हरियाणा प्रदेश व्यापार मंडल के प्रांतीय अध्यक्ष बजरंग गर्ग ने मनोहर लाल खट्टर सरकार पर गेहूं की आढ़त कम करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि कई साल से आढ़त 2.5 प्रतिशत है, लेकिन अब उसे कम करके सरकार आढ़तियों को परेशान कर रही है. गेहूं का एमएसपी 2125 रुपये है. इसके हिसाब से आढ़तियों का कमीशन 53.12 रुपये बनता है. लेकिन सरकार ने इसे घटाकर 45 रुपये 88 पैसे कर दिया है. इस तरह प्रति क्विंटल गेहूं पर 7 रुपये 24 पैसे आढ़त या कमीशन कम कर दिया गया है.
गर्ग का कहना है कि इसके बावजूद आढ़त को कम करने का फैसला समझ नहीं आ रहा है. किसानों और आढ़तियों से बातचीत के बाद गर्ग ने कहा कि सरकार की गलत नीति के कारण प्रदेश का किसान व आढ़ती दोनों परेशान है.
व्यापारी नेता ने कहा कि गेहूं व सरसों खरीद में जो भी सरकारी अधिकारी पैसे खाने के चक्कर में देरी करे उसके खिलाफ सरकार को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए. किसान एक अप्रैल से गेहूं बेचने के लिए मंडियों में धक्के खा रहा है, लेकिन सरकार की तरफ से गेहूं खरीद के लिए पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए हैं. लेकिन, जितनी भी खरीद हो रही है उसका भुगतान 72 घंटे के अंदर करवाया जाए. साथ ही आढ़तियों की आढ़त व पल्लेदारों की मजदूरी भी समय पर दी जाए.
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गर्ग ने कहा कि सरकार ने 1 अप्रैल 2023 से गेहूं की सरकारी खरीद शुरू करने के आदेश दिए थे. इसके बाद भी सरकारी अधिकारी मंडियों में गेहूं की पूरी खरीद नहीं कर रहे हैं. भारी बारिश होने के कारण थोड़ा बहुत गेहूं का रंग हल्का पड़ गया है और थोड़ी बहुत नमी रह जाती है. सरकार को अधिकारियों को तुरंत आदेश देना चाहिए कि कुदरत की मार के कारण जिस गेहूं का रंग हल्का पड़ गया है या उसकी चमक कम हो गई उसे भी खरीदा जाए.
व्यापारी नेता ने कहा कि एमएसपी पर गेहूं खरीद के लिए सिर्फ 12 प्रतिशत नमी की जो शर्त तय है उसको बढ़ाकर 17 प्रतिशत नमी करना चाहिए. इससे किसानों को काफी राहत मिलेगी. क्योंकि उनकी फसल भीग गई है. उन्होंने कहा कि सरसों का एमएसपी 5450 रुपए प्रति क्विंटल है. लेकिन मंडियों में सरसों की खरीद न करने से किसान मजबूरी में अपनी फसल औने-पौने दाम पर बेचने के लिए मजबूर हैं. गर्ग ने कहा कि सरकार ने गेहूं खरीद के लिए 408 सेंटर बनाए हैं. लेकिन,कुछ में अभी तक बारदाना नहीं आया है. ऐसे में किसान,आढ़ती व मजदूर चिंतित हैं कि सरकार गेहूं की खरीद ठीक से कब शुरू करेगी.
बता दें कि आढ़ती मंडी व्यवस्था का अहम हिस्सा हैं. वो गेहूं खरीद, उसकी सफाई, बोरी में भराई और सिलाई से लेकर उठान तक काम करते हैं. इसके एवज में उन्हें सरकार कमीशन देती है. उदाहरण के लिए किसान MSP पर मंडी में गेहूं समेत अन्य फसल बेचने आते हैं. ये आढ़ती किसानों से गेहूं की खरीद करते हैं, उसकी सफाई करवाते हैं. साथ ही बोरी में भराई से लेकर उठान तक की जिम्मेदारी आढ़तियों के पास होती है. MSP का पैसा किसानों के खातों में भेजा जाता है, उसी तरह कमशीन का पैसा आढ़तियों के खातों में जाता है.
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