महाराष्ट्र की कोल्हापुरी चप्पल से लेकर खुर्जा के बने मिट्टी के बर्तन हो या फिर मुजफ्फरनगर की शाही लीची से लेकर गुजरात की बांधिनी हो, अब जब आप अगली बार लंदन जाएं तो हो सकता है, वहां की मार्केट में आपको नजर आए. यह संभव हो सका है भारत और यूके के बीच 24 जुलाई को साइन हुए फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) की वजह से. करीब तीन साल की मेहनत और कई कूटनीतिक प्रयासों के बाद भारत और यूके के बीच आखिरकार FTA वाली डील, सील हो गई है. यह एफटीए न सिर्फ कई तरह के रोजगार के मौके भारत में पैदा करेगा बल्कि कई ऐसी भारतीयों चीजों के लिए के ब्रिटेन के बाजार को खोलेगा जो दुनिया में और कहीं न बनती हैं और न मिलती है.
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने अपने एक्स हैंडल पर एक तस्वीर साझा की है. इस तस्वीरें को अगर आप देखेंगे तो आपको पूरी तरह से यह बात समझ आ जाएगी कि भारत के किस हिस्से से क्या-क्या अब ब्रिटेन के बाजारों तक पहुंचेगी.भारत के ये प्रॉडक्ट्स असल में मेड इन इंडिया की असली पहचान बनेंगे.
जम्मू-कश्मीर: पश्मीना शॉल, बासमती चावल, कश्मीरी केसर और कश्मीरी विलो बैट्स
हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड: बासमती चावल
पंजाब- जालंधर स्पोर्ट्स गुड्स, बासमती राइस
दिल्ली- बासमती राइस
राजस्थान- जयपुर जेमस्टोन और ज्वेलरी
गुजरात- सूरत टेक्सटाइल, मोरबी में बने मिट्टी के वर्तन और सूरत के डायमंड
महाराष्ट्र- कोल्हापुरी फूटवीयर, आईटी सर्विसेज
कर्नाटक- चन्नापाटन के खिलौने
केरल- रबर और हल्दी
उत्तर प्रदेश- खुर्जा में बने मिट्टी के बर्तन, मेरठ के स्पोर्ट्स प्रोडक्ट, बासमती चावल और आगरा-कानपुर के लेदर
तेलंगाना- आईटी सर्विस
आंध्र प्रदेश- कॉफी और हल्दी
तमिलनाडु- कांचीपूरम साड़ी, हल्दी, गुड़िया, स्लीपर और आईटी सर्विस
बिहार- सिक्की ग्रॉस टॉय, भागलपुर सिल्क, मखाना और लिच्ची
त्रिपुरा- नेचुरल और प्रोड्यूस्ड रबर
वेस्ट बंगाल- साड़ी, दाजर्लिंग टी, गुड़िया और शांतिनिकेतन लेदर
एफटीए के साइन होते ही भारत का करीब 99 प्रतिशत सामान ब्रिटेन में कम टैक्स पर बिक सकेगा. वहीं यूके की भी 90 फीसदी चीजें भारत में कम टैरिफ पर बिकती हुई नजर आएंगी.एफटीए की वजह से भारत, ब्रिटेन में अपने प्रोडक्ट्स '0' या कम टैक्स बेचेगा. डील साइन होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि इस एग्रीमेंट की वजह से ग्लोबल लेवल पर भारत और मजबूत हो सकेगा. साथ ही दोनों देशों के बीच सालाना व्यापार 34 अरब डॉलर तक बढ़ सकेगा. डील का असली मकसद 2030 तक व्यापार को 120 अरब डॉलर तक पहुंचाना है.
ब्रिटेन से आने वाली चीजें भी सस्ती हो जाएंगी. ब्रिटेन से आने वाली स्कॉच व्हिस्की के रेट में करीब 20 से 50 फीसदी की गिरावट आ सकती है. वहीं इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़े, चमड़े के प्रोडक्ट्स और दवाइंया, मेटल और ज्वेलरी सस्ती हो सकती हैं. जबकि एग्रीकल्चर प्रोडक्ट्स, कार और बाइक जैसे ऑटो और स्टील की चीजें महंगी हो सकती हैं. फ्री ट्रेड एग्रीमेंट के बाद यूके में भारत से आयात होने वाली चीजों के दाम में गिरावट आएगी और जिससे इनका प्रोडक्शन तेजी से बढ़ेगा और लोग भारतीय प्रोडक्ट्स को ज्यादा खरीदेंगे.
यह भी पढ़ें-
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today