भारत और अमेरिका के बीच नई ट्रेड डील को लेकर पूरे देश में चर्चा का माहौल गर्म है. ऐसा अमेरिकी प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप के उस फैसले के बाद हो रहा है, जिसमें उन्होंने सभी देशों को अमेरिका के साथ व्यापार पर टैरिफ कम करने को कहा है. ट्रंप ने ट्रैरिफ न घटाने वाले देशों को रेसिप्रोकल टैरिफ की लगाने की धमकी दी है यानी जो जितना टैरिफ लगाएगा, अमेरिका भी उसपर उतना ही टैरिफ लगाएगा. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत-अमेरिका की बातचीत लगभग फाइनल हो चुकी है और कुछ मुद्दों को संबोधित करने के बाद जल्द ही नई ट्रेड पॉलिसी की घोषणा हो जाएगी. ऐसे में जानिए भारत अमेरिका से कौन-कौन से कृषि उत्पाद आयात करता है और उस पर कितनी रकम खर्च करता है?
डायरेक्टरेट जनरल ऑफ कमर्शियल इंटेलिजेंस एंड स्टैटिस्टिक्स (DGCIS) के मुताबिक भारत ने साल 2024-25 में अमेरिका से कुल 18,587.51 करोड़ रुपये के 12.61 लाख मीट्रिक टन से अधिक कृषि उत्पादों का आयात किया. इस आयात में सबसे अधिक योगदान ताजे फलों का रहा, जिनका मूल्य 9,482.41 करोड़ रुपये और मात्रा 3.07 लाख मीट्रिक टन रही. इसके बाद दूसरे स्थान पर मादक पेय (Alcoholic Beverages) रहे, जिनका आयात 3,824.08 करोड़ रुपये मूल्य का रहा है.
कच्चे कपास (Cotton Raw including Waste) का आयात 1,991.35 करोड़ रुपये का हुआ, जिसकी मात्रा 86,080 मीट्रिक टन रही. वहीं, वनस्पति तेलों का आयात 1,097.01 करोड़ रुपये मूल्य का और 1.06 लाख मीट्रिक टन के करीब हुआ. दलहनों (Pulses) का आयात 763.71 करोड़ रुपये का और 89,631 मीट्रिक टन रहा. समुद्री उत्पादों की मात्रा 5,211.81 मीट्रिक टन और कीमत 409.27 करोड़ रुपये रही.
मसाले (Spices) भी 281.84 करोड़ रुपये के आयात के साथ प्रमुख श्रेणियों में शामिल रहे, जिनकी मात्रा 2,938.15 मीट्रिक टन थी. इसके अलावा, प्रोसेस्ड फल और जूस का आयात 149.98 करोड़ रुपये (4,454.97 मीट्रिक टन), फल/सब्जी के बीज 133.47 करोड़ रुपये (426.95 मीट्रिक टन), प्रोसेस्ड सब्जियां 58.42 करोड़ रुपये (4,533.26 मीट्रिक टन), चीनी 20.04 करोड़ रुपये (348 मीट्रिक टन) और कोकोआ उत्पाद 19.74 करोड़ रुपये (199.57 मीट्रिक टन) के स्तर पर रहा.
डोनाल्ड ट्रंप ने सभी देशों को 9 जुलाई तक नई ट्रेड डील करने के लिए कहा है. इसके बाद अमेरिका डील न करने वाले देशों पर रेसिप्रोकल और यहां तक कि उससे भी ज्यादा टैरिफ लगाएगा. अमेरिका चाहता है भारत उसके जीएम सोयाबीन और मक्का के लिए दरवाजे खोले. साथ ही डेयरी प्रोडक्ट के निर्यात की भी अनुमति दे. हालांकि, इस मामले में सरकार बहुत सावधानी बरत रही है. सरकार अमेरिका को इस क्षेत्र में निर्यात बढ़ाने की अनुमति नहीं देना चाहती, ताकि देश के किसानों और पशुपालकों पर असर न पड़े. यही वजह है कि डील फाइनल होने में देरी हो रही है. वहीं, विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि 8 जुलाई तक डील साइन हो सकती है. हालांकि, भारत सरकार ने पहले ही यह साफ कर दिया है कि किसी भी प्रकार के दबाव में आकर कोई व्यापार समझौता नहीं किया जाएगा.
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