उत्तर तेलंगाना के किसान निजामाबाद मंडी में हल्दी की कीमतों में भारी गिरावट से बहुत परेशान हैं जो देश में इस मसाले के सबसे बड़े केंद्रों में से एक है. निज़ामाबाद, जगतियाल और निर्मल जिलों के किसान बड़ी मात्रा में हल्दी लेकर आ रहे हैं, लेकिन आवक बढ़ने से कीमतों में गिरावट आई है.
जनवरी में हल्दी के मौसम की शुरुआत में कीमतें 15,000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई थीं. उन दामों से खुश होकर, किसानों ने बड़ी मात्रा में खेप लाना जारी रखा, लेकिन बाद में पता चला कि कुछ व्यापारियों ने कथित तौर पर कीमतें कम करने के लिए एक सिंडिकेट बनाया है. किसानों का कहना है कि न तो मार्केट कमेटी और न ही अधिकारियों ने इसे रोकने के लिए कोई कार्रवाई की है.
फरवरी और मार्च में हल्दी का पीक सीजन आने वाला है, इसलिए बाजार में आवक और भी बढ़ने की उम्मीद है. 'डेक्कन क्रॉनिकल' से बात करते हुए, कम्मरपल्ली मंडल के कोनासामुंदर गांव के हल्दी किसान उपरा नरसैय्या ने कहा कि हल्दी हाल के वर्षों में बार-बार घाटे का कारण बनी है. हल्दी को उगाने में नौ महीने लगते हैं और उसकी लागत लगभग 1.2 लाख रुपये प्रति एकड़ है.
किसान नरसैय्या ने कहा, "अगर हमें कम से कम 12,000 रुपये प्रति क्विंटल मिल जाए, तो हमें न तो लाभ होगा और न ही घाटा." "अभी, फिंगर और बल्ब किस्में 10,000 रुपये से नीचे बिक रही हैं, जो एक बड़ा झटका है." नरसैया ने कहा कि कुछ ब्रोकर ने गांवों से सीधे हल्दी खरीदना शुरू कर दिया है, वे कम रेट में पेशकश कर रहे हैं और भुगतान में देरी कर रहे हैं. उन्होंने राज्य और केंद्र दोनों सरकारों से बेहतर, अधिक सही दाम दिलाने का आग्रह किया.
इस बीच, राज्य बीज निगम के अध्यक्ष सनकेत अन्वेश रेड्डी ने व्यापारियों को किसानों का फायदा उठाना बंद करने की चेतावनी दी. उन्होंने कहा, "अगर कोई व्यापारी किसानों का शोषण करता पाया गया, तो हम कड़ी कार्रवाई करेंगे." किसानों ने बार-बार बाजार बंद होने पर भी चिंता जाहिर की है, उनका आरोप है कि कुछ व्यापारी और अधिकारी जानबूझकर असुविधा पैदा करने के लिए कारोबार बंद कर देते हैं. उनका कहना है कि इन बंदों से कीमतें और गिरती हैं और बिक्री प्रक्रिया में देरी होती है, जिससे उनकी मुश्किलें और बढ़ जाती हैं.
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