आंध्र प्रदेश के तिरुपति जिले के किसान परेशान हैं. यहां के गुडुर जिले में बड़े पैमाने पर नींबू की खेती होती है. लेकिन बीते हफ्ते जिस तेजी से नींबू के दाम गिरे हैं, उससे किसान हताश और परेशान हैं. यहां के किसान पहले 25 से 35 रुपये किलो तक नींबू बेचा करते थे, लेकिन अब वही दाम 10 से 20 रुपये किलो तक पहुंच गया है. किसानों का कहना है कि गिरते भाव से उनकी खेती की लागत भी नहीं निकल पा रही है. अगर यही हालत रही तो किसान नींबू की खेती से मुंह मोड़ लेंगे.
नींबू की कीमतों में अचानक गिरावट का कारण उपज की अधिक सप्लाई है. बागों में बंपर फसल होने के कारण, किसान अपनी उपज को बाजारों में ले जा रहे हैं, ताकि पेड़ों से नींबू गिरकर सड़ न जाएं. सप्लाई में वृद्धि ने मांग को कम कर दिया है, जिससे व्यापारी भी मजबूरन किसानों को कम दाम दे रहे हैं.
चिल्लाकुर मंडल के एक किसान श्रीनिवास रेड्डी ने खीज भरे लहजे में कहा, हमें 15 रुपये किलो नींबू बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है जबकि लेबर और ढुलाई का खर्च ही 18 रुपये किलो तक है. कड़ी मेहनत और परिश्रम करने के बाद भी हमारे हाथ में कुछ नहीं आ रहा है.
दिल्ली, बेंगलुरु और चेन्नई जैसे ठंडे इलाकों में मांग कम होने से स्थिति और खराब हो गई है. सर्दियों की वजह से नींबू की खपत कम हुई है, जबकि उत्तरी राज्यों में घने कोहरे की वजह से ढुलाई और बाजार में लोगों की आवाजाही कम हुई है. इन कारणों ने किसानों के लिए मुश्किलों को और बढ़ा दिया है.
बालयापल्ले मंडल के किसान राम कृष्ण ने कहा, "पहले हम उपज अधिक होने पर उसे उत्तरी राज्यों के बाजारों में भेज सकते थे, लेकिन अब मांग में भारी गिरावट आई है." "यहां तक कि हरे नींबू, जिनके दाम अधिक मिला करते थे, अब वह हमें अपनी लागत निकालने में भी मदद नहीं कर रहे हैं. हम लाचार महसूस करते हैं."
पुणे और गुजरात जैसी जगहों पर स्टोरेज की सुविधा होने के कारण हरे नींबू 30 रुपये प्रति किलो बिक रहे हैं, लेकिन पके हुए नींबू, जिन्हें लंबे समय तक स्टोर नहीं किया जा सकता, बेहद कम कीमत पर बिक रहे हैं. इसके अलावा, दूरदराज के बाजारों में ढुलाई की लागत पहले से ही कम मार्जिन को और भी कम कर रही है.
यहां के गुडुर, बलायापल्ली, वेंकटगिरी और आसपास के मंडलों में किसान नींबू के गिरते भाव से परेशान हैं और सरकार को इस पर गौर करने का आग्रह किया है. किसान सरकार से सब्सिडी के तौर पर मदद की मांग कर रहे हैं. साथ ही वे नींबू रखने के लिए कोल्ड स्टोरेज बनाने की मांग कर रहे हैं. किसानों ने नींबू के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की भी मांग उठाई है ताकि उनके नुकसान की भरपाई हो सके.
व्यापारियों का कहना है कि दाम में गिरावट अगले दो हफ्ते तक जारी रह सकती है जब तक उत्तरी राज्यों से मांग न बढ़े. इन राज्यों से मांग तभी बढ़ेगी जब ठंड कम होगी और गर्मी की शुरुआत होगी. जब तक मांग नहीं बढ़ती है तब तक किसानों को अपनी उपज पर ऐसे ही नुकसान का सामना करना पड़ेगा.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today