घर पर ही उगा सकते हैं ये 10 औषधीय पौधे, इनके इस्तेमाल से छू मंतर हो सकती हैं कई 'बीमार‍ियां'

घर पर ही उगा सकते हैं ये 10 औषधीय पौधे, इनके इस्तेमाल से छू मंतर हो सकती हैं कई 'बीमार‍ियां'

Best Medicinal Plants: नीम, आंवला, पुदीना, लेमन ग्रास, तुलसी, एलोवेरा, ब्राह्मी, हल्दी, अश्वगंधा और शतावरी के गुणों के बारे में जान‍िए और इसका सही फायदा उठाईए. ये भारत में पाए जाने वाले प्रमुख औषधीय पौधे हैं, ज‍िसका आयुर्वेद‍िक दवाओं में खूब इस्तेमाल होता है.  

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घर पर ही उगा सकते हैं ये 10 औषधीय पौधे, इनके इस्तेमाल से छू मंतर हो सकती हैं कई 'बीमार‍ियां'प्रमुख औषधीय पौधे और उनके फायदे.

हमारे देश में रोग से बचाव और उपचार के लिए लोग बहुत पहले से विभिन्न प्रकार के पौधों का उपयोग करते आए हैं. पौधों की जड़ें, तने, पत्तियां, फूल, फल, बीज और यहां तक कि छाल का उपयोग भी इलाज के लिए किया जाता है. पौधों का यह औषधीय गुण उनमें उपस्थित कुछ रासायनिक पदार्थों की वजह से होता है, ज‍िसकी वजह से अलग-अलग रोगों से बचाव और इलाज में मदद म‍िलती है. ऐसे पौधों में मुलेठी, जलाप, मदार, लहसुन, अदरक, हल्दी, चंदन, बेलाडोना, तुलसी और नीम आद‍ि शाम‍िल हैं. इन औषधीय पौधों का आयुर्वेदिक दवाओं में बहुत उपयोग किया जाता है. कृष‍ि वैज्ञान‍िक पल्लवी सिंह, पूनम सिंह और सत्येंद्र पाल सिंह ने ऐसे 10 औषधीय पौधों की जानकारी दी है, ज‍िन्हें अपने घर पर ही उगाया जा सकता है. अगर इनका सही इस्तेमाल हो तो कई बीमार‍ियां छू मंतर हो सकती हैं. 

नीम

नीम औषध‍ि की नजर से बहुत महत्वपूर्ण है. यह भारत में आमतौर से हर जगह पाया जाता है. इसके लगभग सभी भाग जैसे पत्तियां, तना, फूल और फल आदि काम में आते हैं. इसकी पत्तियां पाचक, वातहर, कफनाशक और कीटाणुनाशक होती हैं. पत्तियों का रस अनेक त्वचा रोगों तथा पीलिया के उपचार में इस्तेमाल होता है. इसका उपयोग कृमिनाशक के रूप में भी होता है. भारत में नीम के तने के टुकड़े को दातुन के रूप में प्राचीनकाल से उपयोग में लेते आए हैं. नीम में एंटीसेप्टिक गुण होते हैं और इसका उपयोग बाहरी इस्तेमाल के लिए किया जा सकता है. नीम के पिसे पत्ते आंतरिक रूप से एक अद्भुत डी-वर्मिंग एजेंट के रूप में कार्य करते हैं.

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आंवला

आंवले के फलों में विटामिन 'सी' भरपूर मात्रा में होता है. आंवले के फल शीतलता प्रदान करने वाले वाले होते हैं. यह हरड़ एवं बहेड़ा के साथ त्रिफला चूर्ण के रूप में पेट के विकार, मूत्र रोगों तथा आंखों की रोशनी को ठीक करता है. आंवले के फल से औषधीय गुणों से युक्त बालों का तेल, मुरब्बा आदि बनाए जाते हैं. 

पुदीना

पुदीना प्राकृतिक रूप से मैंगनीज, विटामिन ए और विटामिन सी से भरपूर होता है. पुदीना की पत्तियों को मांसपेशियों को आराम देने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. इसमें पेट फूलना, पेट खराब होना, बुखार, स्पास्टिक कोलोन और आंत सिंड्रोम का इलाज करने की क्षमता है. यह बैक्टीरिया को बढ़ने से भी रोकता है. 

लेमन ग्रास

लेमन ग्रास एक औषधीय पौधा है, जिसे आसानी से घर पर उगाया जा सकता है. इसके कई चिकित्सीय और अन्य स्वास्थ्य लाभ हैं. यह चाय, सलाद, सूप और नींबू के साथ लगभग सभी व्यंजनों में बहुत अच्छा लगता है. 

तुलसी

तुलसी को एक पवित्र पौधा माना जाता है. इसलिए, इसे पवित्र तुलसी के रूप में भी जाना जाता है.  यह अपने उपचारात्मक गुणों के कारण जड़ी-बूटियों के रूप में मूल्यवान है. तुलसी की चार किस्में हैं, जिन्हें राम तुलसी, वन तुलसी, कृष्णा तुलसी और कर्पूर तुलसी कहा जाता है. कर्पूर तुलसी के तेल का उपयोग कान में इंफेक्शन के लिए किया जाता है. तुलसी में बहुत असरकारक कीटाणुनाशक, फफूंदनाशक, जीवाणुरोधी और एंटीबायोटिक गुण होते हैं, जो बुखार, आम सर्दी और श्वसन संबंधी बीमारियों को ठीक करने के लिए अच्छे होते हैं. 

राम तुलसी के पत्ते तेज सांस सिंड्रोम के लिए एक असरदार उपाय के रूप में काम करते हैं. इसके पत्तों का रस सर्दी, बुखार, ब्रोंकाइटिस और खांसी से राहत देता है. मलेरिया को ठीक करने में भी तुलसी बहुत कारगर है. यह अपच, सिरदर्द, हिस्टीरिया, अनिद्रा और हैजा को ठीक करने में बहुत असरदार है.

एलोवेरा

एलोवेरा एक अद्भुत पौधा है. यह कहीं भी बड़ी आसानी से उग जाता है. एलोवेरा का उपयोग बाहरी और साथ ही आंतरिक रूप से भी किया जा सकता है. यह एक बढ़िया हाइड्रेटिंग एजेंट है. एलोवेरा एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर है, यह प्राकृतिक इम्यून‍िटी बूस्टर है, जो शरीर में मुक्त कणों से निपटने में मदद करता है. आपके पास कमजोर इम्यून सिस्टम है, तो आप रोजाना एलोवेरा का रस पी सकते हैं. यह कटे, घाव और जलने के कारण संक्रमण के खतरे को ठीक कर सकता है. यह आसानी से सूजन को कम कर सकता है. यह आपकी त्वचा और बालों के लिए बहुत अच्छा है. एलोवेरा जूस पीने से आप पाचन समस्याओं, भूख न लगना, पुरानी कब्ज और अल्सरेटिव कोलाइटिस से छुटकारा पा सकते हैं. 

ब्राह्मी

ब्राह्मी, मस्तिष्क के विकास और स्मृति के लिए एक उत्कृष्ट पौधा है. यह छोटा सा औषधीय पौधा अल्सर, त्वचा की चोटों और कोशिका की नाजुकता को कम करके चमत्कार साबित हो सकता है. इसकी पत्तियों को पीसकर खुले घावों के इलाज के लिए उपयोग किया जा सकता है. ब्राह्मी मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को पुनर्जीवित करती है, जिससे ध्यान अवधि और एकाग्रता बढ़ती है. इस पौध के पत्तियों का सेवन आपकी याददाश्त को मजबूत करता है. 

हल्दी

हल्दी प्राचीनकाल से अपने औषधीय गुणों के लिए जानी जाती रही है. भारत में उत्पन्न होने वाली हल्दी में एंटी कैंसर गुण होते हैं और यह डीएनए म्यूटेशन को रोक सकते हैं. एंटीइंफ्लेमेट्री होने के कारण इसे एक सप्लीमेंट के रूप में भी लिया जाता है. गठिया वाले लोगों के लिए यह बहुत फायदेमंद है. हल्दी कई तरह के त्वचा रोगों और जॉइंट अर्थराइटिस को ठीक करने में बहुत फायदेमंद है. 

अश्वगंधा

अश्वगंधा एक बहुत ही प्राचीन औषधि है. यह तनाव में कमी और तंत्रिका सुरक्षा के लिए सबसे अच्छी औषधि है. यह प्राचीन जड़ी-बूटी प्रजनन क्षमता और घाव की देखभाल में सहायता को बढ़ावा देती है. यह इम्यूनिटी को बढ़ाती है. यह एक बहुत अच्छा हार्ट टॉनिक है. यह आंखों के अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है. यह एक उत्कृष्ट जड़ी -बूटी है, जो आसानी से कोलेस्ट्रॉल कम कर सकती है और ब्लड शुगर को नियंत्रित कर सकती है. 

शतावरी

शतावरी को मुख्य तौर पर महिलाओं की औषधि माना गया है. यह उनकी प्रजनन प्रणाली को दुरुस्त करने के लिहाज से बेहतरीन औषधि है. प्राचीनकाल से ही इंफर्टिलिटी के रोगों में शतावरी का इस्तेमाल खूब किया जाता रहा है. इसके अलावा, यदि कोई महिला अपने नवजात का पेट स्तनपान के जरिए भर पाने में अक्षम है तो भी शतावरी की जड़ों का पाउडर बनाकर एक छोटा चम्मच सुबह और शाम गरम दूध या पानी के साथ ले सकती है. उसे इससे लाभ पहुंचेगा. हार्मोन में बदलाव और लिकोरिया के रोग में भी शतावरी फायदेमंद है. 

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