पहले देश की कुल जनसंख्या का 70 से 80 फीसद जनसंख्या कृषि पर निर्भर थी लेकिन वर्तमान समय में यह फीसद घटकर 45 तक पहुंच गया है. हमें घबराने की जरूरत नहीं है. इसका मतलब है कि हरियाणा सरकार कृषि के साथ-साथ सेवा, चिकित्सा, शिक्षा, सेना सहित अन्य क्षेत्रों पर समान रूप से ध्यान दे रही है. ताकि हरियाणा प्रदेश का ही नहीं अपितु देश का चहुमुंखी विकास हो. कृषि के उत्थान के लिए सरकार कृषि के साथ-साथ उद्योगों का विकास करने के लिए भी नई योजनाएं तैयार कर रही है. ये विचार हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहे, जोकि चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय हरियाणा कृषि विकास मेले में तीसरे दिन बतौर मुख्यातिथि के रूप में मौजूद थे. सम्मानीय अतिथि में हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जेपी दलाल, डिप्टी स्पीकर रणबीर सिंह गंगवा व स्थानीय शहरी निकाय मंत्री डॉ. कमल गुप्ता भी मौजूद थे. जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता एचएयू के कुलपति प्रो. बी.आर काम्बोज ने की.
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि हरियाणा देश का ऐसा पहला राज्य है, जो 11 फसलों पर एमएसपी देकर किसानों के हितों की सुरक्षा कर रहा है. इसके अलावा 20 सब्जियों की खेती को लाभदायक बनाने के लिए भावांतर भरपाई योजना चलाई जा रही है. वर्तमान समय में जल स्तर नीचे जा रहा है. जिसके लिए सरकार ने मेरा पानी मेरी विरासत स्कीम चलाई हुई है. ताकि बहुमूल्य प्राकृतिक संसाधन जल को आने वाली पीढिय़ों तक बचाया जा सकें. खेतीबाड़ी में नवीनतम तकनीकें जैसे माइक्रोइरीगेशन, टपका सिंचाई, फव्वारा सिंचाई को अपनाकर जल संरक्षण करना होगा. इतना ही नहीं, सरकार धान की फसल के अंतर्गत क्षेत्रफल को कम करके कम पानी में उगाई जाने वाली फसलें जैसे मक्का, तिलहन, मूंग, बाजरा के अंतर्गत क्षेत्रफल बढ़ाने के लिए किसानों को जागरूक कर रही है.
इसे भी पढ़ें- अब घर बैठे होगा पशुओं का इलाज, आईवीआरआई ने लॉन्च किया ऑनलाइन वेटरनरी क्लीनिक ऐप
सरकार खेती में रसायनिक कीटनाशक, खरपतरवार नाशक दवाईयों का अंधाधुंध प्रयोग को रोकने के लिए प्राकृतिक खेती व जैविक खेती को बढ़ावा दे रही है. जिससे एक ओर फसल उत्पादन बढ़ेगा वहीं दूसरी ओर मृदा की उर्वरा शक्ति भी बढ़ेगी. जल संकट की समस्या से निजात पाने के लिए सरकार उपस्थित कुंओं के जीर्णोद्धार हेतु नई योजना तैयार की है, जिसमें सरकार आर्थिक मदद देकर इन कुओं का जीर्णोद्धार करवाएगी. उन्होंने बताया कि 60 साल पहले कृषि क्षेत्र में हरित क्रांति ने खाद्यान्न में आत्म-निर्भर बनाया है लेकिन वर्तमान समय में हमें नई कृषि क्रांति की जरूरत है. इसके लिए हमें नवीनतम तकनीकों की कृषि में शामिल कर लागत घटाकर किसानों की आय बढ़ानी होगी. उन्होंने किसानों को नवाचार अपनाते हुए कृषि के साथ-साथ अन्य उद्यम जैसे मशरूम, मधुमक्खी पालन, फूलों की खेती, बागवानी, सब्जी उत्पादन,चारा फसल, पशुपालन, मुर्गी-पालन व मत्सय पालन को शामिल करके कृषि में जोखिम को कम करने व लाभदायक व्यवसाय बनाने की सलाह दी.
कृषि मंत्री जेपी दलाल ने कहा कि सरकार युवाओं को कृषि क्षेत्र में ट्रेनिंग देकर उद्यमशीलता का गुण विकसित करने का प्रयास कर रही है. किसान अपनी फसलों का विभिन्न ब्यौरा मेरी फसल मेरा ब्यौरा नामक पोर्टल पर अपलोड करवाकर उनकी जरूरतों के अनुसार योजनाएं तैयार कर रही है. उन्होंने बताया कि बेसहारा पशुओं की बढ़ती संख्या के लिए सरकार ने करीब 400 करोड़ रुपये का बजट तैयार किया है. अगले 6 माह बाद ये बेसहारा पशु गली-गली नजर नहीं आएंगे. दूसरी बड़ी समस्या है वर्षा की अनिश्चििता व बे-मौसम बारिश से निपटने के लिए भी सरकार ने 1200 करोड़ रुपये का बजट तैयार किया है. उन्होंने किसानों के हित में सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न स्कीमों की जानकारी दी.
इसे भी पढ़ें- केमिकल से पका हुआ आम नहीं बेच पाएंगे व्यापारी, FSSAI ने जारी की नई गाइडलाइन
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.आर काम्बोज ने बताया कि अध्यक्षीय भाषण में बताया कि एचएयू प्रदेश के किसानों से जुड़ा हुआ है. युवा किसानों को स्वरोजगार शुरू करने में मदद करने के लिए एग्री-बिजनेस इक्यूबेशन सेंटर के माध्यम से उनको तकनीकी ज्ञान व उद्यमशीलता की ट्रेनिंग दे रहा है. उन्होंने बताया कि 2023 को मोटे अनाजों के वर्ष के तौर पर मनाया जा रहा है. विश्वविद्यालय ने हाल ही में बाजरे, ज्वार की नई-नई किस्में विकसित की है व अन्य मोटा अनाज वाली फसलों पर भी शोध कार्य चल रहा है. इसके अलावा मोटे अनाजों से विभिन्न मूल्य-संवर्धित उत्पाद बनाने की तकनीक विकसित करने का काम हो रहा है.
उन्होंने बताया कि कृषि को हाईटेक बनाने के लिए विश्वविद्यालय प्रिसीजन फार्मिंग व ड्रोन जैसी आधुनिक तकनीक पर किसानों को जानकारियां उपलब्ध करवा रहा है. उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय ने 90 स्टार्टअप तैयार किए है, जिससे ग्रामीण युवाओं में कृषि से संबंधित उद्यम स्थापित करने में मदद मिल रही है व अलग-अलग फसलों की 280 नवीनतम उच्च गुणवत्ता वाली किस्में विकसित की है, जिससे प्रदेश में खाद्यान्न, तिलहन व चारा उत्पादन बढ़ाने में मदद मिल रही है.
इसे भी पढ़ें- राजस्थान सरकार ने लॉन्च किया राज किसान सुविधा ऐप, जानिए कितनी तरह की मिलेंगी सुविधाएं
कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों व कृषि विभागों द्वारा लगाई गई स्टालों का मुख्य अतिथि सहित अन्य अधिकारियों ने अवलोकन भी किया. मुख्यमंत्री ने डिजिटल हरियाणा किसान और ई-रुपया नामक दो पोर्टल की लान्चिग की. ताकि किसानों को उत्पाद खरीदने व बेचते समय डीबीटी के माध्यम से पेमेंट सीधे उनके खाते में ट्रांसफर की जा सकेगी. अंत में लक्की ड्रा द्वारा किसानों को इनाम दिए गए. इस दौरान कलाकारों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम में नृत्य व गीत गाकर किसानों का मनोरंजन किया.
कार्यक्रम में हरियाणा में अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं कुलपति, महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय, करनाल आईएएस डॉ. सुमिता मिश्रा ने तीन दिवसीय मेले की विस्तृत रिपोर्ट पेश की. साथ ही प्रदेश की खेतीबाड़ी की स्थिति सहित सरकारी योजनाओं के बारे में बताया. विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. बलवान सिंह मंडल ने सभी का स्वागत किया, जबकि कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, हरियाणा के महानिदेशक डॉ. नरहरि बांगड़ ने धन्यवाद प्रस्ताव पारित किया. इस अवसर पर नगर निगम मेयर गौतम सरदाना, बरवाला विधायक जोगीराम सिहाग, हांसी के विधायक विनोद भ्याणा, नारनौंद के विधायक रामकुमार गौतम, रतिया के विधायक लक्ष्मण नापा सहित अन्य गणमान्य मौजूद थे.
इसे भी पढ़ें- UP: अब दैवीय आपदा में मत्स्य पालकों को मिलेगी आर्थिक मदद, जानें क्या है योगी सरकार का प्लान
Copyright©2024 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today