बिहार के युवाओं के कौशल को विकसित करने के लिए राज्य सरकार जननायक भारतरत्न कर्पूरी ठाकुर कौशल विश्वविद्यालय खोलने जा रही है, जो कहीं न कहीं युवाओं की प्रतिभा को निखारने के साथ रोजगार के कई माध्यम खोलेगा. बिहार विधानमंडल के मॉनसून सत्र के दौरान श्रम संसाधन मंत्री संतोष कुमार सिंह ने श्रम क्षेत्र से संबंधित कई ऐतिहासिक विधेयक प्रस्तुत किए, जिन्हें सदन के पटल पर सर्वसम्मति से स्वीकृति मिल गई. इनमें जननायक भारतरत्न कर्पूरी ठाकुर कौशल विश्वविद्यालय विधेयक 2025, बिहार प्लेटफॉर्म आधारित गिग कामगार (निबंधन, सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याण) विधेयक 2025 और बिहार दुकान एवं प्रतिष्ठान (रोजगार विनियमन और सेवा-शर्त) विधेयक 2025 शामिल हैं. इसके अलावा कारखाना (बिहार संशोधन) अधिनियम 2025 भी पारित किया गया.
श्रम संसाधन विभाग के मंत्री संतोष कुमार सिंह ने पत्रकारों से बात करते हुए बताया कि बिहार सरकार ने युवाओं को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के योग्य कौशल प्रशिक्षण देने के लिए जननायक कर्पूरी ठाकुर कौशल विश्वविद्यालय की स्थापना का विधेयक विधानसभा में सर्वसम्मति से स्वीकृत कर लिया है. वहीं, इस तरह का देश का पहला विश्वविद्यालय होगा. राज्य में चल रहे सभी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों, पॉलिटेक्निक कॉलेजों और कौशल केंद्रों को एक केंद्रीय ढांचे में लाकर, गुणवत्तापूर्ण पाठ्यक्रम, प्रशिक्षण, मूल्यांकन और उपाधि प्रदान करेगा. इसका उद्देश्य केवल कौशल प्रशिक्षण ही नहीं, बल्कि उद्यमिता, व्यावसायिक शिक्षा, नवाचार और अनुसंधान को भी बढ़ावा देना है. इस विधेयक को विधि, वित्त और सामान्य प्रशासन विभागों की स्वीकृति मिल चुकी है. हालांकि यह विश्वविद्यालय राज्य के किस स्थान पर खुलेगा, इसको लेकर कोई स्थान तय नहीं किया गया है.
गिग कामगारों को मिली कानूनी सुरक्षा, बनेगा कल्याण बोर्ड
मंत्री संतोष कुमार सिंह ने बताया कि गिग कामगारों के लिए प्रस्तावित विधेयक के तहत राज्य सरकार एक कल्याण बोर्ड का गठन करेगी, जिसमें विभागीय मंत्री अध्यक्ष होंगे और इसमें संबंधित विभागों और प्लेटफॉर्म प्रतिनिधियों की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी. सभी प्लेटफॉर्म/एग्रीगेटरों को अनिवार्य रूप से 60 दिनों के भीतर पंजीकरण कराना होगा. प्रत्येक गिग कामगार को पंजीकरण के बाद यूनिक आईडी दी जाएगी, जिससे वह विभिन्न योजनाओं का लाभ उठा सकेंगे.
श्रम संसाधन मंत्री ने बताया कि इस विधेयक के माध्यम से गिग कामगारों की दुर्घटना मृत्यु की स्थिति में 4 लाख रुपये, एक सप्ताह से अधिक अस्पताल में भर्ती पर 16,000 रुपये और एक सप्ताह से कम भर्ती पर 5,400 रुपये, 40%-60% विकलांगता की स्थिति में 74,000 से 2.5 लाख रुपये तक सहायता और महिला कामगारों को मातृत्व लाभ (प्रत्येक महिला कामगार को गर्भावस्था व प्रसव के दौरान 90 दिनों के लिए अधिसूचित न्यूनतम मजदूरी) प्रदान किए जाएंगे. उपकर के रूप में प्लेटफॉर्म से 1–2% शुल्क वसूल कर इन योजनाओं का संचालन किया जाएगा. वहीं, गिग कामगार ऑनलाइन या व्यक्तिगत रूप से शिकायत दर्ज कर सकते हैं, जिनका समाधान 30 दिनों में अनिवार्य होगा. वहीं, अगर कोई नियमों का उल्लंघन करता है तो उस पर 1 वर्ष तक का कारावास या 2 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.
मंत्री संतोष सिंह ने कहा कि 1953 के पुराने कानून को हटा दिया गया है. इसकी जगह पर "बिहार दुकान एवं प्रतिष्ठान (रोजगार विनियमन और सेवा-शर्त) विधेयक 2025" पारित किया गया है. यह विधेयक रोजगार सुरक्षा, महिला सशक्तिकरण और कार्यस्थल सुधार के लिहाज से अहम है. अब प्रतिष्ठान सप्ताह के सातों दिन और 24 घंटे खुले रह सकते हैं. कार्य के घंटों में लचीलापन और कल्याणकारी प्रावधान नए विधेयक में किए गए हैं, जिसमें कर्मकारों को सप्ताह में 48 घंटे की अधिकतम सीमा में लचीलापन देते हुए 5 दिन में 10 घंटे या 4 दिन में साढ़े 11 घंटे काम की अनुमति दी गई है. शौचालय, पीने का पानी, शिशु देखभाल कक्ष, प्राथमिक उपचार किट जैसी सुविधाएं अनिवार्य कर दी गई हैं.
कारखाना अधिनियम, 1948 में संशोधन कर साप्ताहिक 48 घंटे की सीमा रखते हुए प्रतिदिन 10 घंटे की दर से सप्ताह में 5 दिन अथवा 11:30 घंटे की दर से सप्ताह में 4 दिन कार्य लिया जा सकेगा. काम के दिनों और घंटों में लचीलापन कर दिया गया है. इससे न केवल उत्पादकता बढ़ेगी बल्कि ओवरटाइम से मजदूरों को अतिरिक्त आय भी होगी. इस विधेयक में अपराधों के शमन (compounding) का भी प्रावधान किया गया है. इसके तहत राज्य में औद्योगिक उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ कामगारों को भी लाभ मिलेगा.
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