Mangoes of afzal ansari: आखिर तीसरी बार में हो पाई अफजाल अंसारी के बाग के आम की नीलामी

Mangoes of afzal ansari: आखिर तीसरी बार में हो पाई अफजाल अंसारी के बाग के आम की नीलामी

अफजाल अंसारी माफ़िया मुख्तार अंसारी के बड़े भाई हैं जो उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले से 2019 में  समाजवादी पार्टी के टिकट पर सांसद चुने गए थे.  मई महीने में  गैंगस्टर एक्ट में 2 साल की सजा होने के बाद उनकी सांसद सदस्यता रद्द कर दी गई. उनके पत्नी के नाम धनेठा गाव में  12 बीघा आम के बाग को प्रशासन ने कुर्क तो कर लिया लेकिन बाग के आम को नीलाम नहीं कर पा रही थी. अफजल अंसारी की 12 बीघा क्षेत्रफल में फैले आम के बाग को प्रशासन ने कुर्क करने के बाद तीसरी बार में नीलामी कर पाई है.

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Mangoes of afzal ansari: आखिर तीसरी बार में हो पाई अफजाल अंसारी के बाग के आम की नीलामीअफजाल अंसारी के बाग के आम हुए नीलाम

अफजाल अंसारी माफ़िया मुख्तार अंसारी के बड़े भाई हैं जो उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले से 2019 में  समाजवादी पार्टी के टिकट पर सांसद चुने गए थे.  मई महीने में  गैंगस्टर एक्ट में 2 साल की सजा होने के बाद उनकी सांसद सदस्यता रद्द कर दी गई. उनके पत्नी के नाम धनेठा गाव में 12 बीघा आम के बाग को प्रशासन ने कुर्क तो कर लिया लेकिन बाग के आम को नीलाम नहीं कर पा रही थी. बाग के आम की प्रशासन के द्वारा दो बार नीलामी की कोशिश की गई लेकिन कोई खरीदार नहीं मिला. अब जाकर तीसरी बार में अफजाल अंसारी के द्वारा सताए हुए व्यक्ति ने ही उनके बाग की आम को खरीदा है. इस बार नीलामी की प्रक्रिया ₹100000 से शुरू की गई जिसमें भावर कोल विकासखंड के माचा गाव के निवासी हरिओम राय ने 1.10 लाख की बोली लगाकर बाग के आम को खरीदा है.

दो बार नीलामी में नहीं मिले थे  खरीदार

अफजल अंसारी की 12 बीघा क्षेत्रफल में फैले आम के बाग (Mangoes of afzal ansari) को प्रशासन ने कुर्क करने के बाद पहली बार 31 मई को नीलामी की प्रक्रिया शुरू की. इस बार नीलामी की राशि 3.57 लाख लगाई गई थी लेकिन रकम ज्यादा होने के चलते कोई भी व्यक्ति नहीं नीलामी में नहीं शामिल हुआ. दूसरी बार 7 जून को फिर नीलामी की कोशिश हुई इस बार भी नीलामी की राशि अधिक होने के चलते प्रशासन को निराशा हाथ लगी फिर तीसरी बार आम की नीलामी की तैयारी शुरू हुई.

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नीलामी में सबसे ज्यादा बोली लगाकर इस व्यक्ति ने खरीदे आम

पहली बार जब बोली के लिए 31 मई की तारीख मुकर्रर की गई तो उस समय बाग में 179 कुंटल आम का अनुमान लगाया गया लेकिन तीसरी बार की नीलामी में आम का अनुमान 50 क्विंटल ही रह गया. नीलामी की शुरुआत ₹100000 से की गई थी. मोहम्दाबाद तहसील के नायब तहसीलदार राम आश्रय यादव  की देखरेख में बोली लगाई गई. इस बोली में प्रदीप खरवार, श्रीराम यादव, शौकत ईरानी, हरिओम राय ने बोली लगाई थी. नीलामी में हरिओम राय ने सबसे ज्यादा ₹1.10 लाख की बोली लगाकर बाग के आम अपने नाम करा लिए. 

अफजाल अंसारी के अत्याचार से पीड़ित थे हरिओम राय

अफजाल अंसारी ने माचा गांव के रहने वाले विनय राय के चचेरे भाई मनोज, दिलीप और उनकी मां से जोर जबरन तरीके से कम दाम में  2009-10 में 31 बीघा जमीन खरीदी थी. कुछ ही दिन बाद 20 बीघा और भी जमीन खरीदी. इस जमीन की कीमत 2.85 करोड़ रुपए दर्शाया गया था. हरिओम राय अफजाल अंसारी के काफी पीड़ित रहे हैं. अफजाल अंसारी के आगे किसी की बोलने की हिम्मत नहीं होती थी. अपने बाहुबल के प्रयोग से  हरिओम के पिता विनय राय पर कई बार हरिजन एक्ट और गुंडा एक्ट का मुकदमा भी दर्ज करवाया गया था.

 

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