Farmers Protest: नोएडा में किसानों का धरना खत्म, 6 घंटे बाद खुला दिल्ली-नोएडा बॉर्डर, सुलह के संकेत

Farmers Protest: नोएडा में किसानों का धरना खत्म, 6 घंटे बाद खुला दिल्ली-नोएडा बॉर्डर, सुलह के संकेत

Farmers Protest: उत्तर प्रदेश के किसानों का नोएडा एक्सप्रेसवे पर धरना खत्म हो गया है. इससे करीब 6 घंटे से लगा जाम भी खुल गया है. दिल्ली-नोएडा बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शन के कारण महाजाम की स्थिति बन गई थी.

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Farmers Protest: नोएडा में किसानों का धरना खत्म, 6 घंटे बाद खुला दिल्ली-नोएडा बॉर्डर, सुलह के संकेतकिसानों का धरना खत्म, 6 घंटे बाद खुला दिल्ली-नोएडा बॉर्डर

उत्तर प्रदेश के किसानों का नोएडा एक्सप्रेसवे पर धरना खत्म हो गया है. इससे करीब 6 घंटे से लगा जाम भी खुल गया है. दिल्ली-नोएडा बॉर्डर पर किसानों के कारण महाजाम की स्थिति बन गई थी. दिल्ली नोएडा में लोग दिनभर जाम से परेशान रहे. जानकारी के मुताबिक किसान रात 8 बजे नोएडा कमिश्नर लक्ष्मी सिंह के साथ मीटिंग करेंगे. नोएडा कमिश्नर के आश्वासन पर किसानों ने एक्सप्रेसवे छोड़ दिया है. नोएडा कमिश्नर की निगरानी में एक कमेटी बनाई जाएगी. एक सप्ताह में किसानों की प्राधिकरण के अफसरों से बातचीत कराई जाएगी. इस बातचीत में शासन स्तर से मंत्री भी शामिल होंगे. नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणों पर किसानों का धरना जारी रहेगा.  

किसानों ने क्यों खोला मोर्चा?

किसान संगठन दिसंबर 2023 से नोएडा और ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण द्वारा अधिग्रहीत अपनी जमीनों के बदले बढ़ा हुआ मुआवजा और भूखंड देने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.किसान समूहों ने अपनी मांगों को लेकर राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन पर दबाव बढ़ाने के लिए 7 फरवरी को 'किसान महापंचायत' बुलाया है और 8 को राजधानी दिल्ली में संसद तक विरोध मार्च निकालने का ऐलान किया है. 

नोएडा में लागू है धारा 144

बता दें कि पुलिस ने प्रदर्शन को देखते हुए रूट्स को डायवर्ट कर दिया था. क्रेन, बुलडोजर, वज्र वाहन और ड्रोन कैमरे से निगरानी भी की गई थी. किसानों के विरोध प्रदर्शन के चलते दिल्ली-नोएडा बॉर्डर पर लंबा जाम लग गया. कई रूट्स को डायवर्ट कर दिया गया. ताकि, लोगों को थोड़ी कम परेशानी का सामना करना पड़े. दिल्ली-नोएडा चिल्ला बॉर्डर पर सुरक्षा इंतजामों को बढ़ा दिया गया है. वहीं, पुलिस लगातार किसानों से बात कर रही है, ताकि वो अपने प्रदर्शन को रोक दें.

किसानों के प्रदर्शन से पहले सेक्शन 144 के तहत 5 से अधिक लोगों के एक साथ जमा होने, धार्मिक और राजनीतिक सहित अन्य किसी भी प्रकार के जुलूसों पर रोक है. ट्रैफिक पुलिस ने दादरी, तिलपता, सूरजपुर, सिरसा, रामपुर-फतेहपुर और ग्रेटर नोएडा के अन्य मार्गों पर डायवर्सन के बारे में पब्लिक को आगाह किया था.

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13 फरवरी को दिल्ली पहुंचेंगे किसान 

उधर 13 फरवरी को कई राज्यों के किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली पहुंचने वाले हैं. इसमें सबसे प्रमुख मांग एमएसपी गारंटी का है. इन किसानों की क्या है मांग, यहां जान लेते हैं. ये किसान मजदूर मोर्चा (के एम एम) और संयुक्त किसान मोर्चा गैर राजनीतिक का मांग पत्र है.

1) सभी फसलों की खरीद पर MSP गारंटी अधिनियम बनाया जाए, डॉ स्वामीनाथन आयोग के निर्देश पर सभी फसलों की कीमतें C2+50% फॉर्मूले के अनुसार तय की जाएं.

1.1) गत्ते का एफआरपी और एसएपी स्वामीनाथन आयोग के फार्मूले के अनुसार दिया जाना चाहिए, जिससे यह हल्दी सहित सभी मसालों की खरीद के लिए एक राष्ट्रीय प्राधिकरण बन जाए.

2) किसानों और मजदूरों के लिए पूर्ण ऋण माफी.

3) पिछले दिल्ली आंदोलन की अधूरी मांगें जैसे किः

3.1) लखीमपुर खीरी हत्या मामले में न्याय हो, अजय मिश्रा को केबिनेट से बर्खास्त किया जाए और गिरफ्तार किया जाए, आशीष मिश्रा की जमानत रद्द की जाए, सभी आरोपियों से उचित तरीके से निपटा जाए.

3.2) हुए समझौते के अनुसार, घायलों को 10 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए.

3.3) दिल्ली मोर्चा सहित देश भर में सभी आंदोलनों के दौरान सभी प्रकार के मामले/मुकदमें रद्द किए जाएं.

3.4) आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों और मजदूरों के परिवारों को मुआवजा दिया जाए और नौकरी दी जाए.

3.5) दिल्ली में किसान मोर्चा के शहादत स्मारक के लिए जगह दी जाए.

3.6) बिजली क्षेत्र को निजी हाथों में देने वाले बिजली संशोधन विधेयक पर दिल्ली किसान मोर्चा के दौरान सहमति बनी थी कि इसे उपभोक्ता को विश्वास में लिए बिना लागू नहीं किया जाएगा, जो कि अभी अध्यादेशों के माध्यम से पिछले दरवाजे से लागू किया जा रहा है, इसे निरस्त किया जाना चाहिए.

3.77 कृषि क्षेत्र को वादे के अनुसार प्रदूषण कानून से बाहर रखा जाना चाहिए.

4) भारत को डब्ल्यूटीओ से बाहर आना चाहिए, कृषि वस्तुओं, दूध उत्पादों, फलों, सब्जियों और मांस आदि पर आयात शुल्क कम करने के लिए भत्ता बढ़ाना चाहिए. विदेशों से और प्राथमिकता के आधार पर भारतीय किसानों की फसलों की खरीद करें.

5) किसानों और 58 वर्ष से अधिक आयु के कृषि मजदूरों के लिए पेंशन योजना लागू करके 10,000 रुपये प्रति माह की पेंशन दी जानी चाहिए.

6) प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में सुधार के लिए सरकार द्वारा स्वयं बीमा प्रीमियम का भुगतान करना, सभी फसलों को योजना का हिस्सा बनाना और नुकसान का आकलन करते समय खेत एकड़ को एक इकाई के रूप में मानकर नुकसान का आकलन करना.

7) भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 को उसी तरीके से लागू किया जाना चाहिए और भूमि अधिग्रहण के संबंध में केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को दिए गए निर्देशों को रद्द किया जाना चाहिए.

8) मनरेगा के तहत प्रति वर्ष 200 दिनों के लिए रोजगार उपलब्ध कराया जाए, मजदूरी बढ़ाकर 700 प्रति दिन की जाए और इसमें कृषि को शामिल किया जाए.

9) कीटनाशक, बीज और उर्वरक अधिनियम में संशोधन करके कपास सहित सभी फसलों के बीजों की गुणवत्ता में सुधार करना और नकती और घटिया उत्पादों का निर्माण और बिक्री करने वाली कंपनियों पर अनुकरणीय दंड और दंड लगाकर लाइसेंस रद्द करना.

10) संविधान की पांचवीं अनुसूची का कार्यान्वयन. (अरुण त्यागी की रिपोर्ट) 

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