त्योहारी सीजन में बढ़ी चने की मांग, 8000 रुपये प्रति क्विंटल के पार हुए दाम

त्योहारी सीजन में बढ़ी चने की मांग, 8000 रुपये प्रति क्विंटल के पार हुए दाम

त्योहारी सीजन में मांग बढ़ने के कारण दिल्ली और जयपुर जैसे शहरों में देसी चना की कीमत 8000 रुपये प्रति क्विटंल के मूल्य को छू रही है. यह तेजी 15 अक्टूबर तक बनी रह सकती है. इसके बाद ऑस्ट्रेलियाई चने की कटाई शुरू हो जाएगी और जब यह चना बाजार में आ जाएगा तो कीमतों में कमी आ सकती है.

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त्योहारी सीजन में बढ़ी चने की मांग, 8000 रुपये प्रति क्विंटल के पार हुए दामचना की बढ़ी कीमत

चने की खेती करने वाले किसानों के लिए अच्छी खबर है क्योंकि इस समय उन्हें फसल के अच्छे दाम मिल रहे हैं. त्योहारी सीजन में मांग बढ़ने के कारण दिल्ली और जयपुर जैसे शहरों में देसी चने की कीमत 8000 रुपये प्रति क्विटंल के मूल्य को छू रही है. इससे चना और चना दाल की खुदरा कीमतें भी बढ़ गई हैं. इस व्यापार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि यह तेजी 15 अक्टूबर तक बनी रह सकती है. इसके बाद ऑस्ट्रेलियाई चने की कटाई शुरू हो जाएगी और जब यह चना बाजार में आ जाएगा तो कीमतों में कमी आ सकती है. 

बता दें कि रबी सीजन 2023-24 में चने का उत्पादन उम्मीद से कम हुआ था, इसके बाद से ही 2024 के पूरे मार्केटिंग सीजन में चने की कीमतें उछाल पर बनी हुई हैं. इस वक्त त्योहारी सीजन में भी अपनी बढ़त बनाए हुए है. इसलिए इसकी आपूर्ति को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने इस साल मई की शुरुआत में आयात शुल्क को घटा दिया था. जबकि पहले चने पर 66 प्रतिशत का आयात शुल्क लगता था. दिल्ली में इस समय चना 7950 रुपये से लेकर 8075 रुपये के रेट पर चल रहा है. जबकि मई की शुरुआत में यह 6325 रुपये प्रति क्विंटल से लेकर 6350 रुपये प्रति क्विटल तक बिक रहा था.

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चने की मांग में आई तेजी

आईग्रेन इंडिया के राहुल चौहान ने कहा कि फिलहाल चने की कीमतों में जो बढ़ोतरी हुई है, उसके पीछे की वजह इसकी मांग में तेजी आना बताया जा रहा है. उन्होंने कहा कि त्योहारी सीजन में मांग में तेजी आने के कारण कीमतें बढ़ी हैं. पर जैसे ही अक्टूबर के मध्य में ऑस्ट्रेलियाई चना की आवक बाजार में शुरू हो जाएगी. इसकी कीमतों में गिरावट आएगी. राहुल चौहान ने कहा कि सरकार ने और भी कई सकारात्मक कदम उठाए हैं, इसके कारण दालों की कीमतें अभी नियंत्रण में हैं. 

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पीली मटर का हो रहा आयात

इससे पहले चने के उत्पादन में कमी की आशंका को देखते हुए सरकार ने पीली मटर के निर्यात पर शु्ल्क को जीरो कर दिया था. साथ ही इसके आयात को 31 अक्टूबर तक खोला गया है. पीली मटर को चना का एक बेहतर विकल्प माना जाता है. यह भारत में दालों की कमी को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. 2023-24 के उत्पादन पूर्वानुमान के अनुसार 121.61 लाख टन चने के उत्पादन की उम्मीद की गई थी जबकि इससे पहले यह उत्पादन 122.67 लाख टन था. 


 

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