13 फरवरी से जारी किसानों का प्रदर्शन कहां जाकर रुकेगा, आने वाले समय बताएगा. लेकिन अब इस प्रदर्शन में ट्रक ऑपरेटर्स भी शामिल हो गए हैं. गुरुवार को लुधियाना-जालंधर हाइवे पर जो कुछ हुआ, उससे तो यही लगता है. यहां पर लाढोवाल टोल बैरियर पर कुछ ट्रक ऑपरेटर्स ने प्रदर्शन किया. इस प्रदर्शन की वजह से ट्रैफिक करीब तीन घंटे तक ठप रहा. इस प्रदर्शन को ऑल पंजाब ट्रक ऑपरेट यूनियन, किसान संघ और श्रमिक संघ की तरफ से आयोजित किया गया था.
इस प्रदर्शन का मकसद लंबे समय से चली आ रही शिकायतों की ओर ध्यान आकर्षित करना था. करीब 200 अज्ञात लोगों और चार प्रदर्शनकारी नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. लाधोवाल टोल प्लाजा पर विरोध प्रदर्शन को हटाने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज और बल का सहारा लेना पड़ा. पुलिस अधिकारियों की मानें तो आरोपियों के खिलाफ नेशनल हाईवे एक्ट भी लगाया गया है. पुलिस अधिकारियों के मुताबिक यहां के पुलिस अधिकारियों ने आठ आरोपियों की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया है.
एडीसीपी रमनदीप भुल्लर ने कहा, ' प्रदर्शनकारियों ने दोपहर 12 बजे के आसपास नेशनल हाइवे को ब्लॉक कर दिया था. कई बार उनसे अनुरोध किया गया कि वो रास्ता खोल दें क्योंकि यात्रियों को परेशानी उठानी पड़ रही है. लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया. इसकी वजह से हमें विरोध करने वाले नेताओं को हिरासत में लेने के लिए मजबूर होना पड़ा. शाम करीब चार बजे विरोध प्रदर्शन हटा लिया गया.'
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ट्रक ऑपरेटर यूनियन के प्रमुख हैप्पी संधू सहित आठ नेताओं को हिरासत में लिया गया. 200 अज्ञात व्यक्तियों पर एनएच अधिनियम और आईपीसी की धारा 8बी, 353, 186, 379बी और 149 के तहत मामला दर्ज किया गया. लाधोवाल टोल बैरियर पर प्रदर्शन के कारण राजमार्ग के दोनों ओर यातायात जाम हो गया. इसकी वजह से जालंधर और दिल्ली से यात्रा करने वाले यात्री प्रभावित हुए. कई किलोमीटर तक वाहनों की लंबी कतारें लग गईं. ट्रक ऑपरेटर यूनियन के सदस्य रणजीत सिंह ने कहा, 'हमें एफसीआई द्वारा अपनाई गई मजदूरी दर के अनुसार मजदूरी नहीं मिल रही है क्योंकि ठेकेदारों को निविदाएं आवंटित की गई थीं. इसके कारण मजदूरों और ट्रकों के ड्राइवरों को बहुत कम भुगतान किया जाता है.'
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तीन घंटे तक जाम लगा रहा. जैसे ही तनाव बढ़ा, प्रदर्शनकारियों और जनता के बीच बहस छिड़ गई. सहायक पुलिस उपायुक्त (एडीसीपी) रमनदीप सिंह भुल्लर ने प्रदर्शनकारियों से बात करने की कोशिश की और उनसे सड़क के किनारे प्रदर्शन करने का आग्रह किया. आखिरकार प्रशासनिक अधिकारियों से चर्चा के बाद सहायक जिलाधिकारी (एडीएम) प्रदर्शनकारियों की मांगों पर विचार करने को राजी हो गये. पुलिस अधिकारियों ने दावा किया कि प्रदर्शनकारियों के साथ शांतिपूर्वक बातचीत करने का प्रयास किया गया, लेकिन उन्होंने पुलिस अधिकारियों के खिलाफ हिंसा का सहारा लिया. कुछ प्रदर्शनकारियों को राष्ट्रीय राजमार्ग पर नाकाबंदी करने और अधिकारियों को उनके कर्तव्यों के संचालन में बाधा डालने के लिए हिरासत में लिया गया था.
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