भारत ने पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल मिलाने का लक्ष्य तय समय से 5 साल पहले ही हासिल कर लिया है. यह उपलब्धि 2030 के निर्धारित लक्ष्य से काफी पहले 2025 में ही हासिल हो गई है. इसे लेकर इंडियन शुगर एंड बायो-एनर्जी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (ISMA) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और सरकार की नीति प्रतिबद्धता की तारीफ की है. ISMA ने कहा कि यह मील का पत्थर न केवल भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि किसानों की आमदनी, पर्यावरण संरक्षण और विदेशी मुद्रा की बचत के नजरिये से भी बेहद महत्वपूर्ण है.
ISMA ने कहा कि भारत का इथेनॉल उत्पादन गन्ना आधारित है, जिसमें गन्ने के रस, B-हेवी मोलासेस और अन्य उप-उत्पादों से इथेनॉल तैयार किया जाता है. इससे एक ओर जहां चीनी मिलों को आर्थिक मजबूती मिली, वहीं दूसरी ओर किसानों को भी अपनी फसल का बेहतर मूल्य मिला है.
ISMA के महानिदेशक दीपक बल्लानी ने कहा,
"यह उपलब्धि भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता और ग्रामीण समृद्धि के लिए एक महत्वपूर्ण छलांग है. यह इथेनॉल पारिस्थितिकी तंत्र के प्रत्येक किसान, मिल और हितधारक के लिए अत्यंत गर्व का विषय है. सरकार की अटल नीतिगत दिशा और दूरदर्शी नेतृत्व ने न केवल इस राष्ट्रीय सफलता को निर्धारित समय से पांच साल पहले संभव बनाया है, बल्कि हरित ऊर्जा में हमारे सामूहिक भविष्य के लिए एक शक्तिशाली मिसाल भी स्थापित की है."
इथेनॉल ब्लेंडिंग से देश की तेल आयात पर निर्भरता घटी है, जिससे पर्यावरण को भी लाभ हुआ है. पेट्रोल में इथेनॉल मिलाने से न केवल प्रदूषण घटा है, बल्कि पेट्रोलियम उत्पादों पर खर्च होने वाली विदेशी मुद्रा की भी बचत हुई है.
भारतीय चीनी और जैव-ऊर्जा निर्माता संघ (ISMA), भारत में चीनी और जैव-ऊर्जा उद्योग का सर्वोच्च निकाय है, जो अनुकूल सरकारी नीतियों के माध्यम से निजी चीनी मिलों के हितों की रक्षा के लिए समर्पित है.
ISMA उद्योग की चिंताओं को दूर करने और विकासोन्मुखी नीतियां बनाने के लिए राज्य चीनी संघों और सरकार के साथ मिलकर काम करता है. यह देश में चीनी और जैव-ऊर्जा उद्योग के विकास और गन्ना किसानों की बेहतरी के लिए प्रतिबद्ध है.
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