एयरपोर्ट और औद्योगिक क्षेत्र में किसानों की जमीन छीने जाने का आरोप, संसद में मुद्दा उठाने की मांग

एयरपोर्ट और औद्योगिक क्षेत्र में किसानों की जमीन छीने जाने का आरोप, संसद में मुद्दा उठाने की मांग

सांसद धर्मेन्द्र यादव के प्रतिनिधि विपिन यादव को सौंपे ज्ञापन में किसानों ने कहा है कि हम अपनी ज़मीन नहीं देंगे. सांसद धर्मेन्द्र यादव से किसानों ने मांग किया कि आगामी मॉनसून संसद सत्र में आजमगढ़ एयरपोर्ट विस्तारीकरण और पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के किनारे औद्योगिक गलियारा/पार्क के नाम पर किसानों, मज़दूरों की ज़मीन-मकान छीनने वाली इन परियोजनाओं का विरोध करते हुए इन्हे रद्द किए जाने की मांग को मज़बूती से सदन में उठाएं.

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एयरपोर्ट और औद्योगिक क्षेत्र में किसानों की जमीन छीने जाने का आरोप, संसद में मुद्दा उठाने की मांगकिसानों की जमीन छीने जाने का आरोप

आजमगढ़ के किसान एयरपोर्ट और औद्योगिक क्षेत्र के नाम पर जमीन छीने जाने से परेशान है. वहां के मौजूदा सांसद धर्मेन्द्र यादव के प्रतिनिधि को एयरपोर्ट विस्तारीकरण और पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के किनारे औद्योगिक क्षेत्र के नाम पर किसानों की जमीन छीने जाने के सवाल को मॉनसून सत्र में सदन में उठाने की मांग की है. वहीं, किसानों के प्रतिनिधि मंडल ने मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा. सोशलिस्ट किसान सभा के राष्ट्रीय महासचिव राजीव यादव और पूर्वांचल किसान यूनियन के महासचिव वीरेंद्र यादव, राज शेखर, नंदलाल यादव, पूर्व प्रधान अवधू यादव, अधिवक्ता विनोद यादव, अवधेश यादव और आदित्य प्रतिनिधिमंडल में शामिल थे.

संसद में मुद्दा उठाने की मांग

सांसद धर्मेन्द्र यादव के प्रतिनिधि विपिन यादव को सौंपे ज्ञापन में किसानों ने कहा है कि हम अपनी ज़मीन नहीं देंगे. सांसद धर्मेन्द्र यादव से किसानों ने मांग किया कि आगामी मॉनसून संसद सत्र में आजमगढ़ एयरपोर्ट विस्तारीकरण और पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के किनारे औद्योगिक गलियारा/पार्क के नाम पर किसानों, मज़दूरों की ज़मीन-मकान छीनने वाली इन परियोजनाओं का विरोध करते हुए इन्हे रद्द किए जाने की मांग को मज़बूती से सदन में उठाएं. किसानों के समर्थन में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी विधानसभा में सवाल उठाया था. वार्ता में किसानों और किसान नेताओं पर दर्ज फर्जी मुकदमे वापस लेने की भी मांग की गई है.

पर्यावरण पर भारी दुष्प्रभाव पड़ेगा

किसानों और किसान नेताओं ने यह भी अवगत कराया है कि, प्रस्तावित अंतराष्ट्रीय एयरपोर्ट के विस्तारीकरण से तकरीबन 4 हजार मकान के 30 हजार ग्रामीण बेघर हो जाएंगे, जिसमें ज़्यादातर संख्या भूमिहीन वर्ग के हैं. यहां बहुफसलीय छोटी जोत के किसान-मजदूरों की जीविका खेती पर आश्रित है. यह जैव विविधता से भरा क्षेत्र है जहां बड़े पैमाने पर पशु-पक्षी, तालाब, पोखरा, नहर और लाखों की संख्या में पेड़-पौधे हैं. जिनके विनाश से पर्यावरण पर भारी दुष्प्रभाव पड़ेगा. प्राथमिक विद्यालय, पंचायत भवन, जच्चा-बच्चा केंद्र और आंगनबाड़ी केंद्र भी प्रभावित होंगे.

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‘जान दे देंगे, जमीन नही देंगे’

किसानों ने कहा कि गदनपुर हिच्छनपट्टी, जिगिना करमनपुर, जमुआ हरिराम, जमुआ जोलहा, हसनपुर, कादीपुर हरिकेश, जेहरा पिपरी, मंदुरी, बलदेव मंदुरी के ग्रामनिवासी आज़मगढ़ एयरपोर्ट विस्तारीकरण के नाम पर 670 एकड़ भूमि के जबरन अवैध सर्वे का 11-12 अक्टूबर, 2022 से विरोध करते हुए अंदोलनरत हैं. किसानों ने कहा कि वो  इस परियोजना के लिए ज़मीन नही देंगे.

‘जान दे देंगे, ज़मीन नही देंगे’ के संकल्प के साथ शुरू हुए आंदोलन को समाजवादी पार्टी के स्थानीय विधायक नफ़ीस अहमद ने समर्थन देते हुए 6 दिसंबर, 2022 को विधानसभा में हमारे पक्ष में सवाल उठाया. 2 फरवरी, 2023 को ज़िलाधिकारी आज़मगढ़ से किसान और किसान नेताओं की वार्ता के दौरान ज़िलाधिकारी द्वारा यह कहने कि, आप जनप्रतिनिधि नहीं हैं कि आपके कहने पर एयरपोर्ट विस्तारीकरण की परियोजना वापस ले ली जाएगी. इस संदर्भ से अवगत होने के बाद तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष, पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी विधानसभा में किसानों के पक्ष में सवाल उठाया.

एयरपोर्ट बनने से होगा विकास 

गौरतलब है कि सालों से बने एयरपोर्ट जिसका 2024 आम चुनाव से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लोकार्पण किया गया, वहां से 3, 6 तो कभी केवल 9 यात्रिओं के हवाई यात्रा की जो खबरें मिडिया में आ रही हैं, वो इस परियोजना पर न सिर्फ सवाल उठाती हैं, बल्कि यह जनता के पैसे के दुरूपयोग का भी मामला है. सरकार का दावा था कि एयरपोर्ट बनने से क्षेत्र का विकास होगा और रोज़गार मिलेगा. जिस एयरपोर्ट को यात्री नहीं मिल रहे हैं उससे किस प्रकार से रोज़गार का विकास होगा. खेती-किसानी और जीवन को दांव पर रखकर कोई विकास किसानों और मज़दूरों को मंज़ूर नहीं. आज़मगढ़ के चारों तरफ कुशीनगर, गोरखपुर, वाराणसी, अयोध्या और लखनऊ में जो अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट हैं वहां चंद घंटों में पहुंचा जा सकता है.  

किसानों ने किया चिंता जाहिर 

किसान नेताओं ने औद्योगिक क्षेत्र के नाम पर भूमि अधिग्रहण का सवाल उठाते हुए कहा कि पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के निर्माण के बाद, उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीईआईडीए) औद्योगिक गलियारे के लिए आज़मगढ़ के सुमाडीह, खुरचंदा, बखरिया, सुलेमापुर, अंडीका, छज्जोपट्टी, वहीं सुल्तानपुर के कलवारीबाग, भेलारा, बरामदपुर, सजमापुर के किसानों ने भी जबरन अवैध ज़मीन के सर्वे के खिलाफ विरोध किया है.      

किसानों ने चिंता जाहिर किया कि उत्तर प्रदेश में कृषि जनगणना 2015-16 के अनुसार यहां भूमि क्षेत्र औसतन 1 हेक्टेयर से कम है. इस मामले में प्रदेश का पूर्वी क्षेत्र मुख्य रूप से कम ज़मीन वाले किसानों का है और क्षेत्र में अधिकांश छोटे और सीमांत किसान मौजूद हैं, जो इस तरह की ज़मीन अधिग्रहण की परियोजनाओं से सबसे अधिक प्रभावित होंगे.

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