हरियाणा में धान की कटाई शुरू हो गई है. दरअसल, अंबाला जिले की अलग-अलग अनाज मंडियों में धान की आवक शुरू हो गई है. इसी के साथ ही किसान सरकार द्वारा MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर खरीद शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं. उपज में गिरावट को देखते हुए किसानों का कहना है कि मौसम में उतार चढ़ाव जारी है, ऐसे में सरकार को बिना किसी देरी के उनकी उपज की खरीद करनी चाहिए, ताकि उन्हें और नुकसान से बचाया जा सके.
वैसे तो खरीद एक अक्टूबर से शुरू होती है, हालांकि, किसान 15 सितंबर से ही खरीद की मांग कर रहे हैं. बता दें कि सीएम नायब सिंह सैनी के अनुरोध के बाद केंद्र सरकार ने निर्धारित तिथि से पहले खरीद शुरू करने की अनुमति दी है.
अंबाला शहर की अनाज मंडी में अपनी उपज लेकर आए गाजीपुर गांव के किसान तरसेम लाल ने बताया कि पिछले साल के 35 क्विंटल प्रति एकड़ उपज के मुकाबले इस साल लगभग 20-22 क्विंटल उपज है. दक्षिणी चावल के काले धारीदार बौने वायरस ने फसल को बुरी तरह प्रभावित किया है और कीटनाशकों पर भारी रकम खर्च करने के बाद भी नतीजे अच्छे नहीं रहे. हालांकि, सरकारी खरीद अभी शुरू नहीं हुई है और हमारे पास अपनी उपज आढ़तियों के पास छोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. एक अन्य किसान चरना राम ने कहा कि खराब और बदलते मौसम में हम अपनी पकी हुई फसल को खेतों में एजेंसियों का आने का इंतज़ार करते हुए नहीं छोड़ हुए सकते.
बीकेयू (चढूनी) के जिला युवा अध्यक्ष गुलाब सिंह पुनिया ने कहा कि इस साल किसानों को पहले ही नुकसान हो चुका है. ऐसे में सरकार को यह तय करना चाहिए कि उपज की समय पर खरीद हो. इस मांग के समर्थन में गुरुवार को उपायुक्त कार्यालय पर एक दिवसीय उपवास रखने का निर्णय लिया गया है.
अंबाला शहर के अनाज मंडी में 8,750 क्विंटल से अधिक स्टॉक आ चुका है. अनाज मंडी के सचिव दलेल सिंह ने कहा कि किसानों का कहना है कि इस साल पैदावार में कमी आई है और इसका असर अनाज मंडी में कुल आवक पर पड़ेगा. पिछले साल कुल आवक लगभग 14.42 लाख क्विंटल थी. वहीं, सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं और सरकार के निर्देशों के अनुसार खरीद शुरू हो जाएगी.
अंबाला के कृषि उपनिदेशक डॉ. जसविंदर सैनी ने कहा ने कहा कि वायरस के अलावा, बेमौसम बारिश और खेतों में जलभराव ने भी उपज को प्रभावित किया है. धान की फसल में फूल आने के दौरान नुकसान हुआ है और किसान औसतन 20-22 क्विंटल उपज बता रहे हैं, जबकि पिछले साल यह उपज 34-35 क्विंटल प्रति एकड़ थी. वहीं, 1 अक्टूबर के आसपास कटाई अपने चरम पर होने की उम्मीद है.
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