उत्तर प्रदेश के मथुरा से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है. बताया जा रहा है कि खुशीपुरा गांव में जब सरकारी टीम गैरकानूनी अतिक्रमण हटाने गई तो एक किसान की झोपड़ी में आग लगा दी गई जिसमें एक 60 साल के वृद्ध किसान की दर्दनाक मौत हो गई. एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि सत्यभान नाम के किसान की जलने से सोमवार को आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान मौत हो गई. इस खबर के बाद पूरे गांव में गम और गुस्से का माहौल है.
इस मामले को लेकर मथुरा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्लोक कुमार ने कहा कि यह घटना उस समय हुई जब राजस्व विभाग की एक टीम जैत थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले खुशीपुरा में कथित अतिक्रमण से जमीन को मुक्त कराने गई थी. मथुरा के जिलाधिकारी चंद्र प्रकाश सिंह ने बताया कि किसान सत्यभान और उनका परिवार कई दशकों से खांडसारी सहकारी समिति की जमीन पर बनी झोपड़ी में रह रहे हैं.
7 अगस्त को नायब तहसीलदार अनमोल गर्ग, कानूनगो राजेंद्र और लेखपाल कपिल गांव में आए और पुलिस को जमीन से कब्जाधारियों को बेदखल करने का आदेश दिया. जब पुलिस टीम पहुंची तो सत्यभान ने इस बेदखली का विरोध किया. देखते ही देखते मौके पर भीड़ जमा हो गई और इस भगदड़ में थोड़ी ही देर बाग सत्यभान आग की लपटों में घिरा हुआ पाया गया. इस अप्रत्याशित घटना को देखते हुए, टीम ने किसान के परिवार और ग्रामीणों के साथ मिलकर आग बुझाने का प्रयास किया मगर किसान को बचा नहीं पाए. जल्दबाजी में यह पता नहीं चल सका कि आग कैसे लगी और वह कैसे आग की चपेट में आ गया.
इसको लेकर सत्यभान के बेटे पुष्पराज ने बताया कि कुछ ग्रामीणों ने उनकी झोपड़ी पर डीजल डालकर आग लगा दी. उन्होंने कहा कि कुछ ग्रामीण उस जमीन को बेचना चाहते हैं जहां वे पिछले 30 सालों से रह रहे हैं.
वहीं सत्यभान को बचाने की कोशिश में उनकी बहू ललितेश का हाथ भी मामूली रूप से जल गया. उनका इलाज चल रहा है. वहीं इस घटना के बाद प्रशासन ने भी एक्शन लिया है. लापरवाही के आरोप में डीएम ने अनमोल गर्ग ने इस घटना के बाद कानूनगो और लेखपाल को लापरवाही का दोषी मानते हुए निलंबित कर दिया. इसके साथ ही अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) पंकज त्रिपाठी को मामले की जांच कर 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट देने का आदेश दिया.
(सोर्स- PTI)
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