हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है, जो इस साल गणतंत्र दिवस यानी 26 जनवरी को पड़ा है. मान्यताओं के अनुसार ज्ञान, विद्या, संगीत और कला की देवी मां सरस्वती का इस तिथि को जन्म हुआ था. इस दिन बिहार के विभिन्न जिलों में मां सरस्वती की मूर्ति रखी जाती है और उनकी पूजा की जाती है. इसके लिए मूर्तिकार, मां की मूर्तियों को या तो अंतिम रूप दे चुके हैं, या अंतिम रूप देने में जुटे हुए हैं. पटना में मूर्तियों के खरीदार बाजार में पहुंचने लगे हैं, लेकिन पटना के रहने वाले मूर्तिकार पप्पू प्रसाद कहते हैं कि आज से करीब चार साल पहले देवी सरस्वती की मूर्ति यहां से आंध्र प्रदेश तक भेजी जाती थी, पर अब ऐसा नहीं है. हालात यहां तक हैं कि लोग पुराने रेट पर ही मूर्तियां खरीदना चाहते हैं, जबकि मूर्तियों को बनाने में लगने वाले मिट्टी, बांस, पुआल सहित अन्य सामान जरूरत से ज्यादा महंगे हो गए हैं. हालांकि त्योहारी सीजन में फल के व्यवसाय से जुड़े व्यापारी व किसानों को अच्छी कमाई की उम्मीद है.
बता दें कि बसंत ऋतु को सभी ऋतुओं का राजा माना जाता है. इस ऋतु के आगमन को लेकर विशेष तौर से ग्रामीण क्षेत्रों में हर गांव में विभिन्न स्थानों पर मां शारदे की प्रतिमा रखी जाती है, लेकिन कुछ सालों से महंगाई की रफ्तार ऐसी बढ़ी है कि साधारण मूर्तियों को बनाने में आने वाली लागत भी दोगुनी हो चुकी है.
पटना के गांधी मैदान के पास पप्पू पिछले 20 सालों से मूर्ति बना रहे हैं. यह कहते हैं कि आज भी लोग पिछले ही रेट के अनुसार मूर्ति खरीदना चाहते हैं, लेकिन मूर्ति बनाने में मिट्टी, बांस, पुआल, कलर, सहित कपड़ों के दाम काफी बढ़ चुके हैं. एक साधारण मूर्ति बनाने में करीब एक हजार से 1200 रुपये तक लग जाते हैं. चार से पांच फीट तक की मूर्ति बनाने में 3000 हजार रुपये तक खर्च आ जाता है. लेकिन लोग उसे दो हजार से ढ़ाई हजार रुपये में ही खरीदना चाहते हैं. हाल के समय में 200 रुपये प्रति बांस एवं मिट्टी की कीमत 6000 से 7000 रुपये प्रति ट्रॉली हो गई है. पहले 100 मूर्ति पर 40 से 50 हजार रुपये तक कमाई हो जाया करती थी, लेकिन आज ये संभव नहीं है.
बसंत पंचमी को देखते हुए बाजार में फलों के दाम में काफी उछाल देखने को मिल रहा है. किसानों का कहना हैं कि बसंत पंचमी में गाजर, अमरूद, केला, बेर की सबसे ज्यादा मांग रहती है. इस दौरान फलों का अच्छा दाम मिल जाता है. कैमूर जिले के किसान अनिल सिंह कहते हैं कि अभी हाल के समय में अमरूद की मांग बढ़ी है. वहीं पटना जिले के रहने वाले किसान डिंपल बताते हैं कि उनके पास एक बेर का पेड़ है और उससे वसंत पंचमी के समय तीन हजार रुपये तक की कमाई हो जाती है.
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ग्रामीण क्षेत्रों में हर उम्र के युवक एक कमेटी बनाकर सरस्वती माता की प्रतिमा को रखतें है. पटना में रहकर सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे मोतिहारी के दीपक कुमार कहते हैं कि बसंत पंचमी आने से एक महीने पहले ही तैयारियां शुरू हो जाती हैं. वहीं कमेटी में जितने सदस्य होते हैं, सभी पर एक समान पैसा लगाया जाता है. इसके साथ ही गांव के सभी घरों से अनाज लिया जाता है. उसे बाजार में बेचकर पैसा लिया जाता है. यह इसलिए होता है कि सभी लोगों के पास पैसा नहीं होता है.
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