
देश में बड़े पैमाने पर आम की बागवानी की जाती है. आम की गुणवत्ता वाली उपज के लिए यह समय काफी अहम है क्योंकि इस समय आम फलन की अवस्था पर है, जो आम की गुणवत्ता के लिए बेहद संवेदनशील होती है. मौसम विभाग के अनुसार, इस साल मई में उत्तर भारत में कई जिलों में तापमान 44 से 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है और आने वाले दिनों में इसके और बढ़ने की आशंका है. गर्मी लगातार बढ़ती जा रही है, जो आम की पैदावार और फल के लिए खतरनाक है. गर्मी बढ़ने, गर्म हवाओं और बगीचों में नमी की कमी के कारण फलों के गिरने और फटने की प्रक्रिया तेज हो जाती है. इस अवस्था में आम के बागों में हानिकारक कीटों के कारण भी आम की फलत की हानि होती है. इसलिए आम के बगीचे में ऐसा प्रबंधन करें, ताकि गर्मी के प्रभाव और हानिकारक कीटों को रोककर बंपर फलत के साथ ही बेहतरीन गुणवत्ता भी मिल सके.
आमतौर पर देखा गया है कि अगर हम बाग का प्रबंधन अच्छे से नहीं कर पाते, तभी फलों की गुणवत्ता बिगड़ती है. इसके लिए कुछ तकनीकी जानकारी भी जरूरी है. फल चमकदार होx, उनका आकार बड़ा हो, इसके लिए अभी से तैयारी शुरू कर दें. ऐसे में आम किसानों के लिए अपनी उपज को बचाना एक बड़ी चुनौती है. आईसीएआर-सीआईएसएच लखनऊ ने किसानों को सुझाव दिया है कि क्योंकि इस समय तापमान बढ़ रहा है और आम के बागों में फल आकार ले रहे हैं. इस समय बगीचे की मिट्टी को नम रखना जरूरी है. अगर बगीचे की मिट्टी में नमी की कमी है, तो इससे फल के विकास पर असर पड़ेगा और फल फटने लगते हैं.
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ऐसी स्थिति में किसानों को सलाह दी गई है कि आम के बागों में सिंचाई की व्यवस्था करें ताकि बगीचों में नमी बनी रहे और फलों का विकास अच्छा हो. फलों पर 0.5 प्रतिशत बोरेक्स या 0.2 प्रतिशत घुलनशील बोरान या फोलिबोर, 0.5 प्रतिशत सल्फेट ऑफ पोटाश और 0.5 प्रतिशत जिंक का सल्फेट का छिड़काव करें. इसके अलावा इस समय आम के फल में बोरान की कमी से गलन यानी विगलन की समस्या होती है. इसलिए फलों के विकास के दौरान सोलुबोर या फोलीबोर/2 ग्राम/लीटर पानी का छिड़काव करना चाहिए. इससे आम में विगलन की समस्या की रोकथाम की जा सकती है. इस तरह की समस्या बाग में हर साल आती है. इस समस्या से बचने के लिए मिट्टी में भी 50-100 ग्राम प्रति पेड़ की दर से प्रयोग बरसात के बाद करना चाहिए.
बढ़ती गर्मी के अलावा इस समय आम की बागवानी में फलीबेधक कीट और कुछ सुंडियां बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं. विशेषकर आम का फलीबेधक अप्रैल-मई माह में फलों को विशेष नुकसान पहुंचाता है. नवजात फल का छिलका खाता है और विकसित होकर गूदा के अंदर चला जाता है. इसकी सुंडियों की उपस्थिति दो या दो से अधिक फलों के एक दूसरे को छूने पर होती है. प्रारंभ में यह कीट फलों के बीच जाल पैदा करता है और प्रभावित फल एक चिपचिपा पदार्थ छोड़ते हैं. इसके नुकसान से फल में सड़न फैल जाती है जिससे फल का गूदा खराब हो जाता है. सबसे पहले प्रभावित फलों को इकट्ठा करके मिट्टी में डालकर ढक देना चाहिए. इसके लिए प्रभावित बगीचों में डाइमेथोएट 2 मि.ली. प्रति लीटर पानी में घोल का दो छिड़काव करें, इससे बाग में इस कीट की रोकथाम हो जाती है.
सीआईएसएच लखनऊ के विशेषज्ञों के मुताबिक, फल मक्खी आम के निर्यात को प्रभावित करती है. इस समय ये कीट आम के बगीचों में सक्रिय हो जाते हैं, इसलिए इस कीट के नियंत्रण के लिए अभी से जरूरी उपाय शुरू कर देने चाहिए. फल मक्खी मादा परिपक्व फल की त्वचा को भेदकर गूदे में अंडे देती है. इसके अंडे से निकले लार्वा गूदा खाते हैं. बाहर से ये फल सामान्य दिखाई देते हैं लेकिन प्रभावित फल पकने से पहले ही पेड़ से गिर जाते हैं. इसके लिए सबसे अच्छा रोकथाम उपाय है मिथाइल यूजेनॉल फेरोमोन ट्रैप 10 प्रति हेक्टेयर की दर से कीट को नियंत्रित करना. हर महीने जाल में एक नया मिथाइल यूजेनॉल गुटका लगाना चाहिए. अगर जाल में 5 मक्खियां मिलती हैं, तो हर सप्ताह पेड़ पर 100 गुड़ का राब 1 लीटर पानी में घोलकर उसमें 2.8 EC डेल्टामेथ्रिन दवा को 2 मि.ली. मिलाकर तनों पर छिड़काव करें.
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इस तरह अगर आप विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार अपने आम के बागों की देखभाल करेंगे, तो निश्चित ही बेहतर गुणवत्ता की बंपर फलत के हकदार बनेंगे. इसलिए आम के बागों का बेहतर प्रबंधन अभी से शुरू कर दें.
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