धान फसल के लिए DSR विधि अपनाने पर जोर, पानी खर्च 30 फीसदी घटेगा, प्रति एकड़ 15 हजार रुपये लागत बचेगी 

धान फसल के लिए DSR विधि अपनाने पर जोर, पानी खर्च 30 फीसदी घटेगा, प्रति एकड़ 15 हजार रुपये लागत बचेगी 

डायरेक्ट सीडेड राइस (DSR) विधि अपनाने पर जोर है. इस विधि के तहत सीधे बीज की बुवाई खेत में की जाती है, जिससे बुवाई में लगने वाला समय घट जाता है. इस विधि से खेती करने पर 30 फीसदी पानी का खर्च बचता है और किसान 15000 रुपये प्रति एकड़ लागत को बचा सकता है.

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धान फसल के लिए DSR विधि अपनाने पर जोर, पानी खर्च 30 फीसदी घटेगा, प्रति एकड़ 15 हजार रुपये लागत बचेगी डीएसआर विधि की तुलना में परंपरागत विधि में दोगुनी लागत आती है.

धान के पौधे की रोपाई करने की परंपरागत विधि की बजाय सीधे बुवाई यानी डायरेक्ट सीडेड राइस (DSR) विधि अपनाने पर जोर है. खेत में सीधे बीज बुवाई यानी DSR विधि से फसल में लगने वाले पानी की खपत को 30 फीसदी कम करने में मदद मिलती है. इससे किसानों का सिंचाई में लगने वाला मोटा खर्च बच जा रहा है. इसके अलावा कम पानी वाले इलाकों में इस विधि ने किसानों की मुश्किलों को हल करने में मदद की है. अब कृषि क्षेत्र में काम करने वाली फर्म कॉर्टेवा एग्रोसाइंस ने DSR विधि को देशभर में इस्तेमाल करने के लिए बिजनेस मॉडल तैयार किया है और किसानों को प्रेरित करना शुरू कर रही है. 

डायरेक्ट सीडेड राइस (DSR) विधि अपनाने पर जोर है. इस विधि के तहत सीधे बीज की बुवाई खेत में की जाती है. जबकि, परंपरागत बुवाई में पहले धान की नर्सरी की जाती है फिर करीब 25 दिन बाद नर्सरी की खेत में रोपाई की जाती है. परंपरागत विधि में डीएसआर विधि की तुलना में दोगुना लागत खर्च होती है और समय भी अधिक लगता है. हालांकि, डीएसआर विधि को अपनाने की गति अभी धीमी है. इसे तेज करने के लिए निजी कंपनियां उतर गई हैं. 

पंजाब और हरियाणा में किसान अपना रहे विधि 

कृषि क्षेत्र में काम करने वाली कंपनी कॉर्टेवा एग्रीसाइंस के पास डायरेक्ट सीडेड राइस (DSR) बुवाई तकनीक को बढ़ावा देने का बिजनेस मॉडल है. रिपोर्ट के अनुसार इसे पंजाब और हरियाणा के घटते भूजल स्तर को बचाने के समाधान के बावजूद अभी तक बड़े पैमाने पर अपनाया नहीं गया है. दोनों राज्यों में कुछ किसान ही डीएसआर विधि से खेती कर रहे हैं. जबकि, डीएसआर विधि से किसानों को लगभग 30 प्रतिशत पानी बचाने में मददगार होती है. डीएसआर विधि के फायदों को देखते हुए इनिजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ने से इसे गेम चेंजर के रूप में देखा जा रहा है. 

डीएसआर विधि से 15 हजार रुपये प्रति एकड़ बचत 

बीज और कीटनाशक की बिक्री करने वाली कंपनी कॉर्टेवा ने डीएसआर विधि पर पकड़ बनाई है. रिपोर्ट के अनुसार पंजाब के एक किसान ने डीएसआर विधि से 5 एकड़ में धान की खेती करनी शुरू की है. किसान के अनुसार डीएसआर विधि से लगभग 15,000 रुपये प्रति एकड़ की बचत की जा सकती है. हालांकि, इस विधि से बुवाई के लिए अधिक तापमान फसल को नुकसान पहुंचा सकता है.

रकबा बढ़ाने और देरी से बुवाई का फायदा भी 

कॉर्टेवा कंपनी की ओर से कहा गया कि देश में धान की खेती के तहत लगभग 46 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में से 10-12 फीसदी खेती ही डीएसआर विधि से की जा रही है. कहा गया कि डीएसआर विधि से बुवाई में लगने वाला समय घट जाता है, जिससे धान का रकबा तेजी से बढ़ाया जा सकता है. यहां तक कि देरी की स्थिति में भी बुवाई की जा सकती है. इस विधि से खेती करने वाले किसानों को धान की कटाई और गेहूं की बुवाई के बीच 10-12 दिन का अतिरिक्त समय मिल सकता है.

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