कृषि मंत्रालय ने शुक्रवार को कृषि-डीएसएस (K-DSS) प्लेटफॉर्म लॉन्च किया. यह प्लेटफॉर्म स्पेस से जुड़ा हुआ है जिसे विज्ञान की भाषा में जियो स्पेसियल प्लेटफॉर्म कहा जाता है. यह स्पेस की ऐसी टेक्नोलॉजी है जो पूरी तरह से डिजिटल है और खेती-बाड़ी की एक्टिविटी से जुड़ी जानकारी यूजर को मुहैया कराएगी. कृषि-डीएसएस देश में अपनी तरह का पहला जियो स्पेसियल प्लेटफॉर्म है जिसे पूरी तरह से खेती-बाड़ी के लिए बनाया गया है. इस प्लेटफॉर्म या पोर्टल की मदद से किसानों को मोबाइल या कंप्यूटर जैसे उपकरणों पर खेती और मौसम की जानकारी मिल सकेगी. इस प्लेटफॉर्म को देश की कृषि के लिए क्रांतिकारी कदम बताया जा रहा है.
इस प्लेटफॉर्म पर सैटेलाइट से ली गईं तस्वीरें, मौसम की जानकारी, बांधों और जलाशयों में पानी की स्थिति, जमीन के नीचे पानी का स्तर और मिट्टी की सेहत के बारे में एक ही साथ पूरी जानकारी मिल पाएगी. यानी इस तरह के डेटा किसी व्यक्ति को चाहिए तो वह के-डीएसएस प्लेटफॉर्म की मदद ले सकता है. सबसे खास बात ये कि इन डेटा के आधार पर किसी भी जगह, कहीं भी और किसी भी समय फौरन कार्रवाई की जा सकती है. अगर किसी इलाके में मौसम से जुड़ी कोई घटना है या कोई पूर्वानुमान है तो उसे देखते हुए पहले ही फौरी कदम उठाए जा सकते हैं. इससे किसानों को अपनी खेती और फसल बचाने में मदद मिलेगी. यह ऐसा सिस्टम है जिसमें किसी बड़े खेत से लेकर उस खेत की मिट्टी के कण-कण की सेहत के बारे में जानकारी मिल सकेगी.
इस प्लेटफॉर्म की मदद से किसानों को मौसम लेकर पानी की उपलब्धता के बारे में रियल टाइम जानकारी मिल सकेगी. यह प्लेटफॉर्म किसानों के अलावा जो लोग इस तरह की जानकारी लेना चाहते हैं, उन्हें मौसम के पैटर्न, मिट्टी की सेहत, फसल की सेहत, फसल का रकबा और फसल से जुड़ी एडवाइजरी की जानकारी देगा. चूंकि यह पूरा सिस्टम स्पेस और अंतरिक्ष विज्ञान से जुड़ा है, इसलिए इसकी एक्युरेसी भी पूरी रहेगी.
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कृषि-डीएसएस प्लेटफॉर्म पर फसलों की तस्वीरें जारी होंगी जिससे उनकी सेहत के बारे में जानकारी हासिल हो सकेगी. इस प्लेटफॉर्म के जरिये फसलों की निगरानी भी की जा सकेगी. इससे फसलों के पैटर्न के बारे में समझना आसान होगा. इसका बड़ा लाभ किसानों को ये होगा कि वे फसल के रोटेशन के बारे में जान सकेंगे. किसानों को पता चल सकेगा कि अगली फसल कौन सी ली जाए जिससे कि अधिक से अधिक उपज मिले. एक साथ कई फसलों की खेती के बारे में भी यह प्लेटफॉर्म बताएगा. इससे आने वाले समय में टिकाऊ खेती की चलन को बढ़ावा दिया जा सकेगा.
इस प्लेटफॉर्म की मदद से किसी भी इलाके में सूखे की निगरानी की जा सकेगी. इससे किसी फसल के सूखे से खराब होने की गुंजाइश कम करने या उसे संभालने में पूरी मदद मिलेगी. यह प्लेटफॉर्म मिट्टी में नमी, जल भंडारण, सूखे की अवधि के बारे में सटीक जानकारी देगा. प्लेटफॉर्म यह भी बताएगा कि कोई मौसम फसलों को कैसे प्रभावित कर रहा है. साथ ही फसल की कटाई की स्थिति और पराली जलाने जैसी घटनाओं के बारे में भी बताएगा.
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के-डीएसएस बाढ़ प्रभाव आकलन से लेकर फसल बीमा तक की जानकारी एक साथ देगा. इससे किसानों को खेती की तैयारी करने के साथ सरकारी सिस्टम को अपनी नीतियां बनाने और कार्रवाई की तैयारी का मौका मिलेगा. यह प्लेटफॉर्म ऐसा है जो किसानों के लिए सही व्यक्तिगत सलाह, कीट हमले, भारी बारिश, ओलावृष्टि आदि जैसी आपदाओं की पूर्व चेतावनी देने जैसे कई काम एक साथ करेगा.
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