केंद्र सरकार ने ओपेन मार्केट सेल स्कीम (ओएमएसएस) के तहत बाजार में गेहूं की आपूर्ति बढ़ाने का फैसला किया है. इससे दाम में कुछ गिरावट तो देखी जा रही है, लेकिन एमएसपी की तुलना में कीमतें काफी ऊपर चल रही हैं. देश में गेहूं का राष्ट्रीय स्तर पर थोक भाव 2967 रुपये प्रति क्विंटल बना हुआ है. यह दाम मौजूदा एमएसपी से 542 रुपये प्रति क्विंटल अधिक है. ऐसे में बाजार में आपूर्ति बढ़ाने के लिए सरकार ने ओएमएसएस के तहत 1.5 लाख टन की बिक्री लिमिट को बढ़ाकर 4.5 लाख टन कर दिया है.
खुले बाजार बिक्री योजना के तहत सरकार की ओर से अधिक आवंटन के फैसले से गेहूं की थोक कीमतों में कमी जरूर आई है. लेकिन, बाजार में दाम अभी भी किसान से खरीद के लिए तय एमएसपी 2425 रुपये से काफी अधिक है. गेहूं का थोक मूल्य 1 फरवरी को 3007 रुपये प्रति क्विंटल था, जो 10 फरवरी को घटकर 2967 रुपये क्विंटल पर दर्ज किया गया है. उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि गेहूं का दाम एक महीने पहले 2953 रुपये प्रति क्विंटल और एक साल पहले 2764 रुपये प्रति क्विंटल से अभी भी अधिक है.
मंडियों में गेहूं का थोक भाव उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में भी एमएसपी से ऊपर बना हुआ है. उपभोक्ता मामले मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि यूपी में 1 फरवरी को गेहूं का भाव 2731 रुपये प्रति क्विंटल था जो 10 फरवरी को मामूली घटकर 2714 रुपये पर आ गया. इसी तरह मध्य प्रदेश में भी इस अवधि के दौरान गेहूं का दाम मामूली रूप से गिरकर 2849 से 2840 रुपये प्रति क्विंटल दर्ज किया गया. जबकि, राजस्थान में गेहूं का थोक भाव 1 फरवरी को 2840 रुपये था जो 10 फरवरी को घटकर 2712 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गया.
बफर स्टॉक के लिए गेहूं की खरीद कुछ राज्यों में अगले महीने और अन्य राज्यों में 1 अप्रैल से शुरू होने जा रही है. इंडस्ट्री सूत्र के हवाले से बिजनेसलाइन की रिपोर्ट में कहा गया है कि जब तक कीमतें एमएसपी स्तर के आसपास नहीं लाई जातीं, तब तक सरकार के लिए मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश से टारगेट मात्रा में खरीद करना मुश्किल होगा. क्योंकि, हरियाणा और पंजाब में अधिक मंडी शुल्क के चलते अधिकांश निजी व्यापारी इन दो राज्यों में खरीद करना पसंद करते हैं. एक अधिकारी ने कहा कि सरकार को समानांतर रूप से एक आपातकालीन योजना तैयार करनी चाहिए कि अगर खरीद 250 लाख टन से कम हो जाती है तो क्या करना है.
केंद्र सरकार ने हाल ही में भारतीय खाद्य निगम (FCI) को मिलर्स और प्रॉसेसिंग यूनिट्स, ट्रेडर्स के लिए साप्ताहिक ई-नीलामी में प्रस्तावित मात्रा को 1.5 लाख टन से बढ़ाकर 4 लाख टन करने की अनुमति दी है. दिसंबर 2024 में शुरू हुई ई-नीलामी के बाद से अब तक सरकार करीब 13 लाख टन गेहूं बेच पाई है. जबकि, 25 लाख टन बिक्री का टारगेट रखा गया था. वहीं, नए सीजन में गेहूं खरीद टारगेट बढ़ाने की तैयारी है. इसके लिए केंद्रीय खाद्य सचिव खरीद के अनुमान और एक कार्य योजना को अंतिम रूप देने के लिए जल्द ही सभी गेहूं उत्पादक राज्यों के अधिकारियों के साथ बैठक कर सकते हैं.
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