Oilseed Mission: सरकार का डबल एक्शन प्लान: तिलहन से लेकर पाम ऑयल तक, नहीं होगा तेल का संकट!

Oilseed Mission: सरकार का डबल एक्शन प्लान: तिलहन से लेकर पाम ऑयल तक, नहीं होगा तेल का संकट!

Oilseed Mission: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने देशभर के कृषि विश्वविद्यालयों के सहयोग से नौ प्रमुख तिलहन फसलों की उन्नत किस्मों और खेती तकनीकों के विकास के लिए पांच रिसर्च प्रोजेक्‍ट भी चलाएं हैं. इसके अलावा हाइब्रिड बीजों और जीन एडीटिंग पर दो और रिसर्च प्रोजेक्‍ट जारी हैं.

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Oilseed Mission: सरकार का डबल एक्शन प्लान: तिलहन से लेकर पाम ऑयल तक, नहीं होगा तेल का संकट! Edible oil: सरकार कैसे कर रह है तेल का उत्‍पादन बढ़ाने पर काम

सरकार ने देश को खाद्य तेलों के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के लिए राष्ट्रीय खाद्य तेल-तिलहन मिशन (एनएमईओ-ओएस) को लागू किया है. इस मिशन के तहत रेपसीड, सरसों, मूंगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी, तिल, कुसुम, नाइजर, अलसी और अरंडी जैसी प्रमुख तिलहन फसलों का उत्पादन बढ़ाने का लक्ष्य है. इसके साथ ही कपास, नारियल, चावल की भूसी और वृक्ष-जनित तिलहन जैसे माध्यमों से भी खाद्य तेल के संग्रह और निष्कर्षण की क्षमता बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं. कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने मंगलवार को लोकसभा में एक लिखित उत्तर में कई अहम जानक‍ारियां मुहैया कराईं. 

देश में चल रहे रिसर्च प्रोजेक्‍ट्स 

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने देशभर के कृषि विश्वविद्यालयों के सहयोग से नौ प्रमुख तिलहन फसलों की उन्नत किस्मों और खेती तकनीकों के विकास के लिए पांच रिसर्च प्रोजेक्‍ट भी चलाएं हैं. इसके अलावा हाइब्रिड बीजों और जीन एडीटिंग पर दो और रिसर्च प्रोजेक्‍ट जारी हैं. इन प्रयासों के चलते साल 2014 से 2025 के बीच वाणिज्यिक खेती के लिए 432 उच्च उपज देने वाली किस्मों को नोटिफाइड किया गया है. इनमें 104 किस्में रेपसीड-सरसों, 95 सोयाबीन, 69 मूंगफली, 53 अलसी, 34 तिल, 25 कुसुम, 24 सूरजमुखी, 15 अरंडी और 13 नाइजर की हैं. सरकार किस्म प्रतिस्थापन दर और बीज प्रतिस्थापन दर बढ़ाने पर भी ध्यान दे रही है ताकि उन्नत किस्मों का पूरा लाभ किसानों तक पहुंचे. 

अच्‍छे बीजों का विकास भी 

रामनाथ ठाकुर ने बताया कि पिछले पांच सालों में 1.53 लाख क्विंटल से ज्‍यादा प्रजनक बीजों का उत्पादन किया गया और ये बीज एजेंसियों को भी उपलब्ध कराए गए हैं. इसका मकसद किसानों को प्रमाणित बीज मुहैया कराया जाना है. आईसीएआर ने जिला स्तर पर बीज केंद्रों के जरिए बीज वितरण व्यवस्था को मजबूत किया है. एनएमईओ-ओएस के तहत अब तक 600 से अधिक वैल्‍यु एडीशन क्‍लस्‍टर्स की पहचान की गई है, जो हर साल 10 लाख हेक्टेयर से ज्‍यादा क्षेत्र को कवर करते हैं. इन क्लस्टर्स में किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) और सहकारी समितियां सक्रिय भूमिका निभा रही हैं. किसानों को मुफ्त हाई क्‍वालिटी वाले बीज, बेहतर कृषि पद्धतियों का प्रशिक्षण और मौसम और कीट प्रबंधन पर भी सलाह दी जा रही है. मिशन कटाई के बाद की प्रक्रिया और तेल निष्कर्षण में सुधार के लिए आधारभूत संरचना के विकास में भी मदद कर रहा है. 

इसके साथ ही, आईसीएआर और राज्य कृषि विभागों की मदद से तिलहन की खेती में नई तकनीकों और किस्मों को लेकर जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रदर्शनी कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. वहीं, स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए खाद्य तेलों के उचित उपयोग को बढ़ावा देने के लिए सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी) अभियान भी चलाया जा रहा है. केंद्र सरकार की तरफ से देश के 16 राज्‍यों में मूंगफली, तिल, सोयाबीन, अलसी, सूरजमुखी, कुसुम, जैसी तिलहनी फसलों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत रखा गया है. 

पाम ऑयल के लिए खास योजना 

इससे अलग कृषि राज्‍य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने बताया कि खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता हासिल होने तक घरेलू उत्पादन और खपत के बीच के अंतर को दूर करने के लिए आयात जरूरी है. भारत सरकार साल 2021-22 से 2025-26 की अवधि के लिए केंद्रीय प्रायोजित योजना राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन - ऑयल पाम (एनएमईओ-ओपी) को संचालित कर रही है. एनएमईओ-ओपी क्षेत्र विस्तार के माध्यम से देश में ऑयल पाम की खेती को बढ़ावा देने का प्रयास करता है. मार्च 2025 तक, एनएमईओ-ओपी के तहत 1.89 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर किया गया था, जिससे देश में ऑयल पाम के तहत कुल कवरेज 5.56 लाख हेक्टेयर हो गया. कच्चे पाम ऑयल (सीपीओ) का उत्पादन वर्ष 2014-15 में 1.91 लाख टन से बढ़कर वर्ष 2024-25 में 3.80 लाख टन हो गया है. 

क्‍या है मिशन के फायदे 

किसानों को ताजे फलों के गुच्छों (एफएफबी) का लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने के लिए, संबंधित राज्यों द्वारा हर महीने फार्मूला प्राइस घोषित करने की प्रणाली भी अपनाई जाती है. औद्योगिक इकाइयां किसानों से ताजे फल गुच्छों (एफएफबी) की खरीद, प्रति माह घोषित फार्मूला प्राइस पर करती है. इसके अतिरिक्त, अंतरराष्ट्रीय कीमतों में अचानक गिरावट के कारण किसानों के मूल्य जोखिम को कम करने के लिए, केंद्र सरकार द्वारा व्यवहार्यता मूल्य घोषित करने की प्रणाली भी अपनाई जाती है.

अगर फार्मूला प्राइस किसी विशेष वर्ष के व्यवहार्यता मूल्य से कम हो जाता है, तो किसानों को व्यवहार्यता अंतर भुगतान (वीजीपी) प्रदान किया जाता है. इस मिशन के तहत ऑयल पाम की खेती चौथे साल से फायदा देने लगती है और आठवें साल में इससे मनमाफिक उपज मिलती है. सरकार का मानना है कि आने वाले सालों में उत्पादन में वृद्धि होने की उम्मीद है, जिससे सीपीओ उत्पादन में वृद्धि होगी और सीपीओ आयात पर निर्भरता कम होगी. 

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