देश के कई हिस्सों में किसानों ने खरीफ फसलों की बुवाई का काम जून में ही पूरा कर लिया था. इस लिहाज से ज्यादातर फसलों में अच्छी बढ़वार हो चुकी है. लेकिन लगातार हो रहे मौसम में बदलाव से ज्यादातर दलहनी फसलों में पीला मोजेक रोग (Yellow Mosaic Disease) का खतरा मंडरा रहा है. दरअसल, लगातार बारिश होने पर इस बीमारी का खतरा नहीं बढ़ता है, लेकिन 3-4 दिनों के अंतराल पर हो रही बारिश होने के कारण पीला मोजेक रोग उड़द और मूंग की फसलों पर काफी तेजी से बढ़ रहा है, जो सफेद मक्खी जैसे कीटों से फैलता है और इससे फसलों को काफी नुकसान होता है. ये अकेला ऐसा फसल रोग है, जो अपने साथ कई समस्याएं लेकर आता है. ऐसे में जरूरी है कि समय रहते इसके बचाव के काम कर लिए जाएं, जिससे फसलों को कोई नुकसान न पहुंचे.
पीला मोजेक रोग अगर किसी पौधे को लग जाए तो जब तक उस पौधे को नष्ट नहीं किया जाता तब तक यह बीमारी पूरी तरह से खत्म नहीं होती है. ऐसे में अगर किसानों को अपने उड़द और मूंग की फसल में पत्तों पर पीलापन दिख रहा है तो ऐसे पौधों को उखाड़ कर नष्ट कर दें और जमीन में गड्ढा खोदकर दबा दें. ऐसा करने से यह रोग आगे फैलने से रुक जाता है. वहीं, पीला मोजेक रोग आने पर 10 हजार PPM का नीम का तेल और दो शैंपू लेकर एक-एक लीटर पानी में मिलाकर फसलों पर छिड़काव कर दें. फिर 10 दिन के अंतराल पर इसके तीन छिड़काव करें. ऐसा करने पर पीला मोजेक रोग खत्म हो जाता है. नीम का तेल भी इसे रोक सकता है.
बता दें कि यह घरेलू देसी उपाय पूरी तरह से जैविक और सस्ते होते हैं. इससे न केवल उड़द और मूंग की फसल सुरक्षित रहती है, बल्कि लंबे समय में मिट्टी की उर्वरता भी बनी रहती है. किसान अगर समय-समय पर इस जैविक उपाय का पालन करें, तो कीटनाशकों पर निर्भरता भी घटेगी और उत्पादन में वृद्धि भी देखने को मिलेगी. ऐसे में अगर आपके उड़द और मूंग की फसल पर ऐसे कोई कीट का असर दिख रहा है तो ऐसे घोल का छिड़काव जरूर करें.
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