बिहार सरकार खेती में ड्रोन के अधिक से अधिक उपयोग को बढ़ावा दे रही है. बाकी राज्यों में भी इस तरह की स्कीम को बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि किसान तकनीक का अधिक लाभ उठाएं. इसी के तहत बिहार में `पोपुलराइजेशन ऑफ एरियल स्प्रे ऑफ पेस्टीसाइड एंड लिक्विड फर्टिलाइजर बाई ड्रोन ` योजना चलाई गई है. इस खबर में हम इस योजना के बारे में जानेंगे. यह भी जानेंगे कि किसान इस योजना का लाभ कैसे उठा सकते हैं.
बिहार सरकार अब खेती को आसमान की ऊंचाई से बदलने की तैयारी में है. राज्य में `पोपुलराइजेशन ऑफ एरियल स्प्रे ऑफ पेस्टीसाइड एंड लिक्विड फर्टिलाइजर बाई ड्रोन ` योजना की शुरुआत की गई है, जिसके जरिए किसानों को आधुनिक तकनीक से जोड़ने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है. योजना के तहत न केवल ड्रोन खरीद पर भारी अनुदान मिलेगा, बल्कि ड्रोन उड़ाने का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा.
उपमुख्यमंत्री सह कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने बताया कि राज्य के 101 अनुमंडलों में किसानों को ड्रोन खरीदने पर लागत का 60% या 3.65 लाख रुपये (जो भी कम हो) अनुदान दिया जाएगा. शेष राशि लाभार्थी को स्वयं वहन करनी होगी. इस योजना के लिए कुल 368.65 लाख रुपये का बजट आवंटित किया गया है. यह अनुदान किसानों को आधुनिक तकनीक अपनाने के लिए प्रेरित करेगा और उनकी आर्थिक स्थिति को सशक्त बनाएगा.
योजना में ड्रोन पायलट प्रशिक्षण की भी व्यवस्था की गई है. प्रत्येक प्रशिक्षणार्थी को 35 रुपये हजार की लागत से प्रशिक्षण दिया जाएगा. कुल 101 प्रशिक्षणार्थियों के लिए 35.35 लाख रुपये का बजट तय किया गया है. इससे किसान और कृषि से जुड़े लोग खुद ड्रोन ऑपरेट कर सकेंगे.
इस योजना का लाभ किसान, कृषि यंत्र बैंक, कृषि क्लिनिक संस्थापक, स्वयं सहायता समूह (SHG), लाइसेंसधारी कीटनाशी विक्रेता और किसान उत्पादक संगठन (FPO) उठा सकते हैं. आवेदन की प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन (OFMAS पोर्टल) के माध्यम से होगी, जिससे पारदर्शिता और पहुंच सुनिश्चित हो सकेगी.
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि यह योजना बिहार में स्मार्ट खेती की दिशा में एक बड़ा कदम है. ड्रोन तकनीक के उपयोग से कीटनाशक और उर्वरकों का संतुलित छिड़काव संभव होगा, जो पर्यावरण को सुरक्षित रखने के साथ-साथ फसल की गुणवत्ता को बेहतर बनाएगा. यह पहल किसानों को आत्मनिर्भर बनाने और टिकाऊ कृषि प्रणाली को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.
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