किसानों की आय दोगुनी हुई या नहीं, सरकार की तरफ से इस बात की जानकारी पिछले दिनों संसद में दी गई है. सरकार का कहना है कि उसने किसानों की आय दोगुनी करने के फैसले के बाद कई कदम उठाए गए हैं. कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने बताया कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने 75000 किसानों की सफलता की कहानियों को इकट्ठा किया है. इनमें से कई ने आय में दो गुना से ज्यादा वृद्धि दर्ज की है. मुंडा ने कहा कि कृषि परिवारों की स्थिति आकलन सर्वेक्षण (एसएएस) के आधार पर, औसत मासिक आय साल 2012-13 में 6426 रुपए से बढ़कर साल 2018-19 में 10,218 रुपए हो गई है यानी इसमें 59 फीसदी वृद्धि हुई है.
मंत्रालय की योजनाओं को सूचीबद्ध करते हुए, मुंडा ने कहा कि सरकार के प्रयासों से कृषि और संबद्ध क्षेत्र के जीवीए में पिछले पांच वर्षों में औसत वार्षिक वृद्धि दर चार प्रतिशत रही है. इन योजनाओं के कार्यान्वयन से किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में उल्लेखनीय परिणाम मिले हैं. 'आजादी का अमृत महोत्सव' के हिस्से के रूप में, आईसीएआर ने एक पुस्तक जारी की है, जिसमें असंख्य सफल किसानों में से 75000 किसानों की सफलता की कहानियों का संकलन है.
इन किसानों ने अपनी आय दो गुना से ज्यादा बढ़ाई है. उन्होंने बताया कि अप्रैल 2016 में "किसानों की आय दोगुनी करने (डीएफआई)" से संबंधित मुद्दों की जांच करने और इसे प्राप्त करने के लिए रणनीतियों की सिफारिश करने के लिए एक अंतर-मंत्रालयी समिति का गठन किया गया था. समिति ने सितंबर 2018 में सिफारिशों वाली अपनी अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत की.
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उन्होंने बताया कि कहा कि डीएफआई समिति ने आय वृद्धि के सात स्रोतों की पहचान की है. ये स्त्रोत हैं- फसल उत्पादकता में वृद्धि, पशुधन उत्पादकता में वृद्धि, संसाधन उपयोग दक्षता (उत्पादन की लागत में कमी), फसल तीव्रता में वृद्धि, उच्च मूल्य वाली कृषि के लिए विविधीकरण, किसानों के लिए लाभकारी मूल्य 'उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए कृषि से गैर-कृषि व्यवसायों में अधिशेष जनशक्ति का उत्पादन और स्थानांतरण.
उन्होंने कहा कि कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के बजट आवंटन में साल 2013-14 के दौरान 27,662.67 करोड़ रुपए से साल 2023-24 में 1,25,035.79 करोड़ रुपए तक पर्याप्त वृद्धि हुई है. मंत्रालय ने कहा सहकारिता विभाग, पशुपालन और डेयरी विभाग और मत्स्य पालन विभाग पहले साल 2013-14 में कृषि मंत्रालय के अभिन्न अंग थे.
एक और जवाब में, मुंडा ने कहा कि साल 2019-20 और 2022-23 के बीच चार वर्षों में, कृषि मंत्रालय के लिए किए गए 477,780.6 करोड़ रुपए के संशोधित आवंटन के मुकाबले, वास्तविक व्यय 4,49,869.3 करोड़ रुपए था.
मुंडा ने कहा कि साल 2022-23 में देश में किसानों के कल्याण पर खर्च कई गुना बढ़ गया है और 6.5 लाख करोड़ रुपए खर्च किए गए. उन्होंने कई योजनाओं पर होने वाले खर्च और सरकार द्वारा अपने कार्यक्रमों पर खर्च की जाने वाली सब्सिडी का जिक्र किया.
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