देश में किसान अब धान-गेहूं जैसी पारंपरिक फसलों के मुकाबले बागवानी में ज्यादा दिलचस्पी ले रहे हैं. क्योंकि किसानों का मानना है कि बागवानी फसलों की खेती में कम लागत में ज्यादा मुनाफा है. बात अगर उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, हरियाणा और पश्चिम बंगाल की करें, तो यहां पर किसान बागवानी में हरी सब्जियों की सबसे अधिक खेती कर रहे हैं. खास बात यह है कि इन राज्यों में उत्पादित हरी सब्जियों की सप्लाई पूरे देश में होती है. लेकिन आज हम एक ऐसी सब्जी के बारे में बात करेंगे, जिसकी मार्केट में पूरे साल मांग रहती है. इसकी कीमत भी औसतन 40 से 60 रुपये किलो के बीच रहती है. अगर किसान इस सब्जी की खेती करते हैं, तो उन्हें अच्छी कमाई होगी.
दरअसल, हम बात कर रहे हैं सदाबहार सब्जी परवल के बारे में. यह एक ऐसी सब्जी है, जिसकी खेती किसान किसी भी सीजन में कर सकते हैं. इस सब्जी की मांग गावों से लेकर शहरों तक में है. खास कर पार्टी या शादी-समारोह में परवल की सब्जी जरूर बनाई जाती है. ऐसे भी परवल में कई सारे विटामिन्स और पोषक तत्व पाए जाते हैं. ऐसे बिहार, पश्चिम बंगाल और पूर्वी उत्तर प्रदेश में किसान बड़े स्तर पर परवल की खेती करते हैं. इसके अलावा राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, असम और महाराष्ट्र में भी इसकी खेती की जाती है.
ये भी पढ़ें- धान की खेती के लिए 4000 रुपये प्रति एकड़ की दर से मिलेगी मदद, 18 अगस्त तक करवा लें रजिस्ट्रेशन
अगर किसान परवल की खेती करना चाहते हैं, तो सबसे पहले खेत की अच्छी तरह से जुताई कर लें. साथ ही खेत में जल निकासी की भी व्यास्था करें, ताकि बारिश होने पर जलभरवा न हो. इससे फसल को नुकसान पहुंचता है. ऐसे परवल की रोपाई करने के लिए सामान्य तापमान, गर्म तापमान या बारिश का मौसम अच्छा माना गया है. क्योंकि इस मौसम में परवल के बीज तेजी से अंकुरित होते है. ऐसे परवल की खेती करने का सही तरीका बीज बोने के बजाए पौधों की रोपाई करना सही होता है. इसलिए आप नर्सरी से पौधे खरीद कर भी रोपाई कर सकते हैं. ध्यान रहे कि उर्वरक के रूप में अगर आप जैविक खाद का इस्तेमाल करते हैं, तो अच्छी उपज मिलेगी.
कृषि वैज्ञानिकों की माने तो परवल की रोपाई करने के लिए जून से अगस्त और अक्टूबर से नवंबर का समय सबसे अच्छा होता है. वहीं, परवल के पौधों की बेलों को स्टेकिंग विधि से साधा जाता है, ताकि जमीन में बेल और परवल के फलों पर बुरा असर ना पड़े. ऐसे भी बेलदार सब्जियों की खेती के लिये स्टेकिंग विधि का इस्तेमाल करने पर कीट-रोगों के हमले नहीं होते हैं. वहीं, परवल के पौधों की रोपाई के तुरंत बाद सिंचाई की भी जरूरत पड़ती है, ताकि लताओं का तेजी से विकास हो. आप सर्दी के दिन में 15 और गर्मी के दिन में 10 दिन के अंतराल पर परवल की सिंचाई कर सकते हैं.
अगर आप बारिश के मौसम में परवाल की रोपाई करते हैं, तब आपको अपने बागान में मचान बनाना पड़ेगा. आप बांस की बल्लियों और नाइलॉन की जाली की मदद से मचान तैयार कर सकते हैं. फिर रस्सी की मदद से परवल की लताओं को मचान पर चढ़ाना होगा. इससे खरपतवार और कीटों के प्रकोप की संभावना नहीं रहती है. अगर आप एक हेक्टेयर में परवल की खेती करते हैं, तो सालभर में 80 से 100 क्विंटल उपादन होगा. अभी मार्केट में परवल 40 रुपये किलो है. यानी आप परवल की खेती से साल में प्रति हेक्टेयर 4 लाख रुपये तक की माई कर सकते हैं.
ये भी पढ़ें- इस नस्ल की बकरी के दूध से बनती हैं दवाइयां, पालन करने पर किसानों की बदल जाएगी किस्मत
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today