पराली जलाने की प्रथा को बंद करने के लिए योगी सरकार की सख्ती और प्रोत्साहन की नीति कामयाब हो रही है. दरअसल, योगी सरकार किसानों को पराली जलाने से होने वाले नुकसान और जलाने की बजाय उसकी कम्पोस्टिंग करने और सीड ड्रिल से पराली के बीच ही खेत को बिना जोते गेहूं बोने से होने वाले लाभ को समझाने में कामयाब होती दिख रही है. राज्य सरकार की नीति की वजह से सात सालों में पराली जलाने की घटनाओं में करीब 46 प्रतिशत की कमी आई है. 2017 में पराली जलाने की 8784 घटनाएं सामने आई थीं जो 2023 में घटकर 3996 रह गईं. किसानों को इस सीजन में भी जागरूक किया जा रहा है.
सरकार पराली की खेत में ही कम्पोस्टिंग के लिए 7.5 बायो डीकंपोजर भी उपलब्ध करवा रही है. एक बोतल डीकंपोजर का इस्तेमाल कर एक एकड़ खेत की पराली को खाद बनाया जा सकता है. बता दें कि प्रदेश में पराली जलाने पर 15 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान है. धान की पराली जलाने से खेत के सबसे जरूरी पोषक तत्व नष्ट हो जाते है. नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश (एनपीके) के साथ बड़ी संख्या में भूमि के मित्र बैक्टीरिया और फफूंद के जलने से जमीन को नुकसान पहुंचता है.
रिसर्च के मुताबिक, बचे डंठलों में एनपीके की मात्रा क्रमश: 0.5, 0.6 और 1.5 फीसद तक मौजूद होती है. जलाने की जगह खेत में ही इनकी कम्पोस्टिंग करने (खाद बनाने) पर मिट्टी को खाद मिल जाती है. इससे अगली फसल में करीब 25 फीसद खाद की बचत होती है, जिससे खेती की लागत कम होगी और मुनाफा बढ़ेगा. पराली से ढकी मिट्टी का तापमान नम होने से सूक्ष्मजीवों की हलचल बढ़ती है और अगली फसल के लिए पोषक तत्व मिलते हैं. नमी के कारण सिंचाई में कम पानी लगता है और लागत कम हाेती है.
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खरीफ फसलों की कटाई के समय को नजदीक देखते हुए योगी सरकार की ओर से सभी जिलाधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए हैं. खासकर फसल कटाई की अवधि के दौरान राजस्व कर्मियों को अन्य ड्यूटी में नहीं लगाने के लिए कहा गया है. सिर्फ विशेष परिस्थितियों में ही उन्हें अन्य ड्यूटी पर लगाया जा सकेगा, जिसका अधि कारियों को अनिवार्य रूप से कारण बताना होगा. इसके अतिरिक्त उपजिलाधिकारी और तहसीलदारों को फसल कटाई प्रयोगों के संपादन की समीक्षा के लिए कहा गया है. इसके अलावा सभी जनपदों में कृषि, राजस्व एवं विकास विभाग के अधिकारियों को 15 प्रतिशत अनिवार्य निरीक्षण के लिए नामित करने के लिए कहा गया है.
वहीं, फसल कटाई के बाद पोर्टल पर कटाई प्रयोगों का परीक्षण कर ही उपज तौल अनुमोदित करने के निर्देश दिए गए है. हाल ही में मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह के सामने हुई प्रजेंटेशन में बताया गया कि सीसीई एग्री एप के माध्यम से खरीफ 2022 से भारत सरकार के निर्देशानुसार आवश्यक रूप से 100 प्रतिशत क्रॉप कटिंग लागू है. फसल बीमा में ली गयी फसलें खरीफ - धान, मक्का, बाजरा, ज्वार, उर्द, मूँग, तिल, मूँगफली, सोयाबीन व अरहर (10 फसलें) और रबी- गेहूं, जौ, चना, मटर, मसूर, लाही-सरसों, अलसी व आलू (08 फसलें) शामिल हैं. सीसीई एग्री ऐप से क्रॉप-कटिंग कराने के लिए राजस्व परिषद, उप्र से निर्देश जारी किए जा चुके हैं.
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