाउस में तो बांस से दीवार और फर्श तक तैयार किए जा रहे हैं. और ये सब हो रहा है बांस यानि बैम्बू की एक खास वैराइटी से. इस वैराइटी का नाम है विशल बांस. अब जैसा इसका नाम है तो वैसी ही इसकी खूबियां भी हैं. बैम्बू एक्सपर्ट की मानें तो बांस की 100 से ज्यादा वैराइटी देश में होती हैं.
लेकिन जितना मोटा और ऊंचा विशाल है उतनी कोई और दूसरी वैराइटी नहीं है. बांस से बनी पानी की बोतल, खाना बनाने की हांडी, पौधों के लिए गमले, घर-ऑफिस में सजाने के लिए शोपीस आइटम भी खूब बिक रहे हैं. लेकिन विशाल बांस का इस्तेमाल भी लगातार बढ़ रहा है.
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इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बॉयो रिसोर्स टेक्नोलॉजी (आईएचबीटी), पालमपुर, हिमाचल प्रदेश के साइंटिस्ट डॉ. रोहित मिश्रा ने किसान तक को बताया कि बांस की 100 से ज्यादा वैराइटी के बीच विशाल बांस ही ऐसा इकलौता बांस है जो 80 फुट की हाइट तक जाता है. इस बांस की मोटाई भी दूसरे बांस की तुलना में ज्यादा है. बांस के अंदर की गहराई और उसमे जगह की बात करें तो वो भी ज्यादा है. इन्हीं सब बातों को देखते हुए इस विशाल बांस नाम दिया गया है. यह बांस नॉर्थ-ईस्टऔ के दूर-दराज गांवों में पानी स्टोरेज करने, चावल के साथ ही नॉनवेज जैसे दूसरे आइटम बनाने, फ्लावर पॉट बनाने, पौधे लगाने के लिए गमले आदि बनाने के काम आ रहा है.
डॉ. रोहित ने बताया कि विशाल बांस की मोटाई और मजबूती को देखते हुए इस बांस का इस्तेमाल टाइल्स के रूप में भी हो रहा है. होटल-रेस्टोरेंट को और खूबसूरत दिखाने के लिए वहां बांस के टाइल्स् लगाए जा रहे हैं. और दूसरे लोग भी बांस के बने टाइल्स का इस्तेमाल कर रहे हैं. हमारे बैम्बू म्यूजियम में भी बांस के बने टाइल्स का इस्तेमाल किया गया है. इतना ही नहीं बांस से प्लाईवुड भी बनाए जा रहे हैं. बाजार में बांस की डिमांड बढ़ने से किसानों को उनके बांस की अच्छी कीमत मिलना शुरू हो गई है.
बांस की 100 से ज्यादा वैराइटी और उससे बने दर्जनों तरह के आइटम को देखते हुए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बॉयो रिसोर्स टेक्नोलॉजी (आईएचबीटी), पालमपुर, हिमाचल प्रदेश ने बांस का एक म्यूजियम बनाया है. बांस से बने आइटम तो म्यूजियम में रखे ही गए हैं साथ में म्यूजियम की छत, दीवार और फर्श भी बांस के बनाए गए हैं.
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बांस की डिमांड को देखते हुए ही इसे नॉर्थ-ईस्ट के अलावा हिमाचल प्रदेश में भी उगाने की कोशिश की जा रही है. अगर आईएचबीटी की बात करें तो इसी संस्थान में बांस की 43 वैराइटी उगाने पर रिसर्च चल रही है. इसमे बांस के शोपीस पौधे से लेकर विशाल बांस तक शामिल है.
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