चीन ने यूरिया खाद का निर्यात बंद कर दिया है. भारत के लिए चीन बहुत बड़ा सप्लायर है. लेकिन एक्सपर्ट का मानना है कि चीन के निर्यात का कोई बड़ा असर भारत पर पड़ने वाला नहीं है. ऐसा माना जा रहा था कि चीन से निर्यात रुकने और भारत से इसकी मांग तेज होने से विश्व बाजार में यूरिया की कीमतें बढ़ जाएंगी, लेकिन एक्सपर्ट के मुताबिक ऐसा होता नहीं दिखता. इसकी वजह है कि भारत ने अपनी खाद जरूरतों को देखते हुए पहले ही बड़ी तैयारी कर ली थी. देश में इसका अच्छा-खासा स्टॉक है. साथ ही चीन की यूरिया खाद का बड़ा स्टॉक अभी रास्ते में है जिसका निर्यात पर प्रतिबंध का असर नहीं होगा. इस तरह भारत पर चीन के प्रतिबंध का कोई खास असर दिखने वाला नहीं है.
'बिजनेसलाइन' की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अभी तक भारत ने खादों का जितना आयात किया है, उससे मध्य दिसंबर तक का खर्च आराम से निकल जाएगा. यूरिया के अलावा एमओपी का खर्च भी मध्य दिसंबर तक चलेगा. इसलिए चीन के निर्यात प्रतिबंध से भारत को कोई चिंता नहीं है.
रबी सीजन की फसलों की बुआई अक्टूबर से दिसंबर के बीच होती है. अगर कुछ फसलें जनवरी तक बोई जाती हैं तो भी खादों की किल्लत जैसी कोई समस्या नहीं होगी. रबी सीजन की फसलों की बुआई के लिए किसान अगस्त-सितंबर से ही खादों का स्टॉक शुरू कर देते हैं. इस लिहाज से किसानों के लिए अभी पर्याप्त मात्रा में खाद है.
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भारत में यूरिया की सप्लाई पूरी तरह से सरकारी नियंत्रण में है, इसलिए इसकी उपलब्धता को लेकर किसी तरह का संशय नहीं है. हालांकि दूसरी खादों को लेकर चिंता जाहिर की जा रही है. उद्योग से जुड़े एक्सपर्ट मानते हैं कि चीन की यूरिया पर प्रतिबंध लगने से बाकी खादों के दाम में तेजी आ सकती है. चीन के इस कदम से दुनिया में डीएपी और म्यूरेट ऑफ पोटाश यानी कि एमओपी के दाम बढ़ सकते हैं. जैसा कि 2021 के प्रतिबंध के समय देखा गया था. दुनिया में दाम बढ़ने से भारत में भी इन दोनों खादों की कीमतें चढ़ सकती हैं.
विश्व बाजार में खादों की कीमतें कैसी रहेंगी, इसके बारे में नई दिल्ली में आयोजित G20 समिट में ब्रिटेन के एक प्रस्ताव से पता चल जाएगा. सूत्रों के मुताबिक ब्रिटेन रूस के खिलाफ कोई प्रस्ताव ला सकता है. ऐसा इसलिए होगा क्योंकि हाल में रूस ने काला सागर के रास्ते यूक्रेन के अनाज निर्यात डील को रोक दिया था. इस कदम को आगे बढ़ाते हुए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने कहा था कि जब तक दुनिया के देश रूस के खाद्यान्न और खाद के निर्यात को बहाल नहीं करेंगे, तब तक काला सागर से यूक्रेन का अनाज नहीं निकलेगा.
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