भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना में आयोजित तीन दिवसीय संस्थान अनुसंधान परिषद की बैठक में पूर्वी भारत की कृषि को उन्नत, तकनीक-संपन्न और किसानों के अनुकूल बनाने की रणनीतियों पर विस्तृत चर्चा हुई. इस दौरान 101 अनुसंधान परियोजनाओं की समीक्षा के साथ 6 नई परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई. आनुवंशिक सुधार, जलवायु अनुकूल खेती, डिजिटल कृषि और मूल्य श्रृंखला विश्लेषण जैसे विषयों पर केंद्रित यह बैठक भविष्य की कृषि नीतियों के निर्धारण के लिहाज से ऐतिहासिक रही. बैठक में पहली बार बिहार सरकार, कृषि उद्योग और किसानों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति दर्ज की गई.
बैठक की अध्यक्षता कर रहे संस्थान निदेशक डॉ. अनुप दास ने संस्थान और इसके केंद्रों पर चल रहे फसल अनुसंधान, भूमि एवं जल प्रबंधन, पशुधन एवं मात्स्यिकी प्रबंधन, सामाजिक-आर्थिक और प्रसार और पहाड़ी एवं पठारी क्षेत्रों में चल रहे अनुसंधान कार्यों की गहन समीक्षा की और इसमें सुधार के लिए आवश्यक निर्देश दिए. वहीं, सभी वैज्ञानिकों को एकजुट होकर किसानों की आय और उत्पादकता बढ़ाने के लिए काम करने को कहा. उन्होंने अनुसंधान को 8-10 प्रमुख थीमों में बांटने की रणनीति प्रस्तुत की. आनुवंशिक सुधार, डिजिटल एग्रीकल्चर, एग्री-फूड सिस्टम, जलवायु अनुकूल कृषि जैसे क्षेत्रों में सटीक अनुसंधान को प्राथमिकता देने का निर्देश दिया.
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के सहायक महानिदेशक (प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन) डॉ. ए. वेलमुरुगन ने अनुसंधान कार्यों को राष्ट्रीय और क्षेत्रीय प्राथमिकताओं से जोड़ने पर बल दिया. उन्होंने जलवायु परिवर्तन, कोयला खदानों से प्रभावित क्षेत्रों के पुनरुद्धार और सीमांत किसानों की समस्याओं पर केंद्रित शोध को समय की मांग बताया.
बैठक में प्रस्तुत नई अनुसंधान परियोजनाएं मुख्यतः प्राकृतिक खेती, हाई-टेक बागवानी, कटाई उपरांत तकनीक, छोटे किसानों के लिए फार्मिंग मॉडल और मूल्य श्रृंखला विश्लेषण जैसे समसामयिक विषयों पर केंद्रित रहीं. इनसे न केवल कृषि उत्पादन में वृद्धि की उम्मीद है, बल्कि किसानों की आर्थिक स्थिति भी सशक्त होगी.
राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र, मुजफ्फरपुर के निदेशक डॉ. बिकास दास ने कार्बन क्रेडिट, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, धान-परती भूमि प्रबंधन और सिस्टम अप्रोच जैसे क्षेत्रों में अनुसंधान को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया और संस्थान के प्रयासों की सराहना की. वहीं बैठक में पहली बार बिहार सरकार के बामेती निदेशक धनंजय पति त्रिपाठी, बिहार उद्योग संघ के अध्यक्ष केपीएस केशरी और वैशाली के प्रगतिशील किसान संजीव कुमार ने भाग लिया.
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