24 फरवरी 2022 से रूस-यूक्रेन युद्ध जारी है. अब तक जारी इस युद्ध में दोनों देशों के बीच हार-जीत का खेल चल रहा है. वहीं दुनियाभर के देश भी तीन गुटों में बंटे हुए हैं. एक गुट में यूक्रेन समर्थित देश हैं, जिसमें अमेरिका समेत यूरोपियन यूनियन के देश शामिल हैं, तो दूसरे गुट में रूस समर्थित देश हैं. वहीं तीसरे गुट में काफी देश हैं, जो तटस्थ बनने की जुगत में हैं. गौरतलब है कि रूस और यूक्रेन, दोनों ही देशों ने युद्ध में अपनी जीत के लिए पूरी ताकत झोंक दिया है, जिसमें दोनों ही देश कई तरह के हथियारों का प्रयोग कर रहे हैं.
वहीं इस युद्ध ने दुनियाभर में आर्थिक मोर्चे पर भी बड़ा प्रभाव डाला है. युद्ध से पहले यूरोपीय संघ के देश प्राकृतिक गैस का आधा हिस्सा और पेट्रोलियम का एक तिहाई हिस्सा रूस से ही आयात कर रहे थे. वहीं युद्ध ने स्थिति को एकदम बदल दिया है. पश्चिमी देश अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए नए विकल्प तलाश रहे हैं. इसके अलावा रूस काला सागर अनाज समझौते से पीछे हट गया है, जिसका असर पूरी दुनिया में देखने को मिल सकता है. ऐसे में आइए जानते हैं क्या है काला सागर अनाज समझौता? क्यों रूस ने किया खत्म?
यूक्रेन और रूस दुनियाभर के सबसे बड़े अनाज निर्यातकों देशों में से एक है. वहीं रूस से युद्ध के कारण यूक्रेन के बंदरगाह पूरी तरह से अवरुद्ध हो गए हैं. इससे खाद्यान्नों की कीमतों में उछाल देखा जा रहा है. नतीजतन, दुनियाभर के गरीब देशों में खाद्य सुरक्षा की आशंका बढ़ गई है. पाकिस्तान समेत कई देशों में गेहूं की कीमतें आसमान छू रही हैं.
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मालूम हो कि वैश्विक खाद्य संकट को देखते हुए तुर्की और संयुक्त राष्ट्र ने मिलकर जुलाई 2022 में रूस और यूक्रेन के बीच काला सागर अनाज समझौता कराया था जिसके तहत अनाज ले जाने वाले जहाजों को सुरक्षित ले जाना था. लेकिन रूस अब काला सागर अनाज समझौते से पीछे हट गया है. वहीं रूस के इस फैसले का असर पूरी दुनिया में देखने को मिल सकता है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रूस ने 17 जुलाई को बताया था कि काला सागर अनाज समझौते से पीछे हटने के दो कारण हैं. पहला- अपने स्वयं के खाद्य और फर्टिलाइजर एक्सपोर्ट में सुधार की मांगें पूरी नहीं की गईं और दूसरा- यूक्रेन का पर्याप्त अनाज गरीब देशों तक नहीं पहुंच पाया है.
दरअसल, एशिया के ज्यादातर गरीब देश यूक्रेन से अनाज आयात करते हैं. इसी को लेकर अब संयुक्त राष्ट्र के सहायता प्रमुख ने एक बयान जारी किया है. उन्होंने कहा कि काला सागर अनाज समझौता खत्म होने से अनाज की कीमतों में बढ़ोतरी होगी और संभावित रूप से लाखों लोगों के लिए भुखमरी पैदा कर सकती है. इससे बदतर स्थिति का खतरा पैदा हो सकता है. मालूम हो कि इस सप्ताह शिकागो में अमेरिकी गेहूं वायदा 6 प्रतिशत से अधिक बढ़ गया है.
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वहीं संयुक्त राष्ट्र की मानवीय मामलों की एजेंसी प्रमुख मार्टिन ग्रिफिथ्स ने 15-सदस्यीय निकाय को बताया, 'विकासशील देशों में ऊंची कीमतों का सबसे ज्यादा असर देखन को मिला है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में 69 देशों में लगभग 362 मिलियन लोगों को मानवीय सहायता की जरूरत है. रूस के इन फैसलों के परिणामस्वरूप कुछ लोग भूखे रह जाएंगे, कुछ भूख से मर जाएंगे और कई लोग मर सकते हैं.'
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