कमजोर मांग के चलते लाल मिर्च के भाव लगातार गिरते जा रहे हैं, जो किसानों की चिंता का कारण बना हुआ है. जनवरी 2024 के मुकाबले इस साल जनवरी में लाल मिर्च की कीमतों में 35 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है. इस दौरान मिर्च का भाव 19, 000 रुपये प्रति क्विंटल से गिरकर 12 हजार से 13 हजार रुपये प्रति क्विंटल हो गया. प्रो. जयशंकर तेलंगाना राज्य कृषि विश्वविद्यालय ने जनवरी से मार्च 2025 के दौरान कटाई के समय मिर्च की कीमतों का अनुमान लगाया, जिसमें इसकी प्रति क्विंटल कीमत 14,500 रुपये से 16,500 रुपये तक रही.
व्यापार विशेषज्ञों ने मिर्च की कीमतों में गिरावट के लिए वैश्विक मांग में कमी को जिम्मेदार ठहराया है. खासकर चीन में मांग कमजोर रहने से ऐसा हुआ. मसाला बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल-अक्टूबर 2024 के दौरान मिर्च का निर्यात 3.31 लाख टन रहा, जिसकी कीमत 645.15 मिलियन डॉलर थी. वहीं पिछले वित्त वर्ष की पहले 6 महीनों में 757.84 मिलियन डॉलर कीमत पर 3.04 लाख टन मिर्च का निर्यात हुआ था.
वहीं, चालू वित्त वर्ष में पहले 6 महीनों में मिर्च के निर्यात में 15 प्रतिशत कमी दर्ज की गई है. मिर्च की घटती मांग और गिरती कीमतों से चिंतित तेलंगाना के किसानों ने केंद्र और राज्य सरकारों से 20,000 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से उपज खरीदने का आग्रह कर मदद की गुहार लगाई है.
'बिजनेसलाइन' की रिपोर्ट के मुताबिक, मिर्च किसान और तेलंगाना रायथु संघम के नेता बोंथु रामबाबू ने कहा कि किसानों को उम्मीद थी कि मिर्च की कीमतें बेहतर होंगी, इसलिए उन्होंने उपज का भंडारण करके रखा. लेकिन, अब दाम बढ़ने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं. ऐसे में उन्हें आर्थिक नुकसान उठाकर कम कीमतों पर उपज बेचने को मजबूर होना पड़ रहा है.
रामबाबू ने कहा कि अगर 2023 के मिर्च के रेट देखें तो उस समय ये 25 हजार रुपये प्रति क्विंटल भाव था, जबकि उस साल मिर्च की खेती का वैश्विक रकबा 18.03 लाख हेक्टेयर और उत्पादन 58.22 लाख टन था. अकेले भारत 27.82 लाख टन मिर्च उत्पादन के साथ दुनिया में नंबर वन है. वहीं, देश में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना सबसे बड़े मिर्च उत्पादक राज्य हैं.
बोंथु रामबाबू ने कहा कि तेलंगाना में पिछले कुछ सालाें मिर्च का बुवाई क्षेत्र 4.50 लाख एकड़ से कम होकर 2.34 लाख एकड़ पहुंच गया है. इलाके में मिर्च का क्षेत्र घटने और उत्पादन कम होने के बावजूद बाजार में मांग नहीं दिख रही है. वहीं, कीटों और बीमारियों के कारण फसल में 40 प्रतिशत तक नुकसान भी झेलना पड़ रहा है.
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