प्रमुख तिलहन फसल सोयाबीन के दाम का मुद्दा महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में गरमाया हुआ है. ये दोनों सूबे प्रमुख सोयाबीन उत्पादक हैं. नवंबर में इसकी नई उपज बाजार में आ जाएगी, लेकिन उससे पहले ही किसान इसके कम दाम से बेहद परेशान हैं. दरअसल, इस समय किसान पुराना सोयाबीन मंडी में बेचने जा रहे हैं. ऐसे में आवक भी कम है, फिर भी उसकी सही कीमत नहीं मिल पा रही है. दूसरी ओर, इस साल सोयाबीन की खेती का रकबा बढ़ गया है. जिससे पैदावार भी बंपर होने की उम्मीद है. ऐसे में किसानों को चिंता सताने लगी है कि नई उपज आने के बाद भी अगर दाम एमएसपी से कम मिलता रहा तो उन्हें भारी आर्थिक नुकसान होगा. इसलिए वो महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में इसे बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे हैं.
इस साल 30 अगस्त तक देश में 125.11 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की बुवाई हो चुकी है जो पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 1.25 लाख हेक्टेयर ज्यादा है. ऐसे में बंपर पैदावार होगी. जिससे दाम और घट सकते हैं. बहरहाल, सोयाबीन के दाम में पिछले एक सप्ताह के दौरान मामूली बढ़त देखने को मिली है, लेकिन अभी इसका स्तर एमएसपी तक नहीं पहुंच सका है. इस समय ज्यादातर मंडियों में सोयाबीन का दाम 4000 से 4500 रुपये प्रति क्विंटल तक है, जो 4892 रुपये की तय एमएसपी से कम है.
इसे भी पढ़ें: Wheat Price: रियायती दर पर गेहूं बेचेगी सरकार, गुस्से में किसान...क्योंकि हो सकता है बड़ा आर्थिक नुकसान
सोयाबीन महत्वपूर्ण तिलहन फसल है. लेकिन आयात शुल्क कम रहने की वजह से कारोबारी अर्जेंटीना और ब्राजील से इसके तेल का आयात कर रहे हैं. इससे यहां के किसानों को सही कीमत नहीं मिल पा रही है. कृषि लागत एवं मूल्य आयोग ने बताया है कि A2+FL फार्मूले के आधार पर भारत में इसकी उत्पादन लागत 3261 रुपये प्रति क्विंटल आती है. लेकिन अगर संपूर्ण लागत यानी C2+50 फीसदी वाले फार्मूले की बात करें तो लागत 4291 रुपये प्रति क्विंटल आती है. ऐसे में अभी महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में जो भाव चल रहा है उससे किसानों को लागत निकालना भी मुश्किल हो रहा है.
इसे भी पढ़ें: Goat Farming: बकरियों को 'गरीब की गाय' क्यों कहा जाता है, भारत में इसकी कितनी प्रजातियां हैं?
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today