धान की खरीद (फाइल फोटो)धान की सरकारी खरीद लगभग सभी राज्यों में जारी है. इस बीच, अक्टूबर के दूसरे पखवाड़े में केंद्र सरकार की न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP पर धान की खरीद में और तेजी आई है, क्योंकि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने 70 लाख टन से ज्यादा धान की खरीद की है, जबकि एक साल पहले यह लगभग 60 लाख टन था. वहीं, अक्टूबर में कुल खरीद 119 लाख टन को पार कर गई है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 81.85 लाख टन थी. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि ज़्यादा ख़रीद मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और अन्य राज्यों में जल्दी कटाई के कारण हुई है. इसके अलावा, पंजाब और हरियाणा में खरीद 1 अक्टूबर के सामान्य समय से कुछ दिन पहले ही शुरू हो गई थी.
धान खरीद सत्र अक्टूबर से शुरू होता है और खरीद अवधि राज्यवार अलग-अलग होती है, जो प्रत्येक राज्य में अपनाई जाने वाली फसल पद्धति पर निर्भर करती है. इस वर्ष धान की जल्दी आवक के कारण, केंद्र ने पंजाब और हरियाणा में खरीद एजेंसियों को सितंबर के मध्य से खरीद शुरू करने की अनुमति दी है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पंजाब जो धान का सबसे बड़ा उत्पादक रहा है, उसने 31 अक्टूबर तक 69.39 लाख टन धान खरीदा है, जो पिछले वर्ष की समान अवधि के 46.62 लाख टन से लगभग 49 प्रतिशत अधिक है. वहीं, हरियाणा को 22.7 प्रतिशत अधिक धान मिला है, जो पिछले वर्ष की समान अवधि के 31.06 लाख टन से इस साल 38.12 लाख टन है.
तमिलनाडु में खरीद, जो एक महीने पहले 1 सितंबर से शुरू हुई थी, पिछले साल के 2.89 लाख टन से दोगुनी से भी ज्यादा बढ़कर 7.51 लाख टन हो गई है. बता दें कि पिछले साल भी तमिलनाडु में खरीद 1 सितंबर से शुरू हुई थी. वहीं, अन्य राज्यों ने केन्द्रीय पूल में 4.05 टन धान का योगदान दिया है, जिसमें उत्तराखंड द्वारा 2.89 टन, उत्तर प्रदेश द्वारा 61,701 टन और तेलंगाना द्वारा 27,157 टन धान शामिल है.
सरकार ने 2025-26 खरीद सत्र (अक्टूबर-सितंबर) में खरीफ की फसल से 463.49 लाख टन धान खरीदने का लक्ष्य रखा है, जबकि 2024-25 में वास्तविक खरीद 545.22 लाख टन थी, जिसमें हरियाणा से 36.17 लाख टन और पंजाब से 116.13 लाख टन शामिल हैं.
हालांकि हरियाणा में धान की खरीद की अवधि 15 नवंबर तक और पंजाब में 30 नवंबर तक है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि फसल की समय से पहले कटाई के कारण खरीद निर्धारित समय से पहले ही समाप्त हो सकती है. सरकार ने हरियाणा से 36 लाख टन चावल खरीदने का लक्ष्य रखा था, लेकिन मौजूदा खरीद पहले ही लक्ष्य से अधिक हो चुकी है.
छत्तीसगढ़, ओडिशा और मध्य प्रदेश में 1 नवंबर से खरीद शुरू होने वाली है, जो केंद्रीय पूल स्टॉक में प्रमुख योगदानकर्ता हैं और जिनका प्रबंधन भारतीय खाद्य निगम (FCI) द्वारा किया जाता है. मध्य प्रदेश सरकार ने कथित तौर पर केंद्र से अपनी एजेंसियों के माध्यम से किसानों से सीधे खरीद करने का अनुरोध किया है. कृषि मंत्रालय ने अभी तक खरीफ सीजन का फसल अनुमान जारी नहीं किया है और अगले सप्ताह की शुरुआत में इसकी घोषणा होने की संभावना है.
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