Knowledge: टमाटर की खेती का कोलार मॉडल क्या है जिसमें मच्छरदानी का होता है इस्तेमाल? बंपर होती है कमाई

Knowledge: टमाटर की खेती का कोलार मॉडल क्या है जिसमें मच्छरदानी का होता है इस्तेमाल? बंपर होती है कमाई

कर्नाटक के कोप्पल में किसान टमाटर की खेती में एक नई तकनीक को अपना रहे हैं. यह तकनीक काफी फायदेमंद साबित हो रही है. यहां पर किसानों ने टमाटर की खेती के लिए कोलार मॉडल को अपनाया है. इस मॉडल की शुरूआत कोलार जिले से की गई थी.

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टमाटर की खेती का कोलार मॉडल क्या है जिसमें मच्छरदानी का होता है इस्तेमाल? बंपर होती है कमाईटमाटर की खेती

टमाटर की खेती किसानों के लिए काफी फायदेमंद होती है. खास कर इन दिनों यह अच्छी कमाई का जरिया बन गई है. बस किसानों को एक बार अच्छी कीमत मिलने की देरी है और किसान इसकी खेती में मालामाल हो जाते हैं. इसलिए अब यह खेती किसानों के लिए फायदेमंद मानी जा रही है और अधिक से अधिक किसान इसकी खेती से जुड़ रहे हैं. खास कर अभी के सीजन में निकलने वाले टमाटर से किसानों को काफी फायदा होता है. क्योंकि इसके अच्छे दाम मिलते हैं और किसानों को अच्छी कमाई होती है. टमाटर की खेती में अच्छा उत्पादन हासिल करने लिए अच्छी तकनीक का इस्तेमाल करना बेहद जरूरी होता है, क्योंकि इससे ही लाभ होता है. 

कर्नाटक के कोप्पल में किसान टमाटर की खेती में एक नई तकनीक को अपना रहे हैं. यह तकनीक काफी फायदेमंद साबित हो रही है. यहां पर किसानों ने टमाटर की खेती के लिए कोलार मॉडल को अपनाया है. इस मॉडल की शुरुआत कोलार जिले से की गई थी. टमाटर की खेती की इस मॉडल में कम खर्च में आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है. इससे टमाटर की पैदावार बढ़ जाती है. यही कारण है कि अधिक से अधिक किसान इस कोलार मॉडल को अपना रहे हैं और अच्छा उत्पादन हासिल कर रहे हैं. 

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तीन गुणा तक बढ़ता है उत्पादन

कोलार मॉडल से टमाटर की खेती करने के लिए किसान टमाटर की सतह को प्लास्टिक से कवर करते हैं. इसके बाद ऊपर में वो मच्छरदानी का इस्तेमाल करते हैं जो पूरे खेत में फैला हुआ होता है और खेतों में पौधों को कवर कर लेता है. इसका फायदा यह होता है कि इससे फसल को कीट से बचाने में मदद मिलती है. यह तकनीक इतनी कारगर है कि इससे टमाटर का उत्पादन तीन गुणा तक बढ़ जाता है. पहले जहां किसान एक एकड़ से 600-800 ट्रे पैदावार हासिल करते थे. आज वही किसान कोलार मॉडल को अपनाने के बाद एक एकड़ में 1800 ट्रे तक की पैदावार ले रहे हैं. 

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पानी का कम होता है इस्तेमाल

इस मॉडल की खेती से उत्पादन और फसल की गुणवत्ता बढ़ने के बाद किसानों को 2500 रुपये कैरेट तक की कीमत मिल रही है. इससे पहले कोप्पल में किसान पारंपरिक तरीके और सिंचाई प्रणाली से टमाटर की खेती करते थे. पारंपरिक तकनीक में पानी का अधिक इस्तेमाल भी होता था. साथ ही फलों के सड़ने की भी बहुत शिकायत आती थी. पर कोलार मॉडल अपनाने के बाद अब किसान उत्पादन में बढ़ोतरी के साथ अधिक मुनाफा भी हासिल कर रहे हैं. बागवानी विभाग भी किसानों की इस पहल का सहयोग कर रहा है और उन्हें खेती करने के लिए सब्सिडी दी जा रही है. किसान प्लास्टिक और पुवाल की मल्चिंग का इस्तेमाल कर रहे हैं. इससे मिट्टी की नमी बरकरार रह रही है और मिट्टी की क्वालिटी में सुधार हुआ है. 

 

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