केंद्र सरकार ने याचिका में अपने नवंबर, 2022 के मौखिक वादे या हलफनामे को वापस लेने की अपील की है. इसमें सरकार ने कहा था कि वह देश में आनुवंशिक रूप से संशोधित (जीएम) सरसों की व्यावसायिक खेती की दिशा में आगे कदम नहीं उठाएगी. मंगलवार को केन्द्र ने सुप्रीम कोर्ट को इस बारे में सूचना दी है. बता दें कि नवंबर 2022 में केन्द्र सरकार ने जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने जीएम मस्टर्ड की व्यावसायिक खेती पर यथास्थिति बनाए रखने के लिए मौखिक रूप से शपथ पत्र दिया था. इसी शपथ पत्र को अब केन्द्र सरकार ने वापस लेने की सूचना कोर्ट को दी है. हालांकि अब जस्टिस माहेश्वरी रिटायर्ड हो चुके हैं.
हालांकि यह शपथ पत्र औपचारिक रूप से अदालत के आदेश में दर्ज नहीं किया गया था, जिसमें कहा गया था कि वह जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (जीईएसी) द्वारा जीएम सरसों की पर्यावरणीय रिलीज की अनुमति देने वाले फैसले पर कोई भी आक्रामक कदम नहीं उठाएगा.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की इस याचिका पर एनजीओ ‘जीन कैंपेन’ और अन्य से जवाब तलब किया. जस्टिस बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने केंद्र की याचिका पर एनजीओ और कार्यकर्ता अरुणा रोड्रिग्स सहित अन्य को नोटिस जारी किया. बता दें कि एनजीओ ने 2004 में इस मुद्दे पर जनहित याचिका दायर की थी. एनजीओ की ओर से पेश वकील अपर्णा भट्ट ने जवाब देने के लिए वक्त देने का आग्रह कोर्ट से किया. भट्ट ने कहा कि याचिका सोमवार देर रात दायर की गई थी. इसीलिए उन्हें इसका जवाब देने के लिए थोड़ा वक्त चाहिए.
भट्ट ने कहा कि हमें जवाब दाखिल करना होगा केंद्र उस शपथपत्र को वापस लेना चाहता है, जो उन्होंने इस अदालत को दिया था. इसे सुनना होगा, लेकिन इसे हमारी बिना प्रतिक्रिया के नहीं सुना जा सकता. यह शपथपत्र इतने समय से चल रहा है. इसीलिए कोर्ट इस मामले को अगले हफ्ते सुन सकती है.
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भट्ट ने कहा कि हम दो दिन में इसका जवाब दाखिल कर सकते हैं. वहीं, सरकार के वकील ने कहा कि मौखिक शपथ पत्र को दिए हुए काफी समय हो चुका है. इस पर पीठ ने कहा कि इसका मतलब यह नहीं है कि इसे वापस ले लिया गया है. मामला अब भी लंबित है.
पिछले साल तीन नवंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने व्यावसायिक खेती के लिए जीएम सरसों को मंजूरी देने के जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति यानी जीईएसी के फैसले पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था. कोर्ट ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा था कि इस मुद्दे पर उसके सामने दायर एक आवेदन पर सुनवाई होने तक कोई त्वरित कार्रवाई नहीं की जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने पहले कहा था कि जब आनुवंशिक रूप से संशोधित यानी जीएम सरसों की पर्यावरणीय रूप से जारी के लिए केंद्र द्वारा दी गई सशर्त मंजूरी की बात आती है, तो वह किसी भी अन्य चीज की तुलना में जोखिम कारकों के बारे में अधिक चिंतित है.
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आपको बता दें कि इस समय सुप्रीम कोर्ट सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रोड्रिग्स और एनजीओ ‘जीन कैंपेन’ की अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. इन याचिकाओं में स्वतंत्र विशेषज्ञ निकायों द्वारा दिए गए व्यापक, पारदर्शी और कठोर जैव-सुरक्षा प्रोटोकॉल के सार्वजनिक होने तक पर्यावरण में किसी भी आनुवंशिक रूप से संशोधित जीवों (जीएमओ) को जारी करने पर रोक लगाने की अपील की गई है.
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