इन दिनों हमारे देश में रबी फसलों की बुवाई शुरू हो गई है. रबी सीजन में गेहूं और सरसों के साथ कई फायदेमंद सब्जियों की भी खेती की जाती है. आप भी किसान हैं और इस सीजन में फायदेमंद फसलों की तलाश में हैं तो चुकंदर की खेती करने से आपको तगड़ा मुनाफा होगा. चुकंदर जड़ प्रजाति वाली सब्जी है जिसके कई हेल्थ बेनेफिट्स बताए जाते हैं. चुकंदर की तासीर गर्म होने से सर्दी के दिनों में इसकी मांग बहुत अधिक बढ़ जाती है. आइए चुकंदर की खेती करने का तरीका जान लेते हैं.
चुकंदर की खेती के लिए सर्दी का मौसम अच्छा माना जाता है, अक्टूबर-नवंबर में खेती की जाती है. हमने पहले ही बताया कि चुकंदर एक जड़ प्रजाति की सब्जी है जो कि मिट्टी के अंदर तैयार होती है. चुकंदर की वृद्धि और विकास के लिए मिट्टी की क्वालिटी और तैयारी अव्वल दर्जे की होनी चाहिए. बुवाई से पहले खेत में खास ट्रीटमेंट की जरूरत होती है.
चुकंदर की खेती के लिए 6-7 P.H. मान वाली बलुई दोमट मिट्टी बहुत फायदेमंद मानी जाती है. इसकी खेती के लिए खेत की अच्छी तरह से भुरभुरी जुताई कर पुरानी फसल के अवशेष हटा लें और खेत को धूप लगने के लिए 2-3 दिनों के लिए छोड़ दें. अब पूरे खेत में 250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से सड़ा हुआ गोबर डालकर पाटा चला दें जिससे खाद खेत में अच्छी तरह मिल जाए.
चुकंदर को बीजों से रोपा जा सकता है. इन बीजों की रोपाई समतल और मेड़ दोनों तरह के खेतों में की जा सकती है. अगर आप सीधे खेत में रोपाई कर रहे हैं तो क्यारियां बना लें. एक क्यारी से दूसरी क्यारी की दूरी के बीच 1 फीट की दूर बनाकर रखें. इन क्यारियों में 20-25 सेमी दूरी का ध्यान रखते हुए बीजों की रोपाई कर सकते हैं. मेड़ों में भी एक फीट की दूरी और बीजों में 15 सेमी की दूरी रखें.
ये भी पढ़ें: Rabi Crop: नवंबर में लहसुन की खेती से पाएं तगड़ा मुनाफा, खाद-पानी से लेकर कमाई तक जानिए सबकुछ
चुकंदर के पौधों के अच्छे अंकुरण के लिए रोपाई के तुरंत बाद ही पहली सिंचाई करनी चाहिए. जब पौधे अंकुरित हो जाएं तो पानी की मात्रा थोड़ी कम कर देनी चाहिए. पौधों के अंकुरण के बाद नमी की जांच कर 10-10 दिनों के अंतराल में सिंचाई करें. ध्यान रहे कि कभी भी जलभराव नहीं करना है, नमी बनाए रखने जितनी सिंचाई पर्याप्त है.
चुकंदर में लीफ स्पॉट रोग लगता है जिससे उनकी पत्तियों में भूरे धब्बे दिखाई देने लगते हैं और वो सूखने लगती हैं. एक्सपर्ट्स की सलाह पर एग्रीमाइसीन की उचित मात्रा का छिड़काव कर इस रोग से बचाव कर सकते हैं. इसके अलावा इनमें कीटों का अटैक भी देखने को मिलता है जिसे मैलाथियान या एंडोसल्फान की मदद से दूर किया जा सकता है.
चुकंदर की फसल तैयार होने में तीन से चार महीने का समय लग सकता है. जब पौधे की पत्तियां पीली पड़ने लगें तो आप समझ लीजिए कि फल पक गए हैं. साइड से एक चुकंदर को खोदकर चेक कर लीजिए, फिर फसल की खुदाई करें. खुदाई के बाद फलों से पत्तों को काटकर अलग करें और पानी से धो लीजिए. धोने के बाद किसी छायादार जगह पर रख कर बाजार में बेच सकते हैं जिसकी अच्छी कीमत मिलेगी.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today