Success Story: प्रतिभा हल्दी ने मोहम्मद बुस्थानी को बनाया कामयाब, प्रति हेक्टेयर लेते हैं 39 टन उपज

Success Story: प्रतिभा हल्दी ने मोहम्मद बुस्थानी को बनाया कामयाब, प्रति हेक्टेयर लेते हैं 39 टन उपज

किसान बुस्थानी ने कहा कि हमने 100 किलो प्रतिभा हल्दी को सुखा कर घरेलू उपयोग के लिए पाउडर के रुप में तैयार किया. धीरे-धीरे पाउडर हल्दी ने आसपास के घरों के किचन में अपनी जगह बना ली. जब मेरी पत्नी ने हल्दी पाउडर की सफलता के बारे में बताया, तब मैंने हल्दी की व्यावसायिक स्तर पर खेती के बारे में सोचा.

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Success Story: प्रतिभा हल्दी ने मोहम्मद बुस्थानी को बनाया कामयाब, प्रति हेक्टेयर लेते हैं 39 टन उपजहल्दी की खेती से हो रही बंपर कमाई. (सांकेतिक फोटो)

लोगों को लगता है कि सिर्फ धान-गेहूं जैसी फसलों की खेती में ही कमाई है, लेकिन ऐसी बात नहीं है. मसालों की खेती से भी किसान अच्छी इनकम हासिल कर सकते हैं. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है केरल के रहने वाले मोहम्मद बुस्थानी ने. वे हल्दी की खेती से साल में लाखों रुपये की कमाई कर रहे हैं. खास बात यह है कि उनकी हल्दी की खेती एक उद्योग का रूप ले चुकी है. उनके इस कारोबार से कई लोगों के घर का खर्च चल रहा है.

ऐसे मोहम्मद बुस्थानी केरल के कोझिकोड जिला स्थित कोडुवेली के निवासी हैं. पहले वे दिल्ली में नौकरी करते थे. लेकिन उनका इससे घर का खर्च नहीं चल रहा था. ऐसे में उन्होंने नौकरी छोड़ने का फैसला किया और लौटकर कोडुवेली आ गए. यहां आने के बाद वे  कुछ नया शुरु करने के बारे में सोचा. तभी उन्हें भारतीय मसाला अनुसंधान संस्थान, कोझीकोड के तकनीकी अधिकारी डॉ. एस. हमजा और एक पुराने परिचित के साथ मुलाकात हुई. बातचीत में पता चला कि कृषि ही उनकी अगली मंजिल है. ऐसे में फरवरी 2011 के दौरान, उन्होंने अपने पांच दोस्तों के साथ तीन-दिवसीय संगोष्ठी और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की राष्ट्रीय कृषि नवाचार परियोजना (एनएआईपी) के तत्वावधान में आयोजित प्रदर्शनी में भाग लिया.

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पहली बार में 17 टन हल्दी का उत्पादन

यह प्रदर्शनी बुस्थानी और उनके दोस्तों के जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ था. बुस्थानी ने कहा कि संगोष्ठी में कई सत्रों में भाग लेकर और किसान प्रतिभागियों की सफलता गाथा सुनने के बाद हमने कीट और रोगों से कम से कम प्रभावित होने वाली हल्दी की खेती करने का फैसला किया. शुरूआत में, उन्होंने अब्दुल नबील, संगोष्ठी में मौजूद एक किसान प्रतिनिधि से प्रतिभा हल्दी का एक टन बीज राइजोम लिया. फिर उन्होंने सुल्तान बाठेरी और वायनाड में पट्टे पर एक एकड़ जमीन ली और इस तरह कपोल फार्म की शुरुआत की. उस एक एकड़ भूखंड से जनवरी 2012 के दौरान टीम ने लगभग 17 टन ताजा हल्दी की खेती की.

320 टन उत्पादन का है टारगेट

बुस्थानी ने कहा कि हमने 100 किलो प्रतिभा हल्दी को सुखा कर घरेलू उपयोग के लिए पाउडर के रुप में तैयार किया. धीरे-धीरे पाउडर हल्दी ने आसपास के घरों के किचन में अपनी जगह बना ली. जब मेरी पत्नी ने हल्दी पाउडर की सफलता के बारे में बताया, तब मैंने हल्दी की व्यावसायिक स्तर पर खेती के बारे में सोचा. इसके बाद उन्होंने वेलामुंड के पास पजायंगडी में 18 एकड़ जमीन पट्टे पर ली और पूरे क्षेत्र की भूमि पर प्रतिभा हल्दी के शेष राइजोम्स बीजों को लगाया. आज, कपोल फार्म केरल में एकल विविधता वाली हल्दी का सबसे बड़ा खेत है. किसान उत्पादन के लिए आईआईएसआर द्वारा सुझाए गए उत्पादन सुझाव अपनाते हैं. उर्वरक के संचालन द्वारा 320 टन की उपज प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया है.

कितने दिनों में तैयार होती है हल्दी

उनका कहना है कि 225 दिनों में हल्दी की फसल तैयार हो जाती है. प्रतिभा 18.9 फीसदी की सूखी वसूली के साथ 39.12 टन प्रति हेक्टेयर की औसत उपज देता है. प्रतिभा ने केरल की जलवायु में भी 6 से 7 फीसदी करक्युमिन का योगदान किया है. हल्दी की यह उच्च करक्युमिन विविधता, आईआईएस के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. बी. शशिकुमार द्वारा विकसित की गई थी और यह एक दशक से अधिक समय से प्रयोग में है. खास बात यह है कि भविष्य को लेकर भी बुस्थानी ने योजना बना ली है. उनका मानना ​​है कि प्रतिभा हल्दी पाउडर का इसके बेहतर गुण के कारण घर-घर में एक अद्वितीय ब्रांडेड उत्पाद के रूप में विपणन किया जाना चाहिए.

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